हम क्यों दौड रहे है !

 यह जींदगी का सफर है यारों !

बस्स्...दौडते रहना है !

मुश्कीलें भी आयेगी और चली जायेगी !

मगर मंजिल की ओर,हर दिन हर पल दौडते रहना है !

बिना थके,बिना हारे,बिना सहारे !


इस घोडे की तरह !!!


मगर सचमुच में हम दौड ही क्यों रहे है ???

या नियती हमें दौडा रही है ???


किसी को धन चाहिए,तो किसी को यश...

किसी को मान संन्मान,तो किसी को सामाजिक परिवर्तन...

किसीको योगसिध्दी चाहिए, तो किसीको मोक्ष...


मगर हमें क्या चाहिए ???

हम क्यों दौड रहे है.???

और इस भयंकर भागदौड में हमें क्या मिल रहा है,क्या मिल गया है...???

यही अनुत्तरित प्रश्नों का विचार किए बगैर हमें भी दौडना है !!!


मगर हमारा दौडना भी निजी हित अथवा निजी स्वार्थ के लिए नही है साथीयों...!!!


हमारा दौडना तो समाजहित, देशहित, विश्वहित तथा धर्म के लिए है....


चलो...यह घोडे की दौड का विडिओ भी आनंद से देखते है !


आखिर हरपल हमें ईश्वर भी कुछ न कुछ सिखाता ही जरूर है !!!


इस घोड़े को देख लिजीए, इसकी जिंदगी में मजे से दौड़ते दौड़ते संकट का समय आ गया, दो चलती ट्रेनों के बीच यह फंस गया और आसपास की दुनिया सिर्फ चिल्लाती रही, कुछ न कर सकी, घोड़ा अगर उनके शोर शराबे से विचलित हो जाता तो अपनी जान गवां बैठता... पर घोड़े ने अपनी एकाग्रता को कायम रख, सहज ही दौड़ता रहा,और अपनी दौड़ कायम रखी और उसकी मुश्किल हालातों का  समय बीत गया, खराब समय बीतते ही दुनिया अपने अपने कामो मे व्यस्थ हो गयी... हमारी जिंदगी भी कुछ ऐसी ही है दोस्तो...बस अपना सही कर्म करते रहो.. सफलता निश्चित है।*.   *(घोड़े को दौड़ना आता था*, *रास्ता बदले बिना दौड़ता रहा और अंत में बाहर निकल आया*. 


*इस छोटे से वीडियो में मानो ज़िन्दगी का सबक है*. *मुश्किलों के बीच फंसकर विचलित ना हो, बस खुदपर भरोसा रख के आगे बढ़ते रहो*..!!)


हरी हरी: ओम्


आप सभी पर पवित्र ईश्वरी प्रेम करनेवाला,

सदैव आप सभी का हितचिंतक,


विनोदकुमार महाजन


🙏🙏

Comments

Popular posts from this blog

ऊँ कालभैरवाय नम :

मोदिजी को पत्र ( ४० )

हिंदुराष्ट्र