गंगा मैया आ गई

 गंगामैय्या आ गई,गौमाताओं का भी आशिर्वाद मिल गया।

----------------------------

कुछ ईश्वरी संकेत हमें समझ में आते है,तो कभी कभी हमें ईश्वरी संकेत तो मिलते है,

मगर समझ में नही आते है।


बहुत दिनों से मैं माँ गंगा को और गौमाता को बारबार पूकार रहा था।मगर कुछ संकेत नही मिल रहे थे।

गंगाजल प्राप्त हो इसिलिए भरसक प्रयास कर रहा था।मगर माँ गंगा नही सुन रही थी।

गंगा किनारे रहनेवाले एक मित्र को भी गंगाजल भेजने के लिए बारबार कहता था।


और आज अचानक, एकाएक माँ गंगा बिना माँगे घर में आ गई,प्रकट हो गई।अर्थात बिनामाँगे गंगाजल प्राप्त हो गया।

मतलब साफ है,ईश्वरी विश्व कार्य के रास्ते आसान हो गये।


माँ गंगा के चमत्कार तो सर्वश्रुत ही है।


इसी प्रकार से गौमाताओं के अनुभव भी अनेक पुण्यवंतों को मिलते है।

कुछ दिनों से यह प्रचिती मैं भी महसूस कर रहा हुं।

गौमाता को खाना देने को जाता हुं,तो मेरे हाथों से खाना खाते खाते,वह गौमाता का दूध अकस्मात निकलना शुरू हो जाता है।

मतलब अपने बेटे को देखकर माँ के स्तन से दूध बहना शुरु हो जाता है।

उसी प्रकार से गौमाताओं का भी मुझे यह अनुभव मिला है।मुझे देखकर उसके स्तनों से दूध बहना शुरू हो जाता है।

विशेष योगायोग यह है की,मेरी पत्नी के सामने यह आत्मानुभूती मिल गई।


वैसे तो गौमाता का मेरा रिश्ता भी बहुत पुराना है।जब मैं मेरे छोटेसे गाँव में था,तो एक गौमाता मेरे घर में थी।और उसका एक बछडा था।मुझपर दोनों बहुत स्वर्गीय प्रेम करते थे।यह आत्मानुभूती मैंने अनेक बार महसूस की है।

दोनों मेरे साथ अनेक बार बाते भी करते थे।


जब मेरी गौमाता का देहावसान हो गया तब मैं दुर्देव से दूसरे शहर में था।


तब मेरी वही गाँववाली गौमाता मेरे सपनों में आ गई।और स्त्री की आवाज में मुझे बोली,


" कितनी देर से मैं तुझे ढूंड रही हुं।तु मिल ही नही रहा था।मैं अब स्वर्ग को जा रही हुं।और तुझे बताने के लिए मैं यहाँ आई हुं।"


और सचमुच में मुझे कुछ दिनों बाद समझ गया की,अपनी गौमाता का देहावसान हो गया है।


तब मैं खूब रोया था।

पशुपक्षी भी हमने अगर सच्चा प्रेम किया तो बदले में प्रेम ही करते है।कभी धोका नही देते है।


और मानव ?

कितना भी पवित्र प्रेम करनेपर भी कब धोका देगा और विश्वास घात करेगा,इसका भरौसा नही कर सकते।


शायद आप सभी का अनुभव अलग होगा।


और एक जबरदस्त ईश्वरी संकेत मिला है।मगर वह गुप्त है।समय आनेपर आगे कभी इसके बारे में,विस्तार से लिखूंगा।

विश्व परिवर्तन का यह एक ईश्वरी संकेत है।


इस ईश्वरी संकेत से पता चलता है की,जो अपेक्षित परिणाम,ईश्वरी वैश्विक कार्य सफलता के लिए मैं चाहता था,वह घडी ईश्वर की कृपा से आरंभ हो गई है।

बाकी अगले लेख में।

हरी ओम्

------------------------------

विनोदकुमार महाजन

Comments

Popular posts from this blog

मोदिजी को पत्र ( ४० )

हिंदुराष्ट्र

साप आणी माणूस