आत्मा बेचकर

 खुद की आत्मा बेचकर

दूसरों के सोने के

राजमहाल में कोई

कैसे रह सकता है ?


स्वाभीमानशून्य और 

लाचार जीने से मृत्यु भी 

बेहतर होती है


विनोदकुमार महाजन

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