सिध्दीयाँ चाहिए तो दुखदर्द झेलना पड़ेगा
🚩𝕝𝕝 *ॐ* 𝕝𝕝🚩
अनेक महापुरूषोंने,सिध्दपुरूषों ने,अवतारी महापुरुषों ने,समाजसुधारकों ने,संतों ने,महात्माओं ने....
अपने जीवनकाल में और विशेषता शुरूआती दौर में अनेक भयंकर मुसीबतों का,आपत्तियों का,दुख का,दर्द का,सामाजिक उत्पीड़न का,आर्थिक परेशानियों का निरंतर, नितदिन, हरपल सामना किया है।उन्होंने अनेक हलाहल बारबार हजम किए है।
स्वकीय, समाज ने भी उनको भयंकर पिडा,नरकयातनाएं भी दी है।ईश्वर ने भी उनकी अनेक बार भयंकर कठोर अग्नि परीक्षाएं तथा सत्व परीक्षाएं ली है।अनेक महापुरुषों को अनेक बार खून के आँसू रोने पडे है अथवा समाज ने भी उनको अनेक बार खून के आँसू दिये है....
इतना भयंकर होने के बाद भी इन महापुरुषों ने अपना सिद्धांतों का रास्ता नहीं छोडा है।अथवा ध्येयवाद का त्याग करके ऐसे महापुरुष कतई भागे नहीं है।अग्नि में तपकर ही....
सारे के सारे....
सिद्धपुरुष,
सिध्दयोगी,
महापुरुष,
अवतारी पुरूष,
महात्माएं....
बन गये है....
इसीलिए साथीयों,
अगर इतिहास निर्माण करना है...
नवसृजन की अपेक्षा है....
समाज परिवर्तन, राष्ट्रोध्दार, विश्वोध्दार की अपेक्षा है....
तो....
तपना ही पडेगा, बारबार तपना पडेगा....
तभी जाकर अनेक सिध्दीयाँ हासिल होगी।
कार्यसफलता भी मिलेगी।
और ईश्वरी वरदान भी प्राप्त होगा।
वैश्विक कार्य के लिए माता महालक्ष्मी का वरदान तथा वरदहस्त भी प्राप्त होगा।
माता सिध्दीदात्री की अखंड कृपा प्राप्त होगी...
सफलता इतनी सस्ती नहीं होती कि प्रारम्भ में ही मिल जाए...
*जीवन में जिसने भी इस तथ्य को समझ लिया उसने जीना सीख लिया ...*…
क्योंकि विधाता के इसी सत्य से मानव को धैर्य धारण करने की प्रेरणा मिलती है
*संसार के किसी भी सुख की प्राप्ति से पहले* दुःख अवश्यंभावी होता है *...*…
जैसे जल ग्रहण के आनंद से पूर्व *प्यास का दुःख* गहरी निद्रा के लिए *थकान का दुःख* या धनागमन के उत्साह के लिए *निर्धनता का दुःख* भुगतना ही पड़ता है *...*…
हम अगर इस वेदना की यात्रा को परमात्मा की इच्छा और अपने ही अपराधों का दंड समझ कर काट लें *तो सुख के सूरज का उदय होना सुनिश्चित है ...*…
आज अपने प्रभु से *जीवन के अवसादों से सफलता पूर्वक* पार पाने की अलौकिक प्रार्थना के साथ *...*…
हरी हरी:ओम्
जगत का कल्याण हो
सभी का मंगल हो
प्राणीयों में प्रेम बढे
सजीवों को अभय मिले
गौमाता की कृपा हो
गंगामैया स्वच्छ हो
धरती का स्वर्ग बनें
मानवता की जीत हो
विश्व मानव एक हो...
चलो एक संकल्प की ओर...
विश्व कल्याण की ओर...
संकल्प को सिध्दीयों में बदलने की ओर..
*🚩हर हर महादेव🚩*
*विनोदकुमार महाजन*
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