चलो अंतिम सत्य की ओर !

 चलो,अंतिम सत्य की ओर !!

✍️ २२१२


विनोदकुमार महाजन


🕉🕉🕉🕉🕉🕉


विश्व के सभी तत्वचिंतकों को,सभी तत्ववेत्ताओं को, ( फिलोसाँफर ) विश्व के सभी मनुष्य प्राणीयों को,सभी मत - पथ - पंथ - प्रवाह - धर्मावलंबियों को,

मेरे इस लेख पर,मेरे विचारों पर,

गहराई से सोचना होगा !

इसपर गहन चिंतन, मनन भी करना होगा !

और अंतिम सत्य तक पहुंचना ही होगा ! सभी को !!

इसिलिए मेरा यह लेख, विश्व के अनेक भाषाओं में प्रकाशित होना जरूरी है !


आखिर अंतिम सत्य है क्या ?

इसकी खोज हर मनुष्य प्राणी को , ( जागृत ) होती ही है !

और अपने विवेक, ज्ञान के अनुसार, इसके यथार्थ उत्तर को संशोधित करने की,सुप्त प्रबल इच्छा हर जिज्ञासाओं के अंदर होती ही है !


साधारणतः चौ-यांशी लक्ष योनियों में से, ईश्वर ने केवल मनुष्य प्राणियों को ही ,बुध्दि का वरदान देकर,अलग प्रकार से बनाया है ! बाकी जीवजंतुओं को तो जन्म - मृत्यु की केवल प्रक्रिया ही पूरी करनी पड़ती है !


जन्म लेना - और ? एक दिन ?

मर जाना !

साँप, बिच्छू, हाथी, घोडा, मच्छर, खटमल, चिंटी जैसे अनेक योनियों को बदलते रहना !

ना आत्मज्ञान है,ना ब्रम्हज्ञान है,ना आत्मा की खोज है !


इसिलिए यह,

" अंतिम सत्य की खोज ! "

विषय केवल मनुष्य प्राणीयों तक ही सिमीत रहता है !

( जटायु , गजेंद्र @ मोक्ष , हनुमंत, सुग्रीव ,जांबुवंत जैसे -  कुछ उदाहरणों को छोडकर )


तो आखिरी सत्य आखिर है क्या ?

" ईश्वर की खोज ! "

यही हर मनुष्य प्राणीयों के लिए,उनके जीवन का, महत्वपूर्ण विषय है !


ईश्वर की खोज कैसे हो सकती है ?

क्या आधुनिक विज्ञान ईश्वर की खोज करने में सक्षम है ?

क्या आधुनिक विज्ञान आत्मतत्व की खोज करने में सक्षम है ?


उत्तर मुझे नहीं, बल्कि आप सभी को,सभी जिज्ञासुओं को देना है !


तो ईश्वर की खोज कैसे की जा सकती है ?

" आध्यात्म ! "

आद्य - आत्मा !

शक्तिशाली आध्यात्मिक शक्तीयों द्वारा ही आत्मा की खोज करना संभव है !

आध्यात्म ही आत्मज्ञान तथा ब्रम्हज्ञान देता है !

और ब्रम्हज्ञान ही अंतिम सत्य तक पहुंचने में सक्षम होता है !

जिसमें अनेक अनाकलनीय, अनेक गूढ विषयों का,रहस्योद्घाटन किया जा सकता है !


तो आत्मज्ञान और ब्रम्हज्ञान कौन देगा ? और कैसे देगा ?


ईश्वर निर्मित केवल और केवल,वैदिक सत्य सनातन ,हिंदु धर्म ही आध्यात्म सिखा सकता है ! जिसे पूर्णत्व का वरदान भी है !

वहीं सत्य सनातन धर्म, केवल सभी रहस्यों का संशोधन करने में सक्षम है !

और वही एकमात्र धर्म भी है !

क्योंकि केवल इसी धर्म में ही 

पूर्णत्व है !


और बाकी ? ( नाम नहीं लूंगा ! )

एक भ्रम है, आभास है !

अंतिम सत्य तक पहुंचने का एक अल्पसा प्रयास है !

मगर उसीमें पूर्णत्व नहीं है !


तो फिर आध्यात्म का सत्यज्ञान देगा कौन ?

जो आत्मज्ञान, ब्रम्हज्ञान, संपूर्ण ब्रम्हांड, संपूर्ण चराचर और उसीमें व्याप्त - साकार, निराकार ईश्वर की खोज करने में सक्षम रहेगा ?

अंतिम सत्य की ओर ले जायेगा ?


ऐसा परिपूर्ण ज्ञान देनेवाले केवल एक ही माध्यम होता है - 

" संपूर्ण चराचर में व्याप्त, अथांग,शक्तिशाली गुरूतत्व ! "


जो आपके सद्गुरु के रूप में,आपके सामने देह धारण करके, प्रकट होता है !


केवल सद्गुरु ही संपूर्ण रहस्यों का ज्ञान देने में समर्थ और सक्षम होते है !

मगर वहीं सद्गुरु " पूर्णत्व  !"

को प्राप्त करनेवाले ही चाहिए !

केवल सद्गुरु ही आत्मज्ञान - ब्रम्हज्ञान और ईश्वर तक और संपूर्ण ब्रम्हांड में व्याप्त ईश्वरी शक्तीयों तक ले जाने में सक्षम होते है !

और वहीं सद्गुरु अपने शिष्यों को,अपनी असीम कृपा द्वारा, साक्षात ईश्वर स्वरूप भी बनाते है !


रामकृष्ण परमहंस जी को,

करोड़ों में एक...

