कितने गिरे हुए हो तूम

 कितने गिरे हुए हो तूम ???

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पूरे देशवासियों, संपूर्ण पृथ्वी के मानवताप्रेमीयों,सभी धर्मीय भाई - बहनों....

मेरी बात आप सभी को गौर से सुननी ही है,मेरा लेख अंत तक पढना ही है।


और हो सके तो आपको इसपर प्रतिक्रिया भी देनी है।


ज्ञानवापी का सत्य देखकर और वहां के खुदाई में निकले शंभू महादेव की अनेक सालों की दुर्दशा देखकर,

मेरे आँखों में आँसु आ गये।

साक्षात मेरे महादेव की इतनी भयंकर दुर्दशा ?

सचमुच में कितने गिरे हुए तुम हो ?

और तुम्हारे साथ प्रेम, भाईचारे का नाता ही हम आखिर क्यों रखें ?

कितने दिनों तक रखें ?


सचमुच में इतनी दुर्दशा मेरे महादेव की तुमने बनाई है...और यह सत्य जानते हुए भी तुम्हे कभी बूरा नही लगा मेरे...

" भाईयों ???" 

सचमुच में बूरा नही लगा आपको ? या आप में से किसी को भी ? किसी एक को भी ?

मेरे महादेव को आप वहां जाकर बारबार रौंदते रहे।मेरे महादेव को अपमानित करते रहे...बारबार...।


कितना प्रेम किया हमने तुमपर ?

अपना भाई समझकर ?

हम सहिष्णू...

सभी पर निरंतर, निरपेक्ष, निस्वार्थ, निर्वाज्य प्रेम करनेवाले और तुमपर प्रेम ही किया ना तूम पर...हमनें...?

भाई समझकर ?

सदीयों से ?

और सचमुच में तूम इतने निर्दयी निकले ?


क्या नही किया हमने तुम्हारे लिए ?

एक भाई का सच्चा रिश्ता निभाने के लिए ?


तूम सभी को हमारे कंधेपर रखकर, सदैव तुम्हे उंचा स्थान देते रहे।तुम्हे सरपर लेकर नाचते रहे।


और तूम....???

मेरे महादेव को बारबार अपमानित करते रहे ?


क्या नही किया रे भाईयों हमने तुम्हारे लिए ?

एक अलग मुस्लिम देश पाकिस्तान देकर भी हमारे देश में भी बडे प्रेम से आपको भाई समझकर स्थान भी दिया।

हमारे अधीकार कम करके आपको विशेषाधिकार भी दिये।


हमने एक पत्नीत्व कानून स्विकारा और आपको बहुपत्नीत्व का अधिकार भी बहाल किया।

आपको बारबार सबसिडियाँ भी दी,देते रहे।

हमारे टैक्स के पैसों से,हमारा भाई समझकर अनेक प्रकार की सुविधाएं भी दी।

हज जाने के लिए भी...

हमने कभी रोना नही रोया।

बडे प्रेम से आपको गले लगाते रहे।

आपके प्रार्थना स्थलों में जाकर, हर जगह पर ईश्वर का एक स्वरूप समझकर, वहां मथ्था भी टेकतें थे ?

सच है ना ?


और इतना होने के बावजूद भी,

आपने मेरे महादेव को अनेक सालों तक इतना भयावह तरीकों से अपमानित भी किया ?


हमारे भावनाओं के साथ कितना क्रूरता से खिलवाड भी किया तुमने ?

कितना भयंकर अपमानित किया तुमने हमें ?हमारे देवीदेवताओं को ?

हमारे महादेव को ?


हमारे प्रेम का,भावनाओं का,आखिर क्यों मजाक उडाते थे तुम दोस्तों ???


एक भी तुम्हारा साथी,अथवा हमारा भाई...आगे आकर हमें इस सच्चाई के बारें में आगे आकर,हमें क्यों नही बताता था ?

एक भी नही ?


मतलब...भाईचारे का,प्रेम का यह सब नाटक ही था तुम्हारा ?

हमारे भोलेपन का फायदा उठाकर हमें फँसाने का,हमें समाप्त करने का,हमें नेस्तनाबूत करने का,

केवल और केवल यह एक तुम्हारा 

" शक्तिशाली ",

ड्रामा ही था ?


क्यों ? कैसे ? और कितने दिनों तक हम आपपर विश्वास करें ?

भरौसा करें ?

क्यों ?


एक ज्ञानवापी का सच बाहर निकला है।

और ऐसी कितनी ज्ञानवापी है इस देश के अंदर ? और विश्वस्तर पर ?

जहाँ जमीन के निचे सत्य दफनाया गया है ?

मेरे श्रद्धा को दफनाया गया है ? मेरे विश्वास को दफनाया गया है ?

मेरे आदर्शों को दफनाया गया है ?

मेरे मठो मंदिरों को दफनाया ईया है ?

मेरे संस्कृती को तबाह किया है ?


आखिर क्यों ?


मेरे भाईयों,

आज तुम्हारी आत्मा को हिलाहिलाकर,जगा रहा हुं।


सत्य को जानिए,सत्य को समझिए।


यह मेरा लेख केवल सभी को पढने के लिए नही लिख रहा हुं।

आत्मचिंतन किजिए।

सत्य का स्विकार किजिए।


और अगर आपकी आत्मा सचमुच में जाग उठी..तो...!!!


मूल का ...एक ही

डि.एन.ए.का एक सिध्दांत स्विकार किजिए।


अगर मेरे महादेव को इतने सालों तक,इतने भयंकर तरीकों से अपमानित करने का सत्य स्विकार है...

तो....

पश्चाताप किजिए।

मेरे महादेव की क्षमा मांगिए...

