कुरूक्षेत्र

 *कुरूक्षेत्र* 


भगवान श्रीकृष्ण,

जगन्नाथ, जगन्नायक,

प्रेम का,शांती का प्रतीक


फिर भी प्रेम से

विश्व को,दुर्जनों के ह्रदय को

नही जीत सके


परमात्मा होकर भी

युद्ध करना पडा

धर्म युद्ध करके ही

दुष्टों का संहार करना पडा


और धर्म की पुर्नस्थापना

करनी पडी


तभी विश्व में शांती बन गई


 *विनोदकुमार महाजन*

Comments

Popular posts from this blog

ऊँ कालभैरवाय नम :

मोदिजी को पत्र ( ४० )

हिंदुराष्ट्र