जीवन का सफर

 जीवन का सफर !


जिनके लिए जान

हथेली पर लेकर चला,

उन्होंने ही धोके दिए

तो क्या करें ?


खूब प्रेम भी किया दुनिया पर,

मगर नफरत के बाजार में,

प्रेम के बदले जहर ही मिला

तो क्या करें ?


जिनके सुखों के लिए

ह्रदय निकालकर दिया,

उन्होंने ने ही पीठ में

खंजर धोंप दिया,


तो दोष किसका ?


रोने के लिए अब

आँखों में अश्रू भी ना बचें,

तो व्यर्थ का रोना भी

बंद हुवा !


यही दुनिया है,

यही दुनिया दारी भी है यारों !


इसी का नाम है जिंदगी,

इसी का नाम है जीवन

जीवन का सफर ,

चलता जा प्यारे,चलता जा !


बिना थके,बिना हारे

खुद के लिए ना सही,

ईश्वर के लिए,

ईश्वरी सिध्दांतों के लिए,

मस्त कलंदर बनकर,

आगे आगे बढता जा प्यारे !


मंजील मिलने की ,

मंजील की ओर बढने की,

चिंता छोडकर,

एकेक कदम बढता जा !

जीवन का सफर,

पूरा करने के लिए,

आगे आगे चलता जा !


आगे आगे चलता जा !


विनोदकुमार महाजन

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