हिंदुत्व के लिए, जीवन समर्पित करना ही पडेगा

 किडे मकौड़े की तरह ? जीना नहीं है !

✍️ २१९१


विनोदकुमार महाजन

------------------------------

जीवन ऐसा सुंदर चाहिए, आनंदी चाहिए, की हमारे संपर्क में आनेवाले भी,हमें देखकर मस्त,स्वस्थ, आनंदी, खुशहाल बनें !

कम से अम दस लोग तो हमसे जी जान से प्रेम करें ! सच्चा प्रेम,स्वच्छ प्रेम,निरपेक्ष प्रेम, निष्पाप प्रेम !

ईश्वर की तरह !

ईश्वर भी तो हमसे ऐसा ही प्रेम करता है ! निरंंतर !


इसके लिए सिर्फ अनुभूति चाहिए !


हमारे जीते जी कार्य भी ऐसा करके जाना चाहिए की,इतिहास बनें ! इसिलिए तो ईश्वर ने हमें , बुध्दि का वरदान दिया है ना ?

सही क्या?गलत क्या ? पहचानने के लिए ! इंन्सानों के अंदर का, सजीवों के अंदर का ईश्वर देखने के लिए !

हर एक के अंदर की मौजूद निष्पाप आत्मा देखने के लिए !


इसिलिए कार्य कौनसा करना चाहिए हमें ?


हिंदुत्व का कार्य ! सनातन का कार्य ! ईश्वर का कार्य !

बिना थके,बिना हारे !

निरपेक्ष कार्य !


जियेंगे तो हिंदुत्व के लिए !

मरेंगे तो भी हिंदुत्व के लिए !

भगवान के भगवे के लिए !


जब हम हमारा कार्य पूरा करके,हमारे घर स्वर्ग को वापिस लौट के जायेंगे तो ? तब ईश्वर भी हर्षोल्लासीत होकर हमें,बडे आनंद से अपने गले लगायें !हमें प्रेम से आलींगन दें ! ईश्वर को भी हमारे लिए आनंद हो !

ऐसा उदात्त कार्य करना चाहिए !


कुत्ते - बिल्लीयाँ भी जीती है !

किडे - मकौड़े भी !

क्या उनके जीवन का कोई मकसद होता है ? कोई अर्थ होता है ? अर्थहीन जीवन !

प्रारब्ध भोग का फेरा पूरा करने के लिए जीना !

निरर्थक !

पैदा होना,खाना - पीना, चार बच्चे पैदा करना,चार दिन का सफर पूरा करके,एक दिन मर जाना !

बस्स्... हो गया जीवन !

और मृत्यु के बाद अगला अलग जीवन !

दूसरा देह ! देह बदलते रहना !


और अगर हम ,मनुष्य योनियों में आकर, किडे मकौड़े की तरह, केवल वैयक्तिक स्वार्थ के लिए, धन - वैभव के लिए, ऐशोआराम के लिए, चार दो बच्चे पैदा करने के लिए, स्वार्थ - अहंकार के लिए, परपीडा देने के लिए, चार पैसे कमाने के लिए, केवल घर बनाने के लिए, दूसरों का मत्सर - द्वेष - नींदा करने के लिए ही ?

दयालु प्रभु परमात्मा ने हमें धरती पर भेजा है ?

बस्स् यही जीवन है ?

हो गया जीवन पूरा ?


केवल किडेमकौडे की तरह वैयक्तिक, स्वार्थी जीवन जीने के लिए ही ईश्वर ने यहाँ भेजा है हमें ?


हरदिन, हरपल ऐसा निरर्थक जीने से क्या फायदा ?

किडेमकौडे की तरह ?


खाने के लिए जीना, और मर जाना ?

क्या यही जीवन है ?

बिल्कुल नहीं !


तो...?

हिंदुत्व ही हमारी आन - बान - शान है !

हिंदुत्व ही हमारा प्राण है !

हिंदुत्व के लिए ही जीवन समर्पित है !

हिंदुत्व के लिए ही जीवन समर्पित है !


केवल हिंदुत्व !


इसिलिए आलस्य - निद्रा - मौन - 

वैयक्तिक स्वार्थ का संकुचित जीवन त्यागकर,

हिंदुत्व के लिए ही जीते है !

बडे शान से !

और ऐसा प्रण भी करते है !

दूसरों को भी, हिंदुत्व के लिए जीने के लिए प्रेरित करते है !

उनकी भी आत्मचेतना जगाते है ! ज्योत से ज्योत जगाते है !


यही तो जीवन का उद्देश्य है !

" हर मनुष्य प्राणी का ! "

" भूले भटके हुए ? लोगों 

का भी ! "

क्योंकि आत्मज्ञान ,ब्रम्हज्ञान और आत्मोद्धार भी आखिर हिंदुत्व ही सिखाता है !

जन्मजन्मांतर का कल्याण भी सिखाता है !

विश्व बंधुत्व भी, हिंदुत्व ही सिखाता है !

पशुपक्षीयों पर प्रेम,भूतदया, और वसुधैव कुटुम्बकम भी...

हिंदुत्व ही सिखाता है !

क्योंकि हिंदुत्व संकुचित नहीं है !

व्यापक है !

विश्वव्यापक भी!

सर्वसमावेशक, सर्वहितकारी, मानवताप्रेमी केवल हिंदुत्व ही है !


इसीलिए ?

चलो उठो !

हिंदुत्व से नाता जोडते है !

ईश्वर निर्मीत सनातन से नाता जोडते है !

" हर एक मनुष्य प्राणीयों के अंदर का हिंदुत्व जगाते है ! "


" तू भी हिंदु ! मैं भी हिंदु ! "

का अर्थबोध कराते है !

" मुझमें भी राम , तुझमें भी राम ! "

ऐसा सभी को दिव्यत्व सिखाते है !

" सारी दुनिया को ! "

" सारे दुनियावालों को ! "

" सभी मानवप्राणीयों को ! "


सभी को हिंदुत्व से जोडते है !

" विविध माध्यमों द्वारा "

सभी की आत्मचेतना जगाते है !


धरती का स्वर्ग बनाते है !

बोलने से नहीं होगा !

धरातल पर कार्य करना होगा !

कार्य आगे बढाना होगा !


चलो उठो,एकेक कदम आगे बढाते है !


हर हर महादेव !


🕉🚩🕉🚩🕉🚩

Comments

Popular posts from this blog

मोदिजी को पत्र ( ४० )

हिंदुराष्ट्र

साप आणी माणूस