हिंदुओं का ठंडा खून
शायद,
हिंदुओं के शरीर में खून नही होता है।अगर होता भी होगा तो भी बिलकुल ठंडा।
गरम खून नही।
इसिलिए हिंदुओं पर कोई कितना भी अत्याचार करें,हिंदुओं का खून खौलता ही नही है।
उल्टा...जो अत्याचार करते है,उसीके ही पक्ष में खडे रहते है।
और जो उनके लिए लड रहा है,उन्ही को ही पिडा, दुखदर्द, तकलीफ, नरकयातना देते है।
सावरकर का उदाहरण।
पाक,बांगला देश,अफगाणिस्तान जैसे न जाने कितने भू प्रदेश गंवाने पडे।
आज भी देश की स्थिती भयावह है।
फिर भी हिंदु मदमस्त होकर, आक्रमणकारीयों को ही सरपर लेकर नाच रहा है।
और राष्ट्र प्रेमीयों को...ऐसी की तैसी बता रहा है।
तेजस्वी, स्वाभीमानी हिंदुओं को ही उल्टा सबक सिखा रहा है।
शाबास रे पठ्ठे मेरे भाईयों।
लगे रहो विनाश की ओर।
और खुद को बर्बाद करते रहो।
मुर्दाड मन का असहाय बेचारा।
खुद के पैरों पर कुल्हाडी मारनेवाला।
सर्वनाश दिखाई देनेपर भी गलती पर गलतीयां कर रहा है।
क्या ऐसी भयावह स्थिती में ईश्वर भी तुम्हे बचाने आयेगा।
शिवशिव....
हे प्रभो,
बचालो इनको।
विनोदकुमार महाजन
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