कृष्णा
श्रेष्ठ कृष्ण भक्ति !!!
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कृष्णा,
मुझे क्या चाहिए ?
कुछ नही चाहिए !
बस्स्...केवल और केवल
तेरे पवित्र चरणकमल चाहिए !
ना धन चाहिए, ना मान चाहिए !
ना ऐश्वर्य चाहिए, ना संन्मान चाहिए !
ना यश चाहिए, ना किर्ती चाहिए !
ना वैभव, ना राजऐश्वर्य चाहिए !
कृष्णा, जनम जनम तक
तेरा पवित्र प्रेम चाहिए !
तेरा पवित्र प्रेम ही चाहिए !
मेरी आत्मा, तुझसे एकरूप हो गई !
तेरी आत्मा, मूझसे एकरूप हो गई !
मेरा चैतन्य,तुझसे एकरूप हो गया !
तेरा चैतन्य, मुझसे एकरूप हो गया !
तु और मैं का भेद मिट गया!
कान्हा, मैं तुझसे एकरूप हो गया !
मेरा,तेरा भेद मिट गया !
कृष्णा, मैं तुझसे एकरूप हो गया !
आत्मा परमात्मा का मिलन हो गया !
बस्स्... और चाहिए ही क्या था ?
जो चाहिए था,वह सबकुछ मिल गया !
कृष्णा,
मैं तेरा हो गया,तु मेरा हो गया !
मनुष्य देह का सार्थक हो गया !
जनम जनम का कल्याण हो गया !
ना सुख रह गया,ना दुख बाकी रहा !
मेरा सबकुछ तेरा हो गया !
कृष्णा,
मैं तेरा हो गया,तु मेरा हो गया !
हरी ओम्
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कृष्ण भक्त,
विनोदकुमार महाजन
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