विवेकानंद मिलते है !

और आगे ?

एक विवेकानंद को कितने विवेकानंद मिलते है ?


एक रामदास स्वामी को,

करोड़ों में एक कल्याण स्वामी मिलते है !

मगर, एक कल्याण स्वामी को,कितने कल्याण स्वामी मिलते है ?


( कालाय तस्मै नमः 🙏🙏)



जब सद्गुरु कृपा होती है तो...?वहीं व्यक्ति ( या आत्मा ? )ईश्वर स्वरूप बन जाता है !

यहीं अंतिम सत्य है !

ईश्वर की खोज करते करते,एक दिन - खुद ईश्वर स्वरूप हो जाना ! उसी अलौकिक ईश्वरी शक्तीयों से एकरूप हो जाना !

यही अंतिम सत्य भी,सद्गुरु कृपा से,सत्य सनातन धर्म ही सिखाता है !


और यही आत्मोध्दार का एकमात्र,मार्ग भी है !

मगर आत्मोध्दार होने के बाद ?

सर्वसंग परित्याग करके,अखंड बैराग्य धारण करके, ध्यानधारणा और समाधि में रहकर ही केवल, ईश्वरी चिंतन करते रहना है ?


नहीं !

बिल्कुल नहीं !!


आत्मोध्दार तो हो गया !

मगर और कार्य बाकी बचा हुवा है !

विश्वोध्दार !

संपूर्ण मानवसमुह का अखंड कल्याण !

सभी पशुपक्षीयों सहीत, सभी सजीवों का कल्याण !


और ?

ईश्वर निर्मित, एकमेव अंतिम सत्य - सत्य सनातन धर्म का प्रचार - प्रसार !

अनेक मार्गों से !

अनेक रास्तों से !

अनेक माध्यमों से !

अनेक रंग - रूप धारण करके !

हर वैश्विक मानवसमुह को,हर मनुष्य प्राणियों को - अंतिम सत्य तक ले जाने के लिए ,अव्याहत कार्य करते रहना !

सभी को, ईश्वरी अंतिम सत्य तक पहुंचाना !


मगर ?

यहाँ कलियुग का माहौल तो बिल्कुल उल्टा चल रहा है !

कैसे ?

यहांपर तो सत्य समझकर,

खुलेआम असत्य की ही पूजा की जाती है !

और सत्य के रास्ते पर चलने वालों को ही पीडा,तकलीफ, दुखदर्द, नरकयातनाएं दी जाती है ! सत्यवादीयों की ही उपेक्षा की जाती है !

सत्यवादीयों को ही...

असत्य घोषित किया जाता है...

तो ...???

ईश्वर निर्मित, अंतिम सत्य का प्रचार - प्रसार कैसे किया जा सकता है ?


प्रश्न भी सही है !

कलियुग का न्याय ही उल्टा है !

इसिलिए सत्य का और सत्यवादीयों का रास्ता आसान नहीं है ! खडतर है !

भयंकर खडतर है !

तलवार की धार पर चलने जैसा !


बात तो ठीक है !

मगर फिर भी, ईश्वर निर्मित सत्य का,और सत्य सनातन का रास्ता, निरंंतर चलते ही रहना चाहिए !


हर एक का समय होता है !


सत्य का भी और असत्य का भी !


और ऐसे कलीयुग के ,असत्य को ही सत्य को स्विकारने के,भयंकर समय में ही हमारे महापुरुषों को,अवतारी पुरूषों को,सिध्दपुरूषों को,साधुसंतों को,भयंकर दुखदर्द, यातनाएं, पीडा झेलनी पड़ी !

मगर फिर भी, उन्होंने सत्य का और ईश्वर निर्मित, सत्य सनातन का रास्ता नहीं छोडा !


मगर....!!!!

अब समय बदल रहा है !

ईश्वरी इच्छा से ही समय करवट बदल रहा है !

अब सत्य की,सत्यवादीयों की केवल जीत ही नहीं,

अपितु, अंतिम जीत का समय आ चुका है !

और ऐसे समय में, संपूर्ण विश्वमानव,

फिर एक बार, सत्य की अंतिम खोज करेगा !

और उसे जब यह पता चलेगा कि,

ईश्वर ही अंतिम सत्य है !

और ईश्वर निर्मित,

सत्य सनातन हिंदु धर्म ही अंतिम सत्य है !


तब ....???

संपूर्ण विश्वमानव,

बडे हर्षोल्लास के साथ,

ईश्वरी अंतिम सत्य का,

और ईश्वर निर्मित - अनादी - अनंत...

सत्य सनातन वैदिक हिंदु धर्म का...

स्विकार करके ही रहेगा !

बडे आनंद से !

और हर्षोल्लास के साथ !


और यह प्रक्रिया भी,

ईश्वरी इच्छा से ,अब आरंभ भी हो चुकी है !

इसिलिए,

संपूर्ण विश्व पर,

केवल और केवल,

सनातन धर्म का ही विजयोत्सव मनाया जायेगा !

और यह दिन भी दूर नहीं है !


हिंदुमय विश्व था और रहेगा भी !

क्योंकि ईश्वर को और ईश्वरी सिध्दातों को,ईश्वर निर्मित सत्य को कौन मिटायेगा ?


आज असत्य, कितना भी सत्य का मुखौटा धारण कर लें,

फिर भी उसका असली मुखौटा तो खुद ईश्वर ही फाड देगा !

और ?

एकदिन ?

सत्य की और सत्यवादीयों की,अंतिम जीत भी करेगा !!!


हरी ओम्


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