भूतपिशाच कैसे होते है ?

 भूत पिशाच कैसे होते है...

और कहाँ रहते है ?

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यह एक अत्यंत गूढ विषय है।तथा इस विषय पर जनमानस में हमेशा औत्सुक्य भी रहता है।और अदृष्य योनियों में से एक है।चौ-यांशी लक्ष योनियों में से एक पिशाच योनी भी होती है।और इसके वर्णन अनेक ग्रंथों में भी मिलते है।


इस विषय पर देशविदेशों में अनेक संशोधकों ने प्रयोग किए है और सप्रमाण सिध्द भी किया है।


वैसे तो आजकल सही मायने में भूत पिशाच, साँप बिच्छू, कुत्ते गधे,जहरीले जीवजंतु इनका प्रमाण वास्तव में कम  दिखाई देता है।और मनुष्य प्राणियों के अंदर ही अनेक भूतपिशाच,राक्षस महाराक्षस सहित अनेक जहरीले जीवजंतुओं का वास्तव्य जादा मात्रा में दिखाई देता है।


और यह बात सभी को स्विकारनी भी होगी।


खैर....

अब मूल विषय पर आते है।

पिशाच !!!


पिशाच केवल मनुष्यों प्राणीयों के ही होते है ? या दुसरे प्रणीयों के भी होते है ?


केवल और केवल मनुष्य प्रणीयों के।क्योंकि दुसरे योनियों में इच्छा, आकांक्षाएं, वासनाएं मनुष्य प्रणीयों की तरह नही होती है।और मृत्यु के बाद ईश्वरी चक्र के अनुसार दूसरे प्राणी दूसरा देह धारण कर लेते है।


और मनुष्यों में इच्छा, आकांक्षा, वासना,लालसा, धनलालच के कारण वह आत्मा मृत्यु के बाद भी अतृप्त रह सकती है।

और अतृप्त योनियों का वर्णन हमने सुना भी है।


ऐसा कहते है की भूत पिशाच समशान में जादा होते है।इसका अध्ययन करने के लिए अमावस्या की रात को मैंने समशान में वास्तव्य किया है।मगर मुझे वहाँ कोई भूतपिशाच नही दिखाई दिये।


अगर किसी मनुष्य प्राणी की मृत्यु नैसर्गिक न होकर, अनैसर्गिक होती है...जैसे आत्महत्या करना, एक्सिडेंट, सर्पदंश, हत्या जैसी अनैसर्गिक मृत्यु होती है तो,उसकी आत्मा तडपती रहती है।और इसी कारण न उन्हें मोक्ष मिलता है अथवा ना ही दूसरे योनियों में तुरंत प्रवेश।

और देह न होने के कारण अदृष्य होकर रहना पडता है।


अतृप्त आत्माओं को शक्ति भी भरपूर होती है।भूत भविष्य वर्तमान का उन्हें ज्ञान भी रहता है।यह आत्माएं परकाया प्रवेश भी करती है।अथवा सपनों में जाकर किसी के साथ संवाद भी कर सकती है।


जीसकी अंतीद्रीय शक्ति जागृत है उसको यह अदृष्य शक्तियों के स्पंदन जादा मिलते है।


और ईश्वरी कृपा से मेरी अंतीद्रीय शक्ति ( थर्ड आय ) जागृत होने के कारण मुझे ऐसे अनेक गूढ विषयों का आकलन तुरंत हो जाता है।


मुझे खुद पिशाचों के अनेक अनुभव कभी कभी आते है।जो आगे विस्तार से लिख रहा हुं।


वातावरण में जो इथर होता है उसी इथर को धारण करके ऐसी आत्माएं अनेक बार देह धारण करने की कोशिश करते है।अगर इथर पूरा नही मिलता है तो उनका अधूरा देह ही दिखाई देता है।इसीलिए अगर अज्ञान जीव को ऐसा दृष्य दिखाई देता है तो डर के मारे ऐसे लोगों की स्थिति भयंकर होती है।


अनेक तांत्रिक मंत्र शक्तियों द्वारा पिशाचों को वश करके बुरे कर्म भी कर सकते है।मगर वास्तव में पिशाचों को वश करके बूरे कर्म करनेवाले बहुत कम मांत्रिक होते है।

लोगों को डरा धमकाकर पैसा हडपने वाले भोंदु ही जादा होते है।


अब मेरे खुद के कुछ अनुभव देता हुं।


मृत्यु के बाद अनेक आत्माएं मुझे सपनों में संपर्क करते है।बाते करते है।तो कुछ आत्माएं मुझे मोक्ष की माँग करते है।


जब मैं रामकृष्णहरी यह मंत्र पढकर मेरी तर्जनी उसके आज्ञाचक्र पर रखता हुं तो मेरी तर्जनी से दिव्य शक्ति निकलकर उसको उस अतृप्त योनी से मुक्ति मिलती है...ऐसा मैंने अनेक बार महसूस किया है।


