इनका ? क्या भरौसा ?

 मुझे मंजूर है !!!

✍️ २१९६


विनोदकुमार महाजन

------------------------------


" मैं हमेशा इस बात को स्वीकार करने के लिए तैयार था कि मैं कुछ चीजें नहीं बदल सकता ! "


जैसे ?

१ ) फ्री के लालच में खुद की आत्मा बेचनेवाले लोग !

जैसे,

फ्री की बिजली, फ्री का पाणी के चक्कर में, खुद का और समाज का भी भयंकर घात करनेवाले और अपनें ही पैरों पर,कुल्हाड़ी मारनेवाले ,लालची, आत्मघाती लोग !


२ ) " मोदी तुझसे बैर नहीं,

वसुंधरा तेरी खैर नहीं, "

कहकर, खुद की भयंकर हानी  करनेवाले नतदृष्ट लोग !


३ ) अनेक साल भयंकर खून खराबा, अत्याचार होने के बावजूद भी," उन्हीं आक्रमणकारी, 

अत्याचारियों पर " 

सब कुछ भूलकर,

" भयंकर ??? " ( आत्मघाती ? ) 

प्रेम करनेवाले "....कुछ...

" मुर्ख " लोग ?


४ ) खुद के महान, संस्कृति रक्षक संतों को, आजीवन कारावास में  भेजने के लिए, सहयोग करनेवाले, बिकाऊ, नीच लोग ! ( ⁉) और...

" परकीय " संतों को...???

सरपर लेकर, नाचने वाले ?

आत्मघाती लोग ?


५ ) सत्ता, संपत्ति के लिए,

जयचंद बनकर, खुद के साथ, संस्कृति पर,धर्म पर ,खुद के सिध्दांतवादी महात्माओं के आत्मा पर ,कुठाराघात करनेवाले, बेईमान लोग ?


और भी कुछ लिखुं ?

या लिखना ही बंद कर दूं ?

लिखकर भी आखिर फायदा क्या होगा ?


" यह देश ..."

ना किर्तनों से कभी सुधर सकता है ! और नाही... तमाशा से बिगड़ सकता है !

( यह मेरी वैयक्तिक धारणा है !कृपया बुरा मत मानना ! ) 🙏


इसिलिए मैंने शुरू में ही लिखा है......

" मैं हमेशा इस बात को स्वीकार करने के लिए तैयार था कि मैं कुछ चीजें नहीं बदल सकता ! "


क्या आप में से है कोई है ऐसा माई का लाल ?

जो..." यह उपर लिखा हुवा, सत्य स्विकार कर सकें ? 

🤔🤫 "

और बदल भी सकें ?


" भयंकर विनाशकारी और आत्मघाती लोग ? "


कौन यह

"नजारा 🤦‍♂️❓❓❓"

बदल सकता है ?


कैसे ???

" हम भी " सबकुछ फ्री में बाटेंगे 

और देश ?

बर्बाद कर देंगे ?

या कठोर कानून बनायेंगे ?


फ्री के लालची, आत्मघाती लोगों को आखिर कौन सुधारेगा ?

कैसे सुधारेगा ?


फ्री का लालच बंद करने के लिए, फुकटे लोगों का आखिरी और अंतिम इलाज क्या होगा ?

( फ्री की आदत बहुत बुरी है,और विनाशकारी भी ! )


ऐसे आत्मघाती लोगों में रहकर ?


" निकलें ? "

" नवराष्ट्र निर्माण करने ? "


बात कडवी है,मगर सच्ची है !बुरा मत मानना ! सत्य को लिख दिया इसिलिए ! अगर बात सत्य होगी तो ? स्विकार करना !

अन्यथा ? छोड देना ! 


हरी ओम्


🙏🙏🙏

Comments

Popular posts from this blog

मोदिजी को पत्र ( ४० )

हिंदुराष्ट्र

साप आणी माणूस