ऐ मुगल ए आझम

 ऐ,मुगल - ए - आझम

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ऐ,मुगल ए आझम

तेरा वक्त आ गया है

अब तुझे तेरे मंगोलिया

वापस लौटने का !


यहाँ आकर तुने तो

बहुत लुटपाट की,

अत्याचार किए...!

लुटारू बनकर तुने

बहुत अनाचार भी किए !


भरकस कोशीश की तूने

हमारी आदर्श संस्कृती

सदा के लिए समाप्त करने की

हमारे आदर्शों को दफनाने की !


हमारे ही लोगों का मनोबल

तोडा तुने तलवार की

तेज धारपर और उन्हे भी 

गुलाम बनाया

जीवनभर के लिए तुने !


मगर अब तेरे पापों के 

पूरे के पूरे घडे भर गये है,

क्योंकी अब हमारा....


 *शंभू महादेव ही खुद* 

जाग गया है !


और जमीन के निचे से

अब महादेव तुम्हारे

सर्वनाश के लिए खुदाई में

उपर उठकर खुद आ गया है !


अब तुम्हारा सर्वनाश पक्का 

तय है,

ऐ - मुगल - ए - आझम

सदा के लिए, बोरा बिस्तर

लपेटकर तेरा मंगोलिया भाग जाने का,

समय अब नजदीक आया है !


ऐ - मुगल - ए - आझम

जल्दी लौट जा यहाँ से...

मंगोलिया के लिए,

तेरा पूरा नामोनिशाण मिटाकर !


अब बाबरी भी हट गई,

हट जायेंगे पूरे के पूरे

तेरे पापों के कलंक और 

पापों के कलंक के...

पूरे नाम !


लुटारू,खूनी, आक्रमणकरी,रक्तपिपासु

औरंग्या का भी,अकबर का भी

नामोनिशाण मिट जायेगा

अब सदा के लिए...

इस धरती से,


क्योंकी *मेरा शंभू महादेव* 

अब जाग चुका है !


और " मेरे घरवाले भी " 

आयेंगे सारे के सारे" घरवापिस,"

क्योंकी वह भी तेरी

पाप की भयंकर जालिम असलीयत जान चुके है !


ऐ  जालिम - मुगल - ए - आझम

भाग जा मंगोलिया अब...

यहाँ से सदा के लिए,

क्योंकी अब तेरी यहाँ

खैर नही !

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विनोदकुमार महाजन

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