हिंदुराष्ट्र बनाना कितना आसान कितना मुश्किल ?

 हिंदुराष्ट्र बनाना कितना आसान

कितना कठिन ?

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हिंदुराष्ट्र निर्माण के लिए कितने प्रतिशत हिंदु सही मायने में जागृत है,यह एक संशोधन का विषय है।


बींस पच्चीस प्रतिशत हिंदुसमाज ही हिंदु राष्ट्र बनाने के लिए उत्सुक है ऐसा लगता है।

बाकी देहात से लेकर बडे बडे शहरों तक लगभग साठ से पैंसठ प्रतिशत हिंदुसमाज गहरी नींद में है।

यह समाज रोजी रोटी में ही इतना अटक गया है की,उसे धर्म पर हो रहे आघात, संस्कृति पर हो रहे हमले इससे कुछ लेनादेना ही नही है।

ईश्वरी सिध्दांत अथवा धर्म जागृती के प्रती ऐसा समाज अनभिज्ञ तो है अथवा योग्य, संस्कार क्षम शिक्षाप्रणाली के अभाव से निद्रीस्त भी है।

उपर पाश्चात्य संस्कृति का अंधानुकरण।


यह अंधानुकरण समाज के लिए अत्यंत घातक सिध्द हो रहा है।और हिंदु समाज को तोडऩे में सहायक हो रहा है।


जन्म दिन बहुतांश लोग केक काटकर और मोमबत्तियां बुझाकर ही मना रहे है।और ऐसा देहात से लेकर शहरों में भी हो रहा है।


दीपक जलाकर औक्षण करना और आयुष्य वृद्धि के लिए ईश्वर से प्रार्थना करना ही समाज भूल रहा है।


संध्यासमय का शुभंकररोती तो हिंदु समाज तो लगभग भूल ही गया है।

इसके जगह पर कौटुंबिक कलह वाली टिवी सिरियल बडे मजे से देखी जा रही है।जो सुसंस्कृत समाज निर्माण में एक शाप की तरह काम कर रही है।


अगर समाज को जोडना है तो  समाज सेवकोंद्वारा हर जगहों पर संस्कृति संवर्धन के कार्यक्रमों का आयोजन होना अत्यावश्यक हो गया है।


हर मंदिरों में ऐसा व्यापक कार्यारंभ होना जरूरी हो गया है।


बचा हुवा बीस पच्चीस प्रतिशत समाज झूटे निधर्मी वाद के झूले पर आनंद से झूले ले रहा है।और अधर्मीयों का सौ प्रतिशत साथ दे रहा है।मोह , अज्ञान, धर्म के प्रति उदासीनता और अहंकार यह इसकी वजह है।


उपर का एक तार्किक विश्लेषण देखेंगे तो हिंदुराष्ट्र बनाने के बारे में क्या दिखाई देगा ?

हिंदु राष्ट्र बनाना कितना आसान कितना कठिन है...?

इसका उत्तर आज की घडी में देखेंगे तो आज हिंदुराष्ट्र बनाना बहुत कठिन लगता है।


केवल हवा में तीर चलाकर अथवा भ्रम में रहकर हिंदुराष्ट्र नही बनेगा।


हिंदुराष्ट्र निर्माण के लिए समाज एकसंध बनाने के लिए एक जबरदस्त तथा व्यापक,शक्तिशाली जनआंदोलन खडा करने की जरूरत है।

कोई व्यक्ति अथवा सामाजिक संगठन अगर व्यापक जनआंदोलन खडा भी करना चाहता तो भी उसको अनेक मुश्किलों का तथा समस्याओं का सामना करना पड रहा है।अनेक बाधाएं पिछा कर रही है।


मैं खुद एक यशस्वी रणनीति बनाकर राष्ट्रीय तथा वैश्विक, सर्वसमावेशक जनआंदोलन खडा करने की कोशिश में लगातार लगा रहा हुं।मगर विस्तृत साधनों का अभाव होने के कारण आजतक व्यापक जनआंदोलन खडा करने के लिए असमर्थ रहा हुं।

मेरे जैसे अनेक धर्म योध्दे लगातार कोशिश तो कर ही रहे है।मगर उन्हें भी सुविधाओं का अभाव और आपस में लगाव की कमी और जादा मात्रा में सामाजिक उदासीनता,धन का अभाव इसी कारण से व्यापक जनआंदोलन खडा करने में अनेक मुश्किलों का सामना करना पड रहा है।


उल्टा हिंदुराष्ट्र बनने में बाधाएं उत्पन्न करनेवाली व्यापक रणनीति विधर्मी और अधर्मीयों द्वारा जोरशोर से कार्यरत है।और हमारे समाज के कुछ लोग उनको ही जादा सहायक होते जा रहे है...यह अत्यंत क्लेशदाय है।

