बचके रहना प्यारे

 *बचके रहना रे बाबा,बचके रहना रे* 



केवल धन के लिए 

दोस्ती करनेवाले दोस्त

कभी दोस्ती निभाने वाले

नही होते है

केवल स्वार्थ के लिए आये हुए

मौका परस्त होते है

धन मिले तो दोस्ती

नही तो संबंध विच्छेद


ऐसे सुकाळ सोबती दोस्तों से

हमेशा सावधान रहिए

और उनसे दूरी बनाई रखिए


किसी भी हालत में निरपेक्ष 

वृत्ति से दौडकर आनेवाला दोस्त

ही सच्चा होता है


इसिलए दोस्ती भी परखकर किजिए साहब


हमारे घर में आकर हमारे 

दौलत पर नजर रखने वाले

और बिवी बच्चों को घूरघूरकर

देखने वाले नमकहराम दोस्तों से

हमेशा सावधान रहिए


यह कलियुग है मेरे दोस्त

बचके तो रहना ही पडेगा


नही तो गलत दोस्ती करनेपर

कश्मीरी पंडितों जैसी स्थिति होगी


ना घर का ना घाट का


हाथ की सफाई करनेवालों से

सावधान रहिए



 *समझे कुछ ?* 


हरी ओम्

 *

* *विनोदकुमार महाजन*

Comments

Popular posts from this blog

ऊँ कालभैरवाय नम :

मोदिजी को पत्र ( ४० )

हिंदुराष्ट्र