क्रूर शासक ?

 क्या देश को आज क्रूर शासक चाहिए ??

✍️ २२८४


विनोदकुमार महाजन


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जनता का कल्याण करने के लिए , शासकों को हमेशा कठोर निर्णय ही लेने पडते है !

विशेषतः देव , देश और धर्म के लिए ही संपूर्ण जीवन समर्पित करनेवाले शासकों को हमेशा सजग रहकर ही निर्णय लेने पडते है !


और देश का भयंकर पीडादायक,क्लेशदायक अराजक हटाकर ,देश और देशवासियों के चौफेर कल्याण के निर्णय लेने के लिए , कानून प्रणाली हमेशा कठोर और सख्त बनानी पडती है !


पत्रकार , लेखक ,कवी हमेशा अपनी जागृत प्रज्ञा से शासकों को सर्वहितकारी निर्णय लेने के लिए प्रेरित करते रहते है !


मोदिजी के सामने मेरी प्रज्ञा भी य:कश्चित हो सकती है !

फिर भी,इसी लेख द्वारा एक ऐसा ही देशहित के लिए छोटासा प्रयास !


वैसे तो देश और संपूर्ण विश्व भी आज भयंकर विचित्र तथा अराजकीय स्थितियों से गुजर रहा है !


और भयंकर मुसिबतों के समय में हमारा आदर्श राष्ट्र ,देवीदेवताओं का देश ,संपूर्ण विश्व के लिए तथा वैश्विक राजनीति के लिए मार्गदर्शक साबित हो सकता है !


क्योंकि वैश्विक कल्याण की परीभाषा हमारे अनेक आदर्श धर्मग्रंथों ने हमें सिखाई है !

संपूर्ण मानवसमुह का वैश्विक अखंड कल्याण इसपर, विस्तृत विवेचन, विश्लेषण हमारे धर्म ग्रंथों में देखने को मिलता है !


खैर ! यह अलग लेख का  विषय है !


अब देखते है हमारे देशांतर्गत अराजकीय शक्तियों के बारे में !


आज के सर्वोच्च सत्तास्थानपर विराजमान शक्तिस्थान के लिए आज की देश की स्थिति तथा अराजक सदृश्य वातावरण एक गंभीर चुनौती का विषय है !

अतीशय ठंडे दिमाग से हर समस्या का अचूक निदान करके ,उसपर सटीक हल निकालना , और संपूर्ण देश का सौहार्दपूर्ण वातावरण बनाये रखना , सचमुच में कठिन कसौटी का यह क्षण है !


सर्वोच्च सत्तास्थानपर विराजमान व्यक्ति ,समुह इसके लिए सक्षम है ही ! मगर इसके साथ भी और जादा सक्षम ,कठोर ,स्फुर्तीले बनकर ,ठंडे दिमाग से ,सख्त और कठोर निर्णय लेने की सख्त जरूरत है ! और समय की माँग भी है !


अराजकता वादी राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय सभी शक्तियाँ आज सरकार को, चारों तरफ से घेरने की लगातार कोशिश में जुडे हुए है !


उनके इरादे बुलंद है ! उनका निशाना अचूक है और रणनिती बेजोड़ है !


जरूरत है इसकी अचूक काट निकालने की ! और इसके लिए तीव्र इच्छाशक्ति की !और अचूक निर्णय क्षमता की !


ईश्वरी सिध्दांतों को, चौतरफा हनन करके , आसुरिक ,हाहाकारी, विनाशकारी ,विघटनकारी शक्तियाँ हैवानियत बढाने के लिए ,सर्वोच्च सत्तास्थान को दिनरात ,निरंतर घेरने की लगातार कोशिश कर रही है !


उनके लिए यह अस्तित्व का प्रश्न है ! इसिलिए आखिरी वार करके ,इक्षीप्त साध्य करने का उनका प्रयास लगातार जारी है !

और लगातार जारी रहेगा भी !


ऐसे समय में चौकस ,चौकन्ना रहना अत्यावश्यक है !

और अराजकतावादी शक्तियों को काटशह देने के लिए , यशस्वी रणनीति बनाना भी जरूरी है !

इसके लिए सख्त और कठोर होकर ,सख्त निर्णय लेने की जरूरत है !


क्योंकि उनके लिए जैसे यह अस्तित्व का प्रश्न है ,ठीक हमारे लिए भी ,ईश्वरी सिध्दांतों को जिवीत रखने के लिए भी ,यह अस्तित्व की आखिरी लडाई है !

इसमें जितेंगे तो ? 

भविष्य में लगातार जीतते ही जायेंगे !


आघात - प्रतिघात,

प्रहार - प्रतिप्रहार ,

दाँव - प्रतिदाँव,

दावे - प्रतिदावे,

दोनों तरफ से लगातार होते रहेंगे !

