तुरंत हिंदुराष्ट्र निर्माण के लिए
हिंदुराष्ट्र बनाना है ? मगर कैसे ?
✍️ २२०३
विनोदकुमार महाजन
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हिंदुराष्ट्र !
और हिंदुराष्ट्र निर्माण !
संपूर्ण देश का एक अतिशय महत्वपूर्ण तथा आस्था का विषय !!
साधारणतः सामाजिक धारणा भी ठीक ऐसी ही प्रचलित है कि, जिनकी आबादी जादा,उनका और उनके हितों का ( और उनके और उनके साथ रहने वाले, सभी पंथीयों की ) कायदाकानून व्यवस्था और ऐसी ही सरकार !
और जिनकी आबादी जादा, उन्हींका राष्ट्र, उन्हींका देश !
साधारणतः यही नियम विश्व के लगभग सभी देशों में लागू है !
तो ? बहुसंख्यक हिंदुओं के देश में भी ऐसा ही नियम और कायदेप्रणाली लागू होनी ही चाहिए !
क्या मैंने गलत लिखा है ?
नहीं ना ?
तो हिंदुराष्ट्र निर्माण यह विवादित मुद्दा बन सकता है ?
बिल्कुल भी नहीं !
एक प्रतिशत भी नहीं !
छत्रपति राजे शिवाजी जैसे महान राजनेता तथा समाजनेता ने भी...
" हिंदवी स्वराज्य " की संकल्पना प्रत्यक्ष रूप में स्थापित की थी,तथा उसी के अनुसार कायदेप्रणाली भी बनाई थी ! बहुमतों के आधार पर, जिसकी लोकसंख्या अधिक, उसीकी, सर्वहितकारी - समाजकल्याणकारी कानून व्यवस्था प्रणाली !
और राजे शिवाजी ने भी सभी पथ,पंथों को यथोचित न्याय देनेवाली ही शासनप्रणाली तथा कानून प्रणाली बनाई थी !
और उसी कानून के अनुसार ही सभी मत - पथ - पंथीयों को तुरंत न्याय मिलता था !
हिंदुराष्ट्र होने के कारण,अथवा हिंदवी स्वराज्य होने के कारण,केवल हिंदु हितों के ही कानून बनाये गये थे...ऐसा कोई भी नहीं कह सकता है ! अथवा कोई भी ऐसा आक्षेप भी नहीं ले सकता है !
तो आज हिंदुराष्ट्र निर्माण के लिए ही विरोध क्यों हो रहा है ?
विरोध करनेवाले कितने प्रतिशत है ? और व्यर्थ का विवाद क्यों उत्पन्न कर रहे है ?
जिसकी " मेजाँरीटी जादा " उसीके संपूर्ण हितों के साथ, सभी के हितों की शासनप्रणाली तथा कानूनप्रणाली बनाना, इसमें गलत क्या है ?
बहुसंख्यक समाज का यह तो मुलभूत अधिकार है !
इसिलिए हिंदुहितों की कोई बात करता है, अथवा हिंदुराष्ट्र निर्माण की कोई बात करता है तो...
यह विवादित विषय कैसे हो सकता है ? इसे विवादित बनाने वाले कौन है ? हिंदुहितों के उनके मुलभूत कानूनी अधिकार, सुरक्षित होकर भी,ऐसा व्यर्थ का बवाल क्यों खडा किया जाता है ?
हिंदुराष्ट्र निर्माण के लिए कितने प्रतिशत हिंदु तैयार है ? तथा यही विस्तृत और व्यापक जनप्रवाह क्या कहता है ?
इसका भी विचार होना अत्यावश्यक है !
और हिंदुराष्ट्र निर्माण के लिए, कितने प्रतिशत हिंदुओं का ही विरोध है ? और उनका विरोध क्यों है ? यह भी देखना चाहिए !
शायद, हिंदुराष्ट्र निर्माण के लिए, एक प्रतिशत भी हिंदुओं का विरोध नहीं हो सकता है !
और ऐसा विरोध होगा भी ?
तो वह " छद्मी " हिंदु ही होंगे !
इनको भी कानून के दायरे में रहकर, ढूंढना होगा,तथा उनपर,
" छद्मी " , होनी की यथायोग्य कानूनी कारवाई होनी होगी !
गुप्त एजेंडा चलाने वाले,
" छद्मी ! "
इसीलिये,हिंदुराष्ट्र की माँग करना यह कोई विवादित बयान हो ही नहीं सकता है ! इस मुद्दे को केवल भ्रमित किया जा रहा है !
हिंदुराष्ट्र निर्माण के लिए, कितने प्रतिशत हिंदु जागृत है ? और कितने प्रतिशत सोये हुए है और उदासीन भी है ? यह भी देखना चाहिए !
जो सोये हुए है,अथवा उदासीन है,उन सभी को,व्यापक जनआंदोलन द्वारा, जागृत करना चाहिए !
तेज गती से !
बिना समय गँवायें !
अगर सौ करोड़ हिंदूओं के देश में, हिंदुराष्ट्र निर्माण की माँग करना, गलत समझा जाता है...तो...मतलब साफ है... गलतफहमियां फैलाने वाले कौन है ? वह गलतफहमियां क्यों फैला रहे है ? और सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न... बहुसंख्यक हिंदु समाज में रहकर ही, बहुसंख्यक समाज पर ही अन्याय क्यों कर रहे है ? समाज को क्यों संभ्रमित कर रहे है ? और ऐसे लोगों की कानूनी काट क्या है ? यह भी देखना और समझना होगा !
