रामजी और कृष्ण परमात्मा।खुद ईश्वर।विष्णु अवतार।फिर भी अनेक कठोर अग्नीपरीक्षा तथा सत्वपरीक्षांएं देनी पडी।अनेक संकटों से सतत जुंझना पडा।भयंकर कठोर संघर्षमय जीवन।फिर भी "यशस्वी",जीवन।अनेक प्रकार की उंचाईयां संघर्ष से ही प्राप्त की। तो हम कौन?मतलब हमें भी,"यशस्वी",होने के लिए कितना संघर्ष करना पडेगा? मगर मित्रों हम हारेंगे नही।हम सभी अपने मकसद में जीतकर ही रहेंगे।तो??? चलो सभी एक साथ उद्दीष्ट पुर्ती के लिए हिम्मत से-धैर्य से-थंडे दिमाग से-संयमपूर्वक ,"मंजील",की ओर बढे।और यशस्वीता खिंचकर लायें।तैय्यार हो जावो। मैं भी आजतक सद्गुरु की अनंत कृपा से जीत गया हुं।कैसे? नशीब-प्रारब्ध-कर्म के विरुद्ध भयंकर घनघोर युध्द।मैदान में अकेला।कठोर ईश्वरीपरीक्षाएं,अग्नीपरीक्षाएं । मैं भी पिछे नही हटा।लडता रहा।सत्य के लिए।सत्य की जीत के लिए।सिध्दांतो के लिए।दस दिशाओं पर अकेला ही हिम्मत से लडता रहा।भयंकर यातनादायक अथक-सतत-चौबिसो घंटों का नरकतुल्य जीवन और संघर्ष था।आप सभी विश्वास भी नही करेंगे इतना अती भयंकर क्लेशदायक जीवन। साक्ष?निराकार ब्रम्ह। फिर भी मैं आज जीत गया।नशीब पर,नीय...
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