प्रकाशमान बनेंगे
प्रकाशमान बनेंगे !!!
✍️ २२०१
विनोदकुमार महाजन
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*अनेक लोग अपने जीवन की समस्याओं को देखकर निराश, उदास हो जाते हैं ! उत्साह छोड़ बैठते हैं ! वे सोचते हैं कि ..."अब मेरे जीवन में क्या बचा है ?*
" कुछ नहीं बचा ! सब कुछ समाप्त हो गया है ! "
ऐसा सोचना ठीक नहीं है !
" सूर्य प्रतिदिन सायं काल को अस्त हो जाता है, पूरा ही चला जाता है ! चारों ओर अंधकार हो जाता है ! लेकिन कुछ समय के पश्चात अगले दिन सूर्य फिर से उदय होता है, फिर से पूर्ववत् चमकता है ! "
इस सूर्य से हम और आप सभी यह सीख सकते हैं, कि " कितनी भी हानि हो जाए, फिर भी कभी उदास निराश नहीं होना चाहिए ! सूर्य के समान पुरुषार्थ करना चाहिए ! " यदि हम और आप फिर से पुरुषार्थ करेंगे, तो अपनी पूर्व स्थिति को फिर से प्राप्त कर सकते हैं ! जैसे सूर्य फिर से चमकता है, ऐसे ही हम और आप भी फिर से चमक सकते हैं ! "
इसलिए सूर्य को ध्यान में रखकर उससे शिक्षा प्रेरणा लेकर , कि... "कभी भी आपत्ति काल में उदास निराश न होंगे ! पुनः पुरुषार्थ करके फिर से स्वयं को चमकाएंगे , तभी जीवन को अच्छी प्रकार से जी पाएंगे !! "
" प्रकाशमान बनेंगे ! "
" देदीप्यमान बनेंगे ! "
हरी ओम्
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