मेरे सच्चे प्रेम की वजह से और हर एक के मुसीबतों की घडी में मेरा संपूर्ण सहयोग होने के कारण मेरा मित्र परिवार भी बहुत बडा है।

और इसी वजह से हर मुसीबतों में मैं मार्गदर्शन करता रहता हुं।


तो मेरा एक बचपन का दोस्त था।उसका नाम नहीं देता हूं।

वो हमेशा मेरे पास आकर कहता रहता था की,

वह आत्महत्या करेगा।


तो मैं उसको बारबार ऐसा नहीं करने की सलाह देता था।मैं उसको बारबार यह समझा रहा था की,अगर तुने आत्महत्या की,तो तुझे पिशाच बनकर जीना पडेगा।

और वहाँ पिशाच योनी में भयंकर दुखदर्द, यातनाएं, क्लैश भोगने पडते है।ना खाना होता है और नाही पाणी।


भटकती,तडपती हुई अदृष्य, अतृप्त आत्मा।


मेरे समझाने के बाद भी उसने सचमुच में एक दिन आत्महत्या कर ली।फाँशी लगवाकर उसने देहत्याग कर दिया।


और कुछ दिनों बाद...

वही मेरा मित्र सपनों में आया और मुझे बोला...


मैंने तेरी बात नहीं मानी।और आत्महत्या कर ली।

और मैं सचमुच में पिशाच बन गया हुं।देख मेरे उल्टे पाँव...


मुझे ऐसा कहकर वह मित्र अदृष्य हो गया...


इसिलए दोस्तों,

समय कितना भी कठिन हो...

आत्महत्या का विचार कभी भी मत करना।

यह भी दिन जायेंगे...

ऐसी मन को सूचना देकर ईश्वरी चिंतन अथवा गुरूमंत्र का जाप करना साथियों।

दुखदर्द का समय भी चला जाता है।इसीलिए ऐसी नकारात्मक विचार धारा मन में कभी भी नहीं आने देना चाहिए मित्रों।


अब दूसरे कुछ पिशाचों के मेरे अनुभव बताता हुं।


अर्जुन नाम का हमारे घर में एक कामगार था।उसको एक औरत पिशाच ( चुडैल ) ने जकड़ लिया था।बडी मुश्किल से उस पिशाच ने उसको छोडा था।अर्जुन ने मुझे जो विस्तार से बताया था, उसका विश्लेषण किसी अगली किताब में या लेख में करूंगा।यह संपूर्ण स्वतंत्र विषय है।


मैं  किराए के मकान में रहता था।तब मुझे कुछ अनुभव आये थे।उसका थोड़ा विष्लेषण करता हुं।


एक घर में एक औरत मेरे सपनों में आकर मुझे हमेशा यह कहती थी की,

तु इस घर में क्यों रहता है ?

तु हमेशा जाप करता रहता है,इसीलिए मुझे बहुत तकलीफ होती है।तु यहाँ से निकल जा।


मैं जब मंत्र जाप करता था और मेरी तर्जनी से निकलने वाली दिव्य  शक्ति जब उसे घेरती थी तब वह चिल्लाकर दूर भाग जाती थी।मेरी बेटी के भी सपनों में वह चुडैल आती थी और तकलीफ देती थी।मेरी बेटी को भी निंद में भी उस चुडैल का एहसास होता था।और हाथ पर हाथ रखती थी।ठंडे हाथ का एहसास बेटी को भी होता था।और कभी कभी उस चुडैल के उंगलियों के निशान भी बेटी के हाथ पर दिखाई देते थे।


बाद में मैंने उसी बिल्डिंग के वाँचमन को इसी विषय पर पुछताछ की तो उसने मुझे बताया...


आप यहाँ रहने को आने से पहले एक बिहारी परिवार यहाँ रहता था।और पतपत्नी में झगडा होने के बाद उस औरत ने खुद को जलाकर आत्महत्या की थी।


रात को एक बजे के करीब भी मुझे वह चुडैल प्रत्यक्ष देह धारण करके दिखाई देती थी।


मेरे मंत्र शक्तियों द्वारा मैंने उसका पूरा बंदोबस्त करने के बाद वह चुडैल वहाँ से सदा के लिए गायब हो गई।


दूसरा एक अनुभव है।किराए के घर में मुझे और मेरी पत्नी को रात को किसिके भागने की चप्पल की आवाजे सुनाई देती थी।बर्तन गिरने की आवाजें सुनाई देती थी।मगर जब हम देखते थे,तो वहाँ पर कोई भी नहीं होता था।


बाद में समझ गया की,उस जगह पर भी एक औरत ने आत्महत्या की थी।उसका भी मैंने मंत्र शक्तियों द्वारा बंदोबस्त कर दिया था।


साथियों,

और भी मेरे जीवन के ऐसे अनेक किस्से है।समय के और लेखन सिमा के अभाव से यह विषय यहाँ पर ही समाप्त करता हुं।

मिलते है अगले लेख में ....

इसी विषय पर या अन्य विषय पर।


तबतक के लिए,

हरी ओम्

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विनोदकुमार महाजन

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