माँ और सत्पुरुष
माँ अपने बेटे की
भलाई के लिए जिसप्रकार से
डांटती है
ठीक इसी प्रकार से
किसी की भलाई लिए
सत्पुरुष किसी को
डांटते है,मौन धारण करते है
अथवा दूरीयाँ बनाते है
क्योंकी उनका उद्देश
केवल और केवल
उसकी भलाई अथवा
समाज की भलाई ही
होता है
विनोदकुमार महाजन
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