नंगा साधु !!!

 नंगा साधू

( लेखांक : - २०५५ )


विनोदकुमार महाजन

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साधू....

एक शक्तिशाली ,वलयांकीत,

तेज:पूंज,सामर्थ्यवान शब्द !

जिसने सबकुछ साध लिया वही साधू कहलायेगा !

सदैव मस्त,स्वस्थ, आनंदी व्यक्तित्व !

दूसरों का दुख हरनेवाला व्यक्तित्व !

सदैव ईश्वरी चिंतन में,अपनी ही धून में रहनेवाला एक महान तपस्वी व्यक्तित्व !


आग लगी बस्ती में,साधु अपनी मस्ती में....

ऐसी धारणा धारण करनेवाला,सुखदुख को भेदकर, सदैव स्थितप्रज्ञ रहनेवाला, निस्वार्थी, परोपकारी, सजग,महान व्यक्तित्व !


तन ढकने के लिए छोटासा वस्त्र,

पेट के लिए थोडासा अन्न,

रहने के लिए कुटिया,

यह भी मिले,न मिले...

मस्त होकर,आनंद से जीना ही साधु का जीवन होता है !


अनेक नागा साधु भी देखो,

सदैव मस्त ईश्वरी आनंद में रहते है !

ना देह की चिंता है,ना खाने की फिकर!

आत्मानंद में मस्त होकर जीना ही साधु का जीवन होता है !


शेगांव के गजानन महाराज जैसे महान विभूति भी अनेक बार धरती पर अवतरित होते है,और ईश्वरी कार्य निरंतर करते रहते है ! एक छोटीसी लंगोटी की भी जरूरत नहीं !

नंगा साधू !

कितना उच्च कोटि का बैराग्य ?


ना तन ढकने के लिए वस्त्र की जरूरत, ना खाने की चिंता !

और ऊपर से मस्त ईश्वरीय आनंद में मस्त !

क्या जीवन है !

आनंदानुभूति, आत्मानुभूति !

आनंदाचे डोही आनंद तरंग !


अखंड ध्यान अवस्था !

अखंड समाधी अवस्था !

धन्य होते है ऐसे महान विभूति !


ना धन चाहिए, ना मान !

ना शिष्य चाहिए, ना संन्मान !

ना राजमहल चाहिए, ना राजऐश्वर्य की अभिलाषा !


कितना आनंदी जीवन !

कितना सहज जीवन !

यही है असली साधुत्व !


ना गले में माला की जरूरत ,

ना तीलक की जरूरत,

ना गेरूआ पहनने की जरूरत,

ना शिष्य जमा करने की जरूरत,

ना मठ...मंदिर निर्माण की जरूरत,

ना कोई विशेष नामाभिमान की जरूरत,

ना स्वामी,महंत, गुरु कहलवाने की अभिलाषा !


हमेशा उदात्त, भव्य... दिव्य जीवन !

ना कोई आशा,ना कोई अभिलाषा !


एक ही आशा, एक ही अभिलाषा !

धर्म की जय हो !

अधर्म का नाश हो !

सत्य की जय हो !

सत्य सनातन की जय हो !

गौमाता की रक्षा हो !

गंगामाई स्वच्छ हो !

गीता का स्विकार सारे विश्व में हो !

ईश्वरी सिध्दांतों की जीत हो !

ईश्वराधिष्ठीत समाज हो !

हैवानियत की हार हो !

कुदरत का कानून हो !


पापीयों का नाश हो !

उन्मादी, उन्मत्तों को कठोर दंड हो !

राजा भी समाज के लिए सर्वस्व समर्पित करनेवाला हो !


सत्य युग आ आरंभ हो !!!

सत्य सनातन का संपूर्ण धरती पर राज्य हो !!!


नंगे साधू की हमेशा

यही एक आशा, यही एक अभिलाषा होती है !

खुद के लिए ना कभी ऐसे साधु जीते है !

समाज हीत के लिए संपूर्ण जीवन समर्पित कर देते है !


धन्य होते है ऐसे साधु !

धन्य होता है ऐसे साधूओं का जीवन !

धन्य होता है ऐसे साधूओं का निरंतर सहवास !


ऐसे ही एक महान साधु,

मेरे आण्णा के सानिध्य में,

जनम जनम तक रहने का मुझे

सौभाग्य प्राप्त हुवा !

धन्य हुवा मेरा भी जीवन !


ब्रम्हांड में स्थित,

सर्वव्यापक, सर्वसमावेशक,

गुरुतत्व को मेरे कोटि कोटि दंडवत !!!

कोटि कोटि प्रणाम !!!


मैं एक साधारण, छोटासा जीव,

गुरूतत्व के महत्व का वर्णन कैसे कर सकता हुं ?


आकाश का कागज,

समुद्र कि शाही भी,

गुरूतत्व का वर्णन करने के लिए,

कम पडेगी !


सद्गुरु चरणों में सर्वस्व समर्पित है सारा जीवन!!!


निरंतर,नितदिन, हरपल, हरक्षण

एक ही आस,एक ही प्यास,

सद्गुरु चरणों का मुझे मिले,

जनम जनम का सहवास !


।। सद्गुरु भ्यो नमः ।।


हर हर महादेव

जय श्रीराम

हरी ओम्


जय हिंद

वंन्दे मातरम्

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