जब जीवन जिने की इच्छाशक्ति समाप्त होती है...तब...
*जब जीवन जिने कि इच्छाशक्ती* *समाप्त होती* *है....तब....*
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जब अनेक सालों तक कठोर तपश्चर्या, कडी मेहनत, कडा संघर्ष करनेपर भी,अपेक्षित यश,परिणाम नही मिलते है...तब आदमी हताश, उदास हो जाता है।उद्विग्न हो जाता है...अनेक जहर के सागर पार करने पर भी,अथवा अनेक जालिम जहर हजम करने के बाद भी,जब अपने ही भयंकर आत्मक्लेश देते है ... तब उद्विग्न होना,अथवा जीवन के प्रती उदासीन होना सहजस्वाभाविक ही होता है।
ऐसे समय में किसी महापुरूषों, पुण्यपुरूषों द्वारा कुछ अच्छी घटनाएं होती है..तब आत्मक्लेश, उदासी नाराजी समाप्त होती है।और मन में फिरसे नवचैतन्य की लहर सी दौड आती है।
मेरे दादाजी,अर्थात मेरे सद्गुरू आण्णा के देहावसान के बाद मुझे,उद्विग्न मनस्थिती में मानसिक आधार देकर, प्रेरणा देकर,आगे का रास्ता दिखाने वाला कोई नही था।
जहर देनेवाले तो बहुत मिले जालिम दुनिया में...
मगर जहर हजम करने की शक्ती देनेवाला कोई नही मिलेगा...
मुसिबतों की घडी में।
मगर सत्पुरूषों के आधार के दो शब्द भी उदास मन को,नवसंजीवनी देकर कार्यान्वित करने की क्षमता रखते है।
प.पू.पंडित लक्ष्मण बालयोगीजी ने मुझे अनेक बार ऐसी दिव्य अनुभुतीयाँ दी है।
आभार यह शब्द अलौकिक तत्त्व में नही बैठता है।
कृतज्ञता व्यक्त करना भी ठीक रहेगा।
मगर सबसे बेहतर यह होगा की,
बहती नदी की तरह फिर से,ईश्वरी कार्य को आगे बढाते रहना और कार्य यथाशिघ्र सफल बनाना ही कृतज्ञता व्यक्त करने से बेहतर होगा।
वैश्विक कार्य की तुरंत सफलता के लिए, स्वामिजी को मैं आशिर्वाद भी क्यों और कैसे माँग सकता हुं।
मन की स्थिति जानकर, न माँगते हुए भी बहुत कुछ या सबकुछ मिल जाता है...वही गुरूतत्व होता है।
इसीलिए माँ और गुरु ही विश्व में सबसे सर्वश्रेष्ट समझे जाते है।क्योंकि दोनों जगहों पर...
केवल और केवल अखंड कल्याण की ही अभिलाषा होती है।
स्वामी बालयोगीजी ने मुझे उनके अनेक कार्यों के लिए योग्य समझा और मुझपर जो दाईत्व सौंपा है...उसको पूरा करने के लिए जी तोड मेहनत करूंगा,
और वैश्विक स्तर पर...
भगवान का भगवा लहराने के,सनातनी कार्यों को यथाशिघ्र गती प्रदान करूंगा।
*हरी ओम्*
*विनोदकुमार महाजन*
अब स्वामिजी द्वारा👇👇👇 मेरी नियुक्ति के बारें में....
*!! __दिल्ली के 60 विधायकों को अयोग्य घोषित करने हेतु विशेष रणनीति बनाई गई!!__!! हरि ऊॅं तत्सत। भारत का संविधान के अनुच्छेद 191 और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के अंतर्गत दिल्ली के 60 विधायकों को अयोग्य घोषित करने हेतु उनके विरुद्ध आज दिनांक 18.05.2022 को Spritual and Political Management for Public Justice के द्वारा विश्व पुरोहित यजमान न्यास परिसंघ के सानिध्य में पंडित लक्ष्मण बालयोगी के नेतृत्व में विशेष रणनीति बनाई गई। उक्त रणनीति को साकार रुप देने के लिए कार्ययोजना एवं प्रबंधकीय समिति के लिए अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त पत्रकार श्रेद्धय विनोद कुमार महाजन, संजीव भाटी,योगी कैलाशनाथ, योगी माथुर, मणिकेश चतुर्वेदी, अनिता आर्या, संजय चौहान इत्यादि को अधिकृत किया गया है, जो कि आज दिनांक 18.05. 2022 को तत्काल प्रभाव से लागू किया जाता है। ज्ञात हो कि दिल्ली विधानसभा के 60 से ज्यादा विधायकों ने दिल्ली की जनता और मतदाताओं के साथ भेदभावपूर्ण व्यवहार और भारत का संविधान के अनुच्छेद 14 एवं अनुच्छेद 21 का जानबूझकर उल्लंघन करते हुए उनके निजता के अधिकार को तार तार करते हुए उन्हें उनके मौलिक अधिकारों से वंचित किया है। हम माननीय विधायकों का सम्मान करते हुए उनके कुकृत्यों सार्वजनिक करने से परहेज़ कर रहे हैं।जब इनके विरुद्ध सभी साक्ष्यों को माननीय न्यायालय और महामहिम उप राज्यपाल दिल्ली के समक्ष प्रस्तुत कर दिया जाएगा,तब उसे वैश्विक स्तर पर सार्वजनिक कर दिया जाएगा।अलख निरंजन।। जारीकर्ता पंडित लक्ष्मण बालयोगी प्रबंधकर्ता विश्व पुरोहित यजमान न्यास परिसंघ*
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