और जो तुम्हारे पूर्वज आदर्श सनातन के रास्ते से चल लहे थे...

वही रास्ता फिरसे अपनाईये,वही रास्ता फिरसे दोहराईये।


मेरे महादेव के अपमान का अगर आपको सचमुच में पश्चाताप होता है..तो ही हम आपको ,हमारे भाई के रूप में स्विकार करेंगे।

और इससे भी आगे बढकर...,

एक जबरदस्त...

घरवापसी की शक्तिशाली...

लहर बनेगी...

तभी हम आपपर विश्वास करेंगे,भरौसा करेंगे।


अन्यथा यह एक

" नौटंकी  " का जाल और खेला समझकर आपपर कभी भी विश्वास और भरौसा नही करेंगे।


झकझोर किया ना मेरे इस लेख ने सभी को ?

अगर सचमुच में आप सभी झकझोर हो गये है...

तो ही हमें भाई समझकर हमारे गले लग जाईये।


जो तुम्हारे" भाई " हमारे खिलाफ भडकाने का काम कर रहे है,उनको...

पैसे कमाने का उनका

" बिझनेस " जरूर करने दिजिए।

बस्स...आप उनपर ध्यान मत दिजिए, अथवा उनका सहयोग भी मत किजिए।


उल्टा उनके साथ बहिष्कार किजिए।

संपूर्ण बहिष्कार।

खुलेआम।

तभी हम,

आपको भाई के रूप में स्विकार करेंगे।


क्रांती की लहर लानी है...

अगर दुनिया बदलनी है...

तो...बडे मन से सत्य का स्विकार किजिए।


और सत्य सनातन की जय हो

ऐसा बारबार आवाज दिजिए।

नारा लगाईये।

सब मिलकर।

एक साथ।

एक ही आवाज में।


तभी हम आपपर अब भरौसा करेंगे।

अन्यथा,

कसम उस महादेव की,

आपके भाईचारे का नाता हम

अब संपूर्ण रूप से समाप्त कर देंगे।


जो असली है,

वह वापिस जरूर आयेंगे।

तभी हम भाई कहलाएंगे।

और जो नकली है,

वह सदा के लिए दूर चले जायेंगे।


और एक महत्वपूर्ण बात,

अगर हमने आपपर सच्चा प्रेम ही किया है...

तो आप सभी को भी...

हमारे साथ प्रेम ही करना चाहिए।

और एक महत्वपूर्ण बात,...

हम सभी का ...

जीना हराम करने वाले,

घुसपैठीयों को बाहर निकालने की हमारे मुहिम में...आपको,

हमारा पूरा साथ देना ही चाहिए।

हमारा पूरा समर्थन करना ही चाहिए।


तभी और तभी हम आपको हमारा...

आदर्श भाई समझेंगे...

और सहयोग भी करेंगे।

प्रेम भी करेंगे।


अन्यथा ?

अलविदा...

गुड बाय...


हर हर महादेव

जय जय शिवशंभू

हर हर भोले

जय महाकांल


हरी ओम्

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विनोदकुमार महाजन



इसका पूरक एक दूसरा लेख...


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कौन नहीं जानता था कि द्वादश ज्योतिर्लिंग में एक काशी विश्वेश्वर के मन्दिर को तोड़कर ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण हुआ है, बल्कि बहुत से लोग तो विश्वनाथ का दर्शन करने के पश्चात विश्वेश्वर के उस प्राचीन स्थान की ओर मुख करके अवश्य नमन करते थे, लेकिन स्वाधीनता के पचहत्तर वर्ष व्यतीत हो गए और कोई भी उसके अंदर झांकने का साहस नहीं कर सका, क्योंकि भारत की सत्ता उन महान लोगों के हाथ में थी जो सत्ता के लिए रात को दिन, असत्य को सत्य,कदाचार को सदाचार , अवैध को वैध, कुतर्क को तर्क कहने के अभ्यस्त थे। यही नहीं उन्होंने सम्पूर्ण व्यवस्था को ही ऐसे सांचे में ढाल दिया कि  जो अपने को जितना अधिक प्रबुद्ध और महान सिद्ध करने की कोशिश करता था उतना ही अधिक सत्य बोलने के प्रति संकोची दिखाई देता था। 


राजनीतिक नेतृत्व से लेकर जनसामान्य तक में विराधाभासों के समन्वय की अजीब उत्सुकता दिखाई पड़ती है। अपने पूर्वजों पर अत्याचार करनेवालों का गुणगान करना, अपने ही लोगों में कमियाँ खोजना यह बौद्धिक महानता का पर्याय बन चुका था। यह भाव आज भी बहुत से लोगों में यथावत बना हुआ है, लेकिन कुछ वर्षों से लोगों की जागरुकता और राजनीतिक नेतृत्व की स्पष्टता ने देश को यथार्थ बोध की और उन्मुख किया है। आज देश अपने अतीत के सत्य को जानना चाहता है, अपनी अस्मिता को समझना चाहता है, अपने अपमान का परिमार्जन चाहता है, अपनी आस्था, विश्वास और गौरव के उन स्थानों की पुनर्प्रतिष्ठा चाहता है जिन्हें अकारण ही रौंद दिया गया। वह अब अपनी भूलों का मूल्यांकन करना चाहता है और अपनी कमजोरियों का निराकरण करना चाहता है। अब भारत जाग चुका है।( लेखक : - अनभिज्ञ )


और पूरा भारत भी जाग रहा है।

पूरा विश्व भी जाग रहा है।


इसिलिए...

अत्याचारी, आक्रमणकारीयों का साथ छोडिए,राष्ट्रवाद से नाता जोडिए...

तभी आपको हमारा भाई कहलाएंगे।

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संकलन : - विनोदकुमार महाजन

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