और कानूनी तरीकों से आज इसकी काट भी नही दिखाई दे रही है।


शिवाजी महाराज की जबरदस्त रणनीति, अथवा चाणक्य नीति ही यशस्विता की ओर ले जा सकती है।और देशद्रोहियों को काबू में ला सकती है।


जमीन के निचे और जमीन के उपर भी,देशविदेशों से ऐसे देशविघातक तथा आसुरीक सिध्दातों को बढावा देने का और हमारे धर्म पर प्रहार करने का कार्य और षड्यंत्र तो भयंकर शातिर दिमाग से और भयंकर नितीद्वारा अपनाया जा रहा है।

चाईना, पाकिस्तान सहित अनेक देश ,हमारे देश को तोडऩे की लगातार कोशिश कर रहे है।


अब आखिरी आस लगी हुई है,मोदिजी से।

क्योंकि इस दैवीगुणसंपन्न व्यक्ति में एक व्यापक रणनीति द्वारा भविष्य बदलने की शक्ति और क्षमता निश्चित तौर पर दिखाई देती है।

राष्ट्रीय तथा वैश्विक जनआंदोलन खडा करने की क्षमता मोदिजी में निश्चित रूप से है।

और इसी डर के कारण,अधर्मी तथा विधर्मी डर रहे है।और लगातार अंदरूनी विनाशकारी शक्तियों द्वारा मोदिजी पर प्रहार करने के लिए और उनका मनोबल तोडऩे के लिए... विविध मार्गी योजनाएं बना रही है।

देशविदेशों से भयंकर षड्यंत्र रचा जा रहा है।


मगर मोदी नाम का शख्स भी पूरी तैयारी करके ही मैदान में उतरा है।

इसीलिए आजतक नामुमकिन और असंभव लगाने वाले कार्य भी संभव होते जा रहे है।


राममंदिर निर्माण, धारा 370 यह कार्य सफल बनाना कोई आसान नहीं था।मगर बंदे ने पूरा चक्र ही घूमा दिया।

अनेक सालों की खडतर तपश्चर्या तथा दिनरात अथक प्रयास द्वारा हिंदु राष्ट्र निर्माण की आस अब भारतीयों के मन में जाग गई है।मोदिजी जरूर कुछ बडा कर दिखाएंगे... यही एक आस अब जग गई है।


तर्कशास्त्र, मनोविष्लेशण,ज्योतिषशास्त्र इसके भी आगे जाकर, आध्यात्मिक नजरों से हिंदुराष्ट्र निर्माण की ओर देखते है....

और अदृष्य ईश्वरी शक्तियों के आधार पर देखते है तो...


राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्यापक मात्रा में उथल पुथल होगी और अंतरराष्ट्रीय स्तर के दबाव के कारण हिंदु राष्ट्र तथा अखंड भारत की ओर जाने के लिए आसान हो जायेगा।


मोदिजी के मनोमस्तिष्क को परकाया प्रवेश द्वारा टटोलते है तो आज यही दिखाई देगा की,

वैश्विक स्तर पर कुटनीति द्वारा मोदिजी हरदिन और हर कदम यशस्विता की ओर बडे आत्मविश्वास से बढा रहे है।

और अपनी निती में मोदिजी जबरदस्त बदलाव की शक्ति और क्षमता रखते हैं, और आज की मोदिजी की यशस्वी रणनीति देखकर अब इसिलिए ऐसा लग रहा है की,


भविष्य में हिंदुराष्ट्र जरूर बनेगा ही बनेगा।

और अखंड भारत भी बनेगा। 

भविष्य में तुकडे गैंग का पूरा सफाया हो जायेगा।


शायद ईश्वर भी यही चाहता होगा।

और उसे दिशा में हिंदु समाज भी धिरे धिरे पूरी शक्ति लगा रहा है।


जब देश में अराजकता का माहौल कम होगा और फोकट में खाने की लालसा रखने वालें फुकटे नियंत्रण में आयेंगे,अथवा कानून के द्वारा नियंत्रित किए जायेंगे...

तो हिंदुराष्ट्र निर्माण कार्य को गती मिलेगी।


फुकटे भी देशनिर्माण तथा राष्ट्रनिर्माण में बाधाएं बन बैठे है।

फ्री का लालची समाज और उन्हें भडकाने वाले मुखौटे वाले राजकीय नेताओं का बंदोबस्त अत्यावश्यक हो गया है।

सिध्दांतविहिन समाज को आदर्शों पर और सिध्दातों पर चलने के लिए एक यशस्वी रणनीति की भी जरूरत है।


देखते है भविष्य में क्या होगा ?

समय तो करवट बदल ही रहा है।और सत्य की जीत के लिए सत्ता का प्रयोग भी हो रहा है।


बाकी अगले लेखों में।

हरी ओम्

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विनोदकुमार महाजन

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