छोटासा आदमी !

 छोटासा आदमी बनकर जिने में ही ,जीवन का आनंद है !!

✍️ २२१७


विनोदकुमार महाजन

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साधारण आदमी ?

छोटासा आदमी ?

मस्त जीवन, स्वच्छंद जीवन,आनंदी जीवन !

सिधासादा अनमोल जीवन !


कहीं पर भी जाओ,

रास्ते पर भेलपुरी खाओ,

रगडा पैटिस खाओ !

मस्त,स्वस्थ जीवन !


और अगर किसीका गुरू बनेंगे तो ?

शिष्यों के सुखदुखों की चिंता !

आध्यात्मिक गुरु बनेंगे तो ?

अनेक बंधनों का जीवन !

व्हिआयपी बनकर जीयेंगे तो ?

" बाँडीगार्ड " का कवच !

और मुखौटे वालें दुनिया से संपर्क !


और साधारण आदमी 

बनकर जीयेंगे तो ?

बिनधास्त जीवन !

वास्तव जीवन !

मस्त जीवन !

सुखी जीवन !


साधारण आदमी ?

असली मुखौटे वालों को भी तुरंत जानता है - पहचानता है !

नौटंकीबाजों को भी जानता है !

असली, नकली को भी पहचानता है !

और ?

मुखौटे वाले,नौटंकीबाजों से सदैव दूरियां बनाकर रखता है !

ना टेंशन, ना किरकिरी !

आसमान के निचे का खुलेआम,

आनंदी जीवन !

पशुपक्षीयों की तरह !


इसिलिए ?

साधारण आदमी बनकर जीने में जो आनंद है,जो मजा है,जीवन की सच्चाई है...

वह...व्हिआयपी बनकर जिने में नहीं है !


मस्त, स्वस्थ, आनंदी जीवन !

एक कलंंदर जीवन !

साधारण आदमी बनकर जियेंगे,

तो ईश्वरी आनंद से,खुलकर जियेंगे !

जीवन में ना नौटंकी है !

और नाही, मुखौटे वाला...

" डुप्लीकेट " चेहरा !


" एक चेहरे पे,कई चेहरे,

लगा लेते है लोग ! "

ऐसा कहने की कोई गुंजाइश तक नहीं !


इसिलिये, 

छोटासा,साधारण आदमी बनकर बडे आनंद से जीते है !

समाधानी जीवन यही होता है !


हरी ओम्


🙏🙏🙏🙏🙏

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