धांगडधिंगा

 जो मन में आयेगा

वही करेगा, नंगानाच भी

चलेगा

ना सच्चाई और अच्छाई की

फिकर है

मस्तवाल होकर परपिडा देना

यही यहाँ का माहौल बन गया


लोकतंत्र के नाम पर

धांगडधिंगा बढ गया


विनोदकुमार महाजन

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