विपदाओं की घडी
जब हम अत्यंत आर्थिक विपदाओं में और मुसिबतों में
फँसें होते है तब...
जिनको हमने जान हथेली पर
रखकर प्रेम किया वह भी
शायद दूर भाग जायेंगे,
दूर से मजा देखेंगे
आर्थिक सहायता करना तो दूर
मुक्त में मिलने वाला प्रेम भी
नही देंगे
आधार के दो शब्द भी नही देंगे
ऐसे भयंकर समय में आपको
केवल और केवल माँ,सद्गुरू
और ईश्वर ही सहायता करेंगे
मेरा तो यही अनुभव है
आप सभी का अनुभव क्या है यह मुझे पता नही
हरी ओम्
विनोदकुमार महाजन
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