दोनों तरफ से अनेक दाँवपेंच चलाये जायेंगे ! जीत के लिए,अनेक कुटिल रणनितीयाँ अपनाई जायेगी !


इसीलिए ही यह जीत अतीशय महत्वपूर्ण है !


सत्य की जीत !

ईश्वरी सिध्दांतों की जीत !

सत्य सनातन की जीत !


और आसुरिक शक्तियों की संपूर्ण हार और नाश !


वैसे तो संपूर्ण विश्व को ही आज आसुरिक शक्तियों ने चौतरफा घेर के रखा है !

और , " वसुधैव कुटुम्बकम "

के सिध्दांतों के अनुसार ,संपूर्ण विश्व को भी आसुरों से मूक्त कराना ,हमारा, ईश्वरी सिध्दांतों के अनुसार ,दाईत्व भी है !


मगर इसके लिए सबसे पहले हमें और हमारे देश को आसुरिक शक्तियों से सुरक्षित रखना अत्यावश्यक है ! क्योंकि जब हमारा घर सुरक्षित होगा ,तभी हम दूसरों का घर भी सुरक्षित करेंगे !


और इसीलिए सर्वोच्च सत्तास्थानपर विराजमान शक्तियों की तीव्र इच्छाशक्ति ,अचूक रणनीति और बेजोड़ व्यूहरचना ही हमें हमारे अंतिम मकसद तक ले जा सकती है !


और हमारे देश के साथ ही,संपूर्ण विश्व के परिवर्तन का भी यह महत्वपूर्ण समय चल रहा है !


इसीलिए आज और अभी से सख्त होकर कठोर निर्णय लेना अत्यावश्यक है !

इसीलिए देश का आज का शासक कठोर भी चाहिए ! और अराजकतावादी शक्तियों पर अंकुश प्राप्त करने के लिए ,

क्रूर और कर्तव्यकठोर भी चाहिए !


और परिस्थितियों के अनुसार अथवा प्रसंगावधान के अनुसार , क्रूर होना कोई पाप नहीं है !

हमारे अनेक देवीदेवताओं ने ,अनेक बार ,आसुरिक संपत्तियों पर विजय प्राप्त करने के लिए तथा उनके संहार के लिए ,क्रूर रूप ही धारण किया है ! इसके प्रमाण भी है !


क्योंकि आसुरिक संपत्ति हमेशा हावी रहेगी तो हाहाकार बढता रहेगा ! और सभी का ,संपूर्ण मानवजाती सह ,सभी सजीवों का जीना मुश्किल हो जायेगा !


इसीलिए समय पर ली गई,कर्तव्य कठोरता अत्यंत महत्वपूर्ण होती है !


चाहे कोई तानाशाह कहे अथवा क्रूर शासक कहें ,परिस्थितियों के अनुसार योग्य निर्णय तो लेने ही पडेंगे !


सृष्टिसंतुलन के लिए और हैवानी शक्तियों को काबू में रखने के लिए ,खुद ईश्वर ने भी अनेक बार ऐसे सख्त और कठोर निर्णय लिए है ! 


तो उस ईश्वर के भक्त ,ऐसे विषयों में,हम पिछे क्यों हटेंगे ?

कर्तव्यकठोर होकर निर्णय तो लेने ही पडेंगे ! और उसपर शिघ्रातीशिघ्र अमल तो करना ही पडेगा !


क्योंकि समय की व्यर्थ की बरबादी भविष्य में अनेक प्रकार की हानि तथा अनेक मुसीबतों को जन्म दे सकती है !

इसीलिए समय से पहले ही यथोचित निर्णय ही हमें कामयाबी की ओर ले जा सकते है !


समय हाथ में बहुत कम है !

और कम समय में अनेक महत्वपूर्ण निर्णय लेने ही पडेंगे !


तभी धर्म हानी टलेगी !

तभी धर्म ग्लानि भी टलेगी !

तभी बरबादी टलेगी !

तभी धर्म की और सत्य की अंतिम जीत भी होगी !


प्रश्न अनेक है !

उत्तर, समस्याओं का हल ,काट कम है !

फिर भी राम के एक ही यशस्वी बाण से अनेक प्रकार की सिध्दीयां प्राप्त करनी ही होगी !

और अचूक उपाययोजनाओं द्वारा, समाज मन को स्थैर्य देना ही पडेगा !


तभी भविष्य सुरक्षित रहेगा !


अनेक महत्वपूर्ण मुद्दों के साथ साथ,गौरक्षा विधेयक भी तुरंत लाना यह आज का महत्वपूर्ण मुद्दा है !तथा देश के लिए संवेदनशील विषय है ! 


ठीक इसी प्रकार से ,सभी घुसपैठियों को तुरंत बाहर निकालना यह मुद्दा भी महत्वपूर्ण है !


मगर( अंग्रेजों ने )बनाये हुए कुछ कानून ही ऐसे विषय है कि, सरकार भी इसके सामने हतबल सी दिखाई देती है !


