निदान का दोस्त

 निदान का दोस्त...!!!

( लेखांक : - २०५६ )


विनोदकुमार महाजन

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आज का लेख जरा हटकर !

दोस्तों पर !

निदान का दोस्त... पर !


साफ दिलवाले, मेरे हजारों मित्रों को लेख समर्पित !


जब कोई गहरी मुसिबत में फँसा हुवा होता है...

तब एक दोस्त की,असली मित्र की तलाश होती है !

जैसे मुसीबतों में...सबकुछ समाप्त हो जाता है,मन की उदासी छाई रहती है ,सबकुछ बर्बाद हो गया,

ऐसा जब लगता है....

तब...

एक दोस्त आता है,

बडे प्यार से कंधे पर हाथ रखकर कहता है....


" मेरे दोस्त,इतनी भयंकर मुसीबतों के दौर में भी ,

तू....मेरा दोस्त जींदा है ना ?

और ईश्वर की कौनसी कृपा चाहिए ???

उदास मत होना मेरे दोस्त,

फिरसे नई दुनिया खडी करेंगे ! "


मित्रों, समझो आपकी भयंकर मुसीबतों में अगर आपको ठीक ऐसा ही दोस्त मिलेगा, जो हतोत्साहित मन को,उत्साहित करेगा...

तो हमारे मन को कितना आनंद मिलेगा ना ?


चिंता मन को जलाती है,

और दुखी मन शरीर को जलाता है ! और ऐसे समय में अगर कोई सच्चा दोस्त आकर, कंधेपर हाथ रखकर आधार देता है...

तो हमसे बडा सौभाग्यशाली कौन हो सकता है ?


एक पुरानी कहावत बताता हुं,

जो मेरे सद्गुरु निरंतर कहते थे,


" निरास की माँ...

आँस का बाप...

होते की बहन...

जोरू साथ...

पैसा गांठ...

और....

निदान का दोस्त....!!! "

शब्दों का अर्थ तो गहरा है !

जिसे समझ में आया ठीक,

नही समझ में आया,

तो भी ठीक !

मगर एक बात तो पक्की तय है की...

आखिरी पंक्ति....

निदान का दोस्त...!

बहुत महत्वपूर्ण है !


एक छोटेसे मनोगत में बस्स् ,

आज इतना ही !

विस्तार से,

अगले लेख में !


हरी ओम्

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