इसके साथ ही,
हिंदुत्ववादियों के पास हिंदुराष्ट्र तुरंत बनाने के लिए तगडी रणनीति क्या है ? और उसे तुरंत कार्यान्वित करने के लिए, कौनसी प्रभावी योजना तैयार है ? जिसके द्वारा, हिंदुहितों के आड आनेवाले तथा सदैव हिंदुहितों के लिए ही बाधक होनेवालों के विरूद्ध , कौनसा कानूनी दाँवपेंच तैयार है ?
यह भी देखना और सोचना होगा !
हिंदुराष्ट्र निर्माण करने के लिए, सरकार की भूमिका तथा मानसिकता क्या है ? यह भी देखना होगा !
वर्तमान सरकार, हिंदुहितों के लिए बहुत कुछ कार्य कर रही है ! इसमें कोई संदेह भी नहीं है ! और हिंदुराष्ट्र निर्माण के लिए, सरकार को भी अनेक कानूनी मजबुरीयों का भी सामना करना पड रहा है !
क्योंकि एक आशंका यह भी है की,
जैसे धारा ३७० हटाना भयंकर जटिल तथा क्लिष्ट बनाया गया था, शायद यह संभव भी नहीं था,ठीक इसी प्रकार से,
यह ...
" हिंदुराष्ट्र ना बनें " ,
इसकी भी यथासंभव कानूनी व्यवस्था,
" कुछ गिनेचुने लोगों द्वारा ",
भूतकालीन सरकार ने,
जानबूझकर बनाके रखी होगी !
यह संभावना सौ प्रतिशत सही हो सकती है !
कानूनी क्लिष्टता !
आखिर सवाल यह उठता है कि,
ऐसी " कानूनी क्लिष्टता "
कौनसे उद्देश्य से बनाई गई थी ?
उनका ( ? ) मकसद क्या था ?
इसकी भी कानूनी जाँच होनी अत्यावश्यक है !
और " संबधितों को " ,
यथाशीघ्र
" राष्ट्रद्रोही तथा समाजद्रोही " ,
घोषित करना होगा !
आखिर सत्य तो बाहर आना ही चाहिए ना ?
और सभी देशवासियों को सत्य तो समझना भी चाहिए ना ?
जो उनका कानूनी मौलिक अधिकार भी है !
फिर भी व्यापक जनहित, व्यापक जनमत और व्यापक जनआंदोलन द्वारा, हिंदुहितविरोधी,ऐसी समस्याओं पर ,और मानसिकता पर,इलाज ढूंडा जा सकता है ! और कानूनी तौर पर,अमल में लाया जा सकता है !
केवल,लेखों द्वारा अथवा चर्चाओं द्वारा ही ,चर्वीत चर्वण करके ,इसका हल नहीं निकाला जा सकता !
बल्कि, व्यापक जनहित को ध्यान में रखकर, गती से सक्रीय होकर, कानूनी संशोधन करके,सभी बाधाएं तथा रूकावटें दूर करके,तुरंत निर्णय लेना और व्यापक जनमतों का आदर करने के लिए, इसे तत्काल लागू करना भी महत्वपूर्ण विषय हो गया है, तथा अत्यावश्यक भी हो गया है !
जितना जल्दी हिंदुराष्ट्र निर्माण का निर्णय शासकीय स्तर पर लिया जायेगा, उतने ही गती से,देश का आज का भयंकर
" अराजकतावादी माहौल " , समाप्त हो जायेगा !
हिंदुराष्ट्र की यथोचित माँग करना, उसे कार्यान्वित करना,
सभी हिंदुओं का कानूनी अधिकार भी है ! और यह बहुसंख्यक समाज का हितकारक निर्णय भी है !
यथोचित न्याय और यथोचित निर्णय के लिए, और उसके तुरंत अमल के लिए, कानूनी लडाई जारी रहेगी !
इसिलिए,
हिंदुराष्ट्र की माँग करना, यह कोई अपराध नहीं है !
इसिलिये, अगर इसे कोई अपराध मानता है, तो वह खुद ही अपराधी है !
और ऐसे अराजकता वादी ,अपराधियों के विरूध्द, तुरंत सख्त कानून होना भी जरूरी है !
क्योंकि हम
पाकिस्तान को हिंदुराष्ट्र घोषित करने की माँग नहीं कर रहे है,बल्कि बहुसंख्यक हिंदुओं के देश में,बहुसंख्यक हिंदुओं के तथा सभी के कल्याण के लिए ही,तुरंत हिंदुराष्ट्र निर्माण की माँग कर रहे है !
और संपूर्ण देश के ही नहीं, बल्कि संपूर्ण विश्व में फैले हुए, सभी हिंदुओं का यह मौलिक कानूनी अधिकार भी है !
इसिलिए ?
हिंदुहितों की जो बात करेगा ?
वहीं देशपर राज करेगा !!
जागते रहो,जगाते रहो !!
हर हर महादेव !
जय जय श्रीराम !
हरी ओम् !
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