विवादित नही वास्तव
विवादित मुद्दे नही वास्तविक मुद्दे
( ले : - २०५१ )
विनोदकुमार महाजन
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मनुस्मृती, चातुर्वर्णाश्रम,ब्राम्हणत्व ऐसे सभी मुद्दों को बारबार जानबुझकर विवादित बनाया गया।
हिंदुत्व पर प्रहार करने के लिए, कुछ सामाजिक भ्रम जानबुझकर फैलाये गये।
जिसका खंडन सदसद्विवेकबुद्धी द्वारा करना जरूरी ही नही आवश्यक भी है।
जो निरंतर धर्म को जोडने का निरंतर प्रयास करते है,उनको ही तोडने का जानबुझकर प्रयास किया गया।
मनुस्मृती के बिरे में भेदभाव, स्वार्थ,छूआछूत के मुद्दे प्रसारित किए गये।
वास्तव में यह गलत है।
चातुर्वर्णाश्रम में सदैव सामाजिक सौहार्द के कार्य विभाजन द्वारा,सामाजिक सलोखा प्रस्तापित करने का प्रयास किया गया।
हमारे अंदर ही चातुर्वर्णाश्रम सदैव मौजूद होता है,उसे बाहर कैसे निकालेंगे,अथवा बहिष्कृत कैसे करेंगे ?
जैसे,
समाज में शुध्द विचारों का हम बिजारोपण करते है तो वह ब्राह्मण होता है।
आसुरीक शक्तियों के नाश के विचार रखते है तो हम क्षत्रीय होते है।
आर्थिक विवेचन करते है तब वैश्य होते है।
समाज की संपूर्ण गंदगी साफ करने के विचार हम व्यक्त करते है तो हम शुद्र होते है।
हमें सिखाया जाता है की,ब्राम्हणों ने संत ज्ञानेश्वर को पिडा दी।
मगर यह पढाया क्यों नही जाता की,संत ज्ञानेश्वर भी एक ब्राह्मण ही थे।जिन्होने ज्ञानेश्वरी ग्रंथ द्वारा संपूर्ण विश्व के कल्याण की परिभाषा अधोरेखित की।
सत्य तो आखिर सत्य होता है।
जिसे एक दिन सभी को स्विकारना ही पडेगा।
हरी ओम्
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