अलौकिक जीवन

 हमारा अलौकिक जीवन !!

✍️ २२१८


विनोदकुमार महाजन


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" अथांग ईश्वर और अथांग ईश्वरी शक्तीयों का सागर !

उसीमें हम कौन ?

एक छोटासा बूंद ! "


" एक छोटासा देह !! "


मगर वह ईश्वरी शक्तीयों का अथांग सागर,

" ना खारे पाणी का है !

ना ही मिठे पाणी का है !

वह तो है...विशालकाय अमृत का सागर !!! "


" हर बूंद में अलौकिक ईश्वर का अस्तित्व ! "


" और हम उसी अमृत सागर की एक बूंद !

एक छोटिसी बूंद !

उसी ईश्वरी शक्तीयों के अथांग सागर से एकरूप होनेवाली बूंद !

उसमें से हमें अलग कौन कर सकता है ? "


हरी ओम्


🙏🙏🙏🙏🙏

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