दुनियादारी

 दुनियादारी के पिछे मत भागो !

✍️ २२८२


विनोदकुमार महाजन

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दुनियादारी और दुनियावालों के

पिछे मत भागना मेरे दोस्त !

बडी विचित्र होती है दुनियादारी !


दुनियादारी और दुनियावाले तो

तुम्हें पागल बनाकर ही छोडेंगे !

उसके बाद भी मौन और शांत

नहीं बैठेंगे ,बल्कि पागलों का भी

जीना हराम कर देंगे !

उसका भी उत्पीड़न कर देंगे !

उसको भी पीडा , दुखदर्द, यातना देंगे !

उसको भी रूलायेंगे !

उसका भी सुखचैन छीनेंगे !


अनेक निष्पाप जीवों का भी जीवन मुश्कील कर देंगे !


यही दुनियादारी है मेरे दोस्त !

और यही दुनियावालों का दस्तूर भी है !


बडे बडे संत ,महंत ,महापुरुषों को भी , सिध्दपुरूष ,अवतारी पुरूषों को भी ऐसी दुनियादारी ने नहीं छोडा है !


तो तुम कौन हो ?


इसिलिए दुनियादारी और दुनियावालों के पिछे भागना छोड दे बंदे !


अगर भागना ही है तो ईश्वर के पिछे भाग !

वहीं तुम्हारा आखिरी तारणहार है !

और वही तुम्हारा उध्दारक भी है !!


हरी ओम्

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