चलो साथियों चलो

 " *चलो साथियों* "


चलो साथीयों चलो ,

क्रांति की ओर चलो,

नवसमाज निर्माण की 

ओर चलो !


हर एक को अब राम,

कृष्ण,राजे शिवबा बनकर

धधगता ईश्वरी तेज अपनाकर

आगे आगे है बढना !


नवसमाज निर्माण के लिए,

कंधे से कंधा मिलाकर,

एक एक कदम आगे है बढना !


सबको साथ लेकर है चलना !

चलो साथीयों चलो,

नवराष्ट्र का भी अब हमें,

निर्माण है करना !


और साथियों...मैं

अकेला थक जाऊंगा,

मिलकर बोझ उठाना

साथी हाथ बढाना साथी रे !


" *साथी हाथ बढाना !* 

 *साथी हाथ बढाना !* "


भ्रष्टाचार, स्वैराचार पर अब

सब मिलके है प्रहार करना !

हैवानियत भरे नंगानाच

करनेवाले हाहाकारी यों पर भी,

अब है जमकर प्रहार करना !


समाज में छुपे हुए रावण,

दुर्योधन, कंस,

हिरण्यकशिपु पर भी,

अब हमें है चारों तरफ से वैचारिक हमले करना !


चलो मेरे प्यारे साथियों चलो,

अब हमें है युग बदलना !


कानून को नही डरने वालों 

को भी अब, 

कानून के दायरे में रहकर ,

ही है सबक सिखाना !


चलो साथीयों चलो हर पल,

हर दिन बिना थके हारे हमें है,

आगे आगे ही बढना !


नितदिन नया चैतन्य लेकर,

अंदर का ईश्वरी तेज जगाकर,

हमें है मंजिल की ओर बढना !


और संपूर्ण जीत हासिल करके, हमें दुनिया है बदलना !


चलो साथियों चलो,

चलो साथियों चलो !

मंजिल की ओर चलो,

कदम से कदम मिलाकर 

आगे आगे चलो !


।। ओम् तत् सत् ।।


शब्दांकन : - *विनोदकुमार महाजन*

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