तेरे भी दिन आयेंगे

 ये भी दिन जायेंगे

प्यारे,तेरे भी दिन आयेंगे !!

✍️ २२११


विनोदकुमार महाजन

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साथीयों,

हर एक के जीवन में, हर एक के नशीब में,कभी ना कभी,भयंकर मुसिबतों का दौर तो आता ही है !

और भयंकर दुखदर्द, पीडा,यातना तो देता ही है !

मुसिबतों के भयंकर दौर में, हर एक मन की स्थिति बडी विचित्र हो जाती है !


और मुसिबतों के दौर में, हमें ऐसा लगने लगता है की,

कोई ना कोई हमें आधार देगा,कोई ना कोई हमें सहारा देगा ! कम से कम दो शब्दों का,

" क्यों चिंता करता है ? ईश्वर सबकुछ ठीक करेगा ! "

ऐसा आधार देनेवाला तो कोई तो भी मिलेगा !


मगर ?

मुसिबतों के भयंकर दौर में, कोई आधार देनेवाला मिलना तो दूर,हमें ही उल्टा, पीडा - तकलीफ - दुखदर्द देनेवाले ही पग पग पर मिलते है ! 

और परिणाम स्वरूप ?

हमारा मन भी और घबरा जाता है !

चिंताएं बढती है !

और चिंता और विवंचना यह एक ऐसी भयंकर मुसीबत होती है की - पूछो मत !

फिर भी, बडे हिम्मत से, हम हरदिन - हरपल मुसिबतों का दौर काटने का प्रयास करते रहते है !

इसी मुसिबतों की भयंकर घडी में,हमें यह भी समझ में आता है की,


" सुख के सब साथी !

दुख में ना कोई !! "


और हमारा मन ऐसी स्थिति में ,हम थोडासा शांत करने का प्रयास करते है !


मगर ऐसी भयंकर स्थिति में,

हमारे मन को ,हम ही तसल्ली देते है...और कहते है...की...


" ये भी दिन जायेंगे !

प्यारे, तेरे भी दिन आयेंगे !

मुसिबतों का यह भयंकर सिलसिला भी हट जायेगा 

एक दिन !

हौसला रख दुखी मन मेरे,

मुसिबतों के ये भी दिन

चले जायेंगे !

तेरे भी दिन आयेंगे !! "


दोस्तों,

विपदाओं की भयंकर स्थिति में,

मुसिबतों के भयंकर दौर में,

हमारे मन को ही हमेशा तसल्ली देना, और मुसिबतों पर विजय प्राप्त करना, यही सच्चा पुरूषार्थ है !


इसिलिए,

" चिंता मत कर प्यारे,

तेरे भी दिन जरूर आयेंगे ! "

ऐसा हमेशा अपने ही मन को तसल्ली देते रहिए !


दुनिया में कोई किसी का नहीं है ! यह बात पक्की ध्यान में रखकर ही,मुसिबतों का दौर गुजरना होगा !


हरी ओम्

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