हैवानियत का विरोध

 फिल्म का विरोध नही है : - यह तो हैवानियत का विरोध है !!!

( ले : - २०४४ )


विनोदकुमार महाजन

( प्रखर राष्ट्रप्रेमी,कट्टर हिंदुत्ववादी, अंतरराष्ट्रीय पत्रकार )

----------------------------

प्रसार माध्यम यह समाज का आईना होता है।

समाज प्रबोधन द्वारा आदर्श समाज निर्माण अथवा नवसमाज निर्माण के लिए प्रयासरत रहना यह प्रसार माध्यमों का मुख्य उद्देश होता है।


मगर प्रसार माध्यमों द्वारा अगर सत्य पर प्रहार करके,विकृत समाज निर्मिती का जानबूझकर जब प्रयास होता है तब इसका विरोध होना अत्यावश्यक होता है।


फिल्म इंडस्ट्री भी एक जबरदस्त शक्तिशाली माध्यम है,जिसके द्वारा अधर्म, कुरितीयां,बुराईयों पर प्रहार होना और सत्य की तथा सत्य धर्म की पुनर्स्थापना होना अपेक्षित होता है।


आज की फिल्म इंडस्ट्री क्या कर रही है ?

संस्कृती का विद्रुपीकरण करके समाज में संभ्रम फैलाकर अधर्म को बढावा देकर, हैवानियत बढाना, यही उद्देश आज फिल्म इंडस्ट्री में नजर आ रहा है।

टिव्ही, अखबार यह सब प्रसार माध्यम भी जब सत्य को उजागर करने के बजाए,अगर सत्य को ही विपर्यस्त बनाकर प्रस्तुत करेंगे तो सामाजिक संभ्रम निर्माण होगा।और इसी माध्यम से सत्य समाप्त करके,असत्य की ,हैवानियत की,स्थापना करने का जब निरंतर प्रयास जारी रहेगा, तब जागरूक समाज द्वारा इसका जमकर विरोध ही होगा।

और ऐसा होना भी चाहिए।


अनेक फिल्म निर्माता, दिग्दर्शक, कलाकार जब जानबुझकर अगर सत्य पर,हिंदुत्व पर प्रहार करने की योजना बनाकर, एक विशिष्ट नितीद्वारा प्रयास करते है तो, जागरूक समाज द्वारा इसका विरोध होना स्वाभाविक ही है।


क्योंकी यह केवल फिल्मों का विरोध नही है तो बढती सामुहिक हैवानियत का,राक्षसी सिध्दातों का विरोध है।

और ऐसा होना भी चाहिए।


" हिंदुस्थान में रहने का डर लगता है... ",

ऐसा कहनेवाले,यहाँ की संस्कृती पर अनेक फिल्मों द्वारा प्रहार करते रहते है,अब्जावधी की माया कमाते है,और यही माया का दुरूपयोग अगर पाकिस्तान को फंडिंग के द्वारा जानबुझकर किया जाता है तो यह तो भयावह है।

अती भयावह।


आखिर पाकिस्तान क्या करेगा ऐसे फंडिंग का ?

हिंदुस्थान की बरबादी का ही प्रयास करेगा ना ?


तो अब मुद्दा यह रहता है की,

" सचमुच में इस देश में रहने का डर लगनेवालों को अधिकार " होता है ?

ऐसे बेईमान, नमकहराम, गद्दार, पाकिस्तान प्रेमीयों को धक्के मारकर देश से बाहर निकालना होगा।ऐसे बेईमानों को एक पल भी यहाँ रहने का नैतिक अधिकार नही है।


सचमुच में यहाँ रहने का इन गद्दारों को इतना डर लगता ही है...तो...???

रहते ही क्यों है इस देश में ऐसे नमकहराम ?

तुरंत पाकिस्तान क्यों नही चले जाते है ?

यह डर की नौटंकी आखिर क्यों और कबतक चलेगी ?


कमाल है ?


यहाँ रहकर, यहाँ का खाकर,यहाँ पैसे कमाकर,यही पैसों पर ऐशोआराम की जींदगी जीकर,यहाँ की बरबादी का सपना देखने वालों को इस देश में रहने का अधिकार आखिर कानून भी क्यों देता है ?

ऐसे बेईमानों के खिलाफ तुरंत सख्त कानूनी कारवाई क्यों नही की जाती है ?

इनको फिल्म निर्माण के बजाए जेलों में होना चाहिए।


और ऐसे राष्ट्र द्रोही हमें महादेव पर दूध न चढाने का संदेश देते है ? और समाज भी मूक दर्शक बनकर ऐसा अत्याचार सहता रहता है ?


क्यों और कबतक ?

कबतक ???

संपूर्ण देश ऐसे बेईमानों का अत्याचार सहता रहेगा ?


मोदिजी को आखिर में एक नम्र निवेदन है की,

देव,देश,धर्म, संस्कृती को बदनाम करनेवाले बेईमानों को,नमकहरामों को तुरंत सजा देने का कानूनी प्रावधान बनाना अत्यावश्यक तथा जरूरी है।


आखिर...

 नंगानाच करनेवाले तमाशियों का तमाशा देश कबतक और क्यों देखता रहेगा ?


इसिलिए ऐसे फिल्मों का बहिष्कार तो अनिर्वार्य है ही,इसके साथ ही जड पर प्रहार करने के लिए, कानूनी प्रावधान भी तुरंत अत्यावश्यक है।


ऐसा कानून लोकसभा और राज्यसभा में तुरंत पारीत होगा ऐसी आशा करता हुं।


हरी ओम्

🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩

Comments

Popular posts from this blog

मोदिजी को पत्र ( ४० )

हिंदुराष्ट्र

साप आणी माणूस