बेहतरीन जमाना

 https://youtu.be/YRfmaAphHIw

सदाबहार गीत, संगीत


कहां गया वो जमाना ?

जहां सुमधुर, सदाबहार गीत संगीत की बरसात होती थी।

कानों को सुनने में आनंद होता था।

मन,आत्मा शांत होता था।

बांसुरी की सदाबहार धुन।

लतादिदी का सुमधुर आवाज का करीश्मा।

तबले की बेजोड साथ।

अवर्णनीय।


पंख होते तो उड आती रे।

सदाबहार, बहारदार, अप्रतीम गाना।

गाने के बोल बेहतरीन।


सुनने वालों को मानो तो...

अमृत की बहार।

जाने कहाँ, गये ओ दिन ???

क्या ऐसे सुमधुर दिन सचमुच में फिरसे लौट के आयेंगे ?


क्या लाजवाब गायक थे,

गीतकार थे,

संगीत था,गीत था।

सबकुछ अप्रतीम।सुंदर।

मन का बोझ हल्का करनेवाला।

मन को आनंदी करनेवाला बेहतरीन जमाना।


सचमुच में वह बेहतरीन जमाना भी...

पंख लगाकर सचमुच में दू...र चला गया।

बहुत दू...र।

रह गई...अनमोल यादें।


आप सभी के लिए आज प्रस्तुत है यह सुंदर ,अनमोल गीत...

वह भी बांसुरी पर।

हेडफोन लगाकर सुनेंगे तो...

मन और जादा हर्षोल्लासीत होगा।

जरूर सुनिए... यह अप्रतिम गाना...

पंख होते तो उड आती रे।


क्या ऐसे गाने फिरसे बनेंगे ?

क्या ऐसा बेहतरीन जमाना फिरसे लौटकर आयेगा ?


संकलन : - विनोदकुमार महाजन

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