सुख दुख

 सुरज उगता भी है

और ढलता भी है

ठीक इसी प्रकार से

मानवी जीवन में

सुख दुख आते है

चले जाते है


विश्वास पक्का है तो

दुखों के बुरे दिन भी

निकल जायेंगे

और सुखों के रास्ते भी

मिलेंगे


विनोदकुमार महाजन

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