इच्छशक्ति तो है मगर मार्ग नहीं है,ऐसी स्थिति है !


फिर भी,

हिंदुराष्ट्र निर्माण से देश का लगभग नब्बे प्रतिशत अराजक भी समाप्त होगा ! और अनेक महत्वपूर्ण प्रलंबित प्रश्नों से भी छुटकारा मिलेगा !

मगर कानूनी पेंच ही ऐसा शक्तिशाली है की ,आज की घडी में शायद इसकी काट असंभव सी लगती है !


इसीलिए सख्त और कठोर कानून भी क्या करेंगे ?


अंतरराष्ट्रीय राजनीति , अंतरराष्ट्रीय नियम कानून ,अंतरराष्ट्रीय दबाव यही मुद्दे भी आज की घडी में महत्वपूर्ण साबित हो रहे है !


देश के लिए तथा समस्त देशहित के लिए ,अगर आज कोई तानाशाह बनकर भी आगे आयेगा और सारी समस्याएं एक ही क्षण में छुडायेगा ,तो यह भी संभव नहीं है !


क्योंकि अंतरराष्ट्रीय दबाव को महत्व न देकर निर्णय लिए गये तो भी देशहित के लिए ,हानिकारक साबित हो सकते है !


इसीलिए अपेक्षित परिणामों के लिए ,ठंडे दिमाग से ,यथानुकूल समय का इंतजार करना और अनुकूल समय आते ही ,यथायोग्य निर्णय लेना ,यही अंतिम और यशस्वी रणनीति हो सकती है !


मगर फिर भी ,तबतक पुल के निचे से बहुत पाणी बह चुका होगा , और परिणामस्वरूप अराजकतावादी शक्तियों का बल भी बढने की संभावना नकारी नहीं जा सकती है !


इसिलिए तबतक,

 " साँप भी मरें और लाठी भी ना टूटे " ऐसी यशस्वी रणनीति भी अपनाई जा सकती है !


अंतरराष्ट्रीय कायदा कानून भी बना रहे,सुरक्षित भी रहें ,और देश का अराजक भी समाप्त हो और 

देशवासियों को संपूर्ण अभय भी प्राप्त हो ! और चौतरफा विकास भी हो,

ऐसी प्रभावी निती भी अपनानी पडेगी !


इस कडी का महत्वपूर्ण मुद्दा यह भी है की,नये संसद भवन में ,प्रधानमंत्री मोदिजी ने ,आचार्य चाणक्य को यथायोग्य स्थान दिया हुआ है, जो सबकुछ दर्शाता है ! और उनकी अनेक यशस्वी भविष्यकालीन योजनाओं को भी उधृत करता है !


फिर भी आज की बिकट स्थिति में अनेक महत्वपूर्ण तथा सख्त और कठोर निर्णय तो लेने ही पडेंगे !


कर्नाटक का उदाहरण सामने है !

हमारे ही लोगों का भरौसा नहीं है ! ऐसी विचित्र तथा भयंकर स्थिति में , योग्य निर्णय लेकर ,देश की अनेक समस्याओं पर विजय हासिल करना ही ,सही नेतृत्व है !


जो मोदिजी में सौ प्रतिशत दिखाई भी देता है !


फिर भी " २४ " की जीत के लिए ,आज अनेक महत्वपूर्ण निर्णय तो लेने ही पडेंगे !

इसके लिए अनेक राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय जटिल समस्याओं का हल ढूंढकर उसमें विजय हासिल करना ही पडेगा !


मैं ऐसा नहीं कहता कि,

केवल तानाशाह बनकर अथवा क्रूर और कर्तव्यकठोर शासक बनकर ही सभी समस्याओं पर विजय प्राप्त की जा सकती है !


मगर यह बात भी पक्की तय है की,पत्थरदिल बनकर ही,देशहित के लिए, अनेक महत्वपूर्ण निर्णय, चौबीसों घंटे लेने ही पडते है !

भविष्यकालीन घटने वाली अच्छी ,बुरी घटनाओं को साक्षी रखकर ,महत्वपूर्ण निर्णय ही,

हमें....

हमारे आखिरी मकसद तक ले जाने में सक्षम होते है !


इसीलिए सरकार जरूर यथायोग्य निर्णय लेगी ही !

फिर भी एक जागरूक तथा संवेदनशील ,प्रखर राष्ट्रप्रेमी की हैसियत से ,देशहित के लिए चार शब्द लिखने की कोशिश कर रहा हूं !


अंत में यही कहूंगा की,

कुछ राष्ट्रहितकारी निर्णय,

कर्तव्यकठोर तथा क्रूर बनकर तो लेने ही पडेंगे !


जैसे ?

अलगाववादियों के सामाजिक संतुलन खराब करनेवाले,अनेक जनउपद्रवी आंदोलन !?


हरी ओम्

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