जब ईश्वर ही घर पर आयेगा

 तो...,अपेक्षित यश मिलकर ही रहेगा...!!!

( ले :- २०६० )


विनोदकुमार महाजन

🕉🕉🕉🕉🕉🕉🕉

अगर,

हमारा ईश्वर के प्रती प्रेम सच्चा है,श्रध्दा, भक्ती, विश्वास अतुट है तो....

ईश्वर को ढूंडने के लिए,

हमें कहीं दूर,तिर्थक्षेत्र, मंदिर नहीं जाना पडेगा !

बल्की,

ईश्वर ही हमें ढुंडता हुवा आयेगा !

हमारे साथ सुखदुःख की बाते भी करेगा !


पैठण के एकनाथ स्वामीजी के घर में,प्रभु परमात्मा श्रीकृष्ण गुप्त रूप से श्रीखंड्या...

बनकर रहता था !

तो हमारे भी साथ ,अगर हमारी भी सचमुच में योग्यता होगी,तो ईश्वर हमारे साथ क्यों नहीं रहेगा ?


मुझे तो ईश्वर मेरे पास होने की दिव्य अनुभूती निरंतर आती रहती है !बारबार आती रहती है !

चाहे वह कोई रूप धारण करके,साकार बनता हो,

अथवा निराकार में हमारे साथ हमेशा रहता हो !

तो ईश्वर को अलग कैसे और कहाँ ढुंडेंगे ?


रही बात हमारे ईश्वरी कार्यों की !

वो तो योग्य समय आनेपर हमें अपेक्षित यशस्वीता मिलकर ही रहेगी !

अगर ईश्वर खुद ऐसा ही चाहता है तो हमें अलग प्रयास की जरूरत ही क्या होगी ?


हमारा अपेक्षित यश खुदबखुद हमारे पास चलकर ही आयेगा !

आकर रहेगा !


सनातन धर्म के,हिंदु धर्म के,सत्य धर्म के कार्यों के वैश्विक रास्ते भगवान खुद ही खोल देगा !


संगठन भी बनेगा, अपेक्षाकृत व्यक्ति भी मिलेंगे, जो कार्य सफलता के लिए धन चाहिए, वह भी मिलेगा !


हमारी दिनरात चिंता करनेवाला खुद ईश्वर ही है तो,हमें हमारे कार्यों के प्रती चिंता करने की भी क्या जरूरत होगी ?


बचपन से लेकर, आजतक का मेरा संपूर्ण जीवन अनेक आश्चर्यकारक तथा अद्भूत घटनाओं से भरा है !

अनेक बार मुझे अनेक चमत्कारिक अनुभव, अनुभुतीयां भी मिलती है !


आजतक कार्य सफलता में अनेक बाधाएं, विघ्न आते गये !

दृष्य, अदृष्य रूप से अनेक जहरीले साँप, अजगर मुझे,मेरे सत्य को, समाप्त करने के लिए आये,मगर आश्चर्यजनक तरीकों से ईश्वर ने चमत्कार करके,मुझे हर बार समीसलामत बाहर निकाला !और दृष्य, अदृष्य साँपों का सर्वनाश भी हो गया !


जीवन में मुसीबतों के,अनेक जहरीले सागर भी पार करने पडे,अनेक भयंकर जालीम जहर भी हजम करने पडे !

मगर मैं सिध्दांतों से दूर हटा नही !अतूट रहा !

ईश्वर मृत्यु भी देगा तो भी मुझे इसकी चिंता नहीं थी !

मगर सिध्दांत छोडे नहीं !


अनेक बार साक्षात मृत्यु भी हटकर, दूर चली गई !


मगर ...

अब आश्चर्यजनक तरीकों से मुझे मेरे आज्ञाचक्र में ईश्वरी संकेत मिल रहे है की,

अपेक्षित यश,अपेक्षित व्यक्ति, अपेक्षित धन ,जो कार्य सफलता के लिए चाहिए, वैश्विक कार्य के लिए चाहिए,वह जल्दी ही मिलेगा ! मिलकर रहेगा !


यशस्विता का समय बहुत करीब है !


जैसे ईश्वर खुद हमें ढुंडता हुवा आयेगा, ठीक वैसे ही,अपेक्षित यश भी खुद चलकर घरपर ही आयेगा !

अलग से यश को ढुंडने की अब जरूरत ही नहीं पडेगी !

जो चाहिए था,वह सबकुछ विनासायास मिलकर ही रहेगा,प्राप्त होगा !


सनातन धर्म के लिए,सनातन धर्म के,हिंदु धर्म के,सत्य के लिए,

वैश्विक कार्य का आरंभ और अपेक्षित यश खुद ईश्वर ही,जल्दी ही बहाल करेगा !


बहुत दिनों से मन अशांत था,आज तृप्त और शांत हो गया !


हरी ओम्

🕉🕉🕉🕉🕉🕉🕉

🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩

Comments

Popular posts from this blog

ऊँ कालभैरवाय नम :

मोदिजी को पत्र ( ४० )

हिंदुराष्ट्र