भाग्योदय

 अती भयंकर तथा खडतर

चालिस सालों की भयानक

अग्नीपरिक्षाएं तथा सत्वपरिक्षाएं

आज मैंने पूरी कर ली है


इसिलिए स्वर्ग से प्रसन्न होकर

आज मेरे सद्गुरू तथा

तेहतीस कोटी देवताएं

मुझपर फुलों की वृष्टि करेंगे

और मुझे अपेक्षित दिव्य मंजिल

प्राप्ति का और त्वरीत

मनोकामनाएं पूर्ती का आशिर्वाद भी देंगे


" भाग्योदय "


विनोदकुमार महाजन

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