जाल है ये

 " जाल " की काट खोजो 

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भयानक जाल बिझाया है,

हर जगहों पर, जगहों जगहों पर

" विशिष्ट " आदमी लगा के रखे है....

जो भी आगे आने की कोशिश करेगा,

साम,दाम,दंड,भेद नितीद्वारा चकनाचूर किया जायेगा।


क्या दिमाग लगाया है ?


मगर इस भयंकर जाल की भी काट निकाली ही उस पठ्ठे ने।


नाम है पठ्ठे का :- नरेंद्र दामोदरदास मोदी


भयंकर जाल की काट खोजकर,

370 हटाया जो नामुमकिन सा लग रहा था।

राममंदिर बनवाया जो कोर्ट में लटका गया था।


अब हिंदुराष्ट्र और हिंदुहितों के लिए भी काट खोजनी होगी।

ठंडे दिमाग की काट।

कानूनी काट।


निकालेगा वह बंदा,

काट जरूर निकालेगा।

वह भी कानून के दायरे में रहकर।


क्या भयानक षड्यंत्र था।

बहुसंख्यक समाज को कानूनी तरीकों से काबू में रखकर समाप्त करने का....

जहरीला षड्यंत्र।


और उपर से ?

षड्यंत्रकारी ही भगवान बन बैठे।

आज भी पुतलों में बैठे है।

भगवान बनकर।


जाल लगाकर अनेक राष्ट्रप्रेमीयों को,महात्माओं को...

बरबाद कर दिया।

आज भी यह सिलसिला चालू ही है।

" महत्वपूर्ण " स्थानों पर

" उनके आदमी " हर जगहों पर पहरेदारी कर रहे है।

राष्ट्र निर्माण में बाधाएं डाल रहे है।आतंकीयों के पक्ष में खडे रह रहे है...बिलकुल गुप्त रूप से...गुप्त एजेंडा चला रहे है...आज भी...और हम ?

मजबूर ।

कानूनी मजबूरी।

बहुसंख्यक होकर भी।

और लोकतंत्र में बहुसंख्यक की कीमत होने पर भी।


झारी में बैठे आधुनिक शुक्राचार्य।

समझे कुछ ?


और आज इसकी तोड ?

कानूनी तोड ?

ना के बराबर।

या फिर,

घटना दुरूस्ती...

विधेयक लाकर।


लोकसभा, राज्यसभा और राष्ट्रपती...

लंबी प्रक्रिया।


ठीक इसी प्रकार से ही कानूनी दांवपेंच खेलकर...

बहुसंख्यक समाज के हितों के लिए...

हिंदुराष्ट्र बनाने का कार्य भी भयंकर जटिल बना दिया है।

बहुत जोर लगाना पडेगा,

उद्दीष्ट पुर्ती के लिए।


" वह " बंदा जरूर काट निकालेगा।

निकालकर ही रहेगा।

राम मंदिर ,370 की तरह


फिर भी,

कुछ बिमारीयों को कानूनी तरीकों से खत्म करने के लिए,

घटना दुरूस्ती विधेयक तो

लाना ही पडेगा।

पेंच ही ऐसा फँसा है की पूछो मत।

कानूनी दांवपेंच चलाकर...

घुसपैठीयों को बाहर निकालने के नेक काम में भी अनेक कानूनी अडचनें और मुसिबतों का हर दिन का सामना

और " सिस्टीम " का दुरूपयोग।


सुनकर,देखकर सर चकराने लगता है।और गरम भी होने लगता है।

ऐसा लगता है की...

कोई गर्म दिमाग का आदमी

सर्वोच्च सत्तास्थान पर विराजमान हो

और....

एक दिन में खेल खतम

राष्ट्रद्रोहीयों को तुरंत और.सख्त,कठोर शासन।

किसी की हिम्मत ना हो राष्ट्र द्रोह करने की।

किसी की हिम्मत ना हो धर्म को बदनाम करने की।

किसी की हिम्मत ना हो देवीदेवताओं को बदनाम करने की।

सख्त कानून और सख्त सजा।

कब होगा ऐसा ?

कब न्याय मिलेगा बहुसंख्यक समाज को ?

कब न्याय मिलेगा सत्य के रास्ते पर चलनेवालों को ?


आपने वह,

अनील कपूर की,

नायक,

फिल्म,

देखी है ना ?

एक दिन में फटाफट न्याय।

और एक दिन में फटाफट निर्णय।

काश,

मेरे देश में भी ऐसे कानून होते...

तो सभी को तुरंत न्याय मिल जाता।


मगर,

सिस्टिम,

जाल,

और खेला...

भयंकर आंदरूनी खेला।

सत्यानाश हो गया सारा।

पूरा का पूरा सिस्टिम ही बिगाड डाला।


सत्य और सत्यवादी सर उपर उठाने की कोशीश करता है ...

तो...

टार्गेट... और...

प्रहार, गुप्त प्रहार...

खेल खतम।

कितने शिकार हो गये आजतक

टार्गेट और प्रहार के ?


इसिलिए अब...

निती ही ऐसी चलानी होगी...

की...

बस्स्...केवल और केवल यश

यश ही यश


और तुरंत हिंदुराष्ट्र निर्माण 

और हिंदुहितों के कानून।


कौन करेगा यह ईश्वरी कार्य ?

जिसकी आस लेकर पूरा बहुसंख्यक समाज इंतजार कर रहा है।

बेसब्री से।


न्याय कब मिलेगा न्याय ?

कौन देगा न्याय ?

तुरंत ?


पर्दे के पिछे का षड्यंत्र खतम हो,बिझाया गया जाल समाप्त हो...

षड्यंत्रकारीयों का असली मुखौटा सामने हो।

और...

जाल....

धाराशाई हो...


तब हिंदुराष्ट्र बनने को कोई नही रोकेगा।कोई टोकेगा भी नही।

और सत्य को न्याय मिले।

और हिंदुराष्ट्र का निर्माण तुरंत हो।


जयतु हिंदुराष्ट्र


हरी ओम्

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विनोदकुमार महाजन

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