अध्यक्ष महोदय,लोकसभा और राज्यसभा
*अध्यक्ष महोदय,*
*लोकसभा और राज्यसभा*
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अध्यक्ष महोदय,
लोकसभा, राज्यसभा
तथा
विधानसभा, विधानपरिषद,
आपको नम्र निवेदन किया जाता है की,
जब लोकसभा,राज्यसभा का,
अथवा विधानसभा ,विधानपरिषद में कामकाज आरंभ होता है,अथवा विकास कामों में चर्चा होती है,
तब,सदन के
हर एक सदस्य को बोलने का,विचार रखने का मौका दिया जाता है।
उसी समय संपूर्ण देश की और देशवासियों की,अपेक्षा यह होती है की,सन्माननीय सदस्यों को जो बोलने के लिए समय दिया जाता है,उसी समय में हर एक सदस्य द्वारा देशविकास के लिए अभ्यासपूर्ण विवेचन हो।
इसके साथ ही,
जब सन्माननीय सदस्य का भाषण अथवा विवेचन शुरू हो जाता है तब उसका संपूर्ण संभाषण, सभी सन्माननीय सदस्यों द्वारा शांतीपूर्ण तरीकों से सुनाया जाए।उसके भाषण, संभाषण में,बिचमें उसे कोई भी रोके - टोके या गलत टिप्पणी करें ,ऐसा गलत है।अथवा सदन में हंगामा करना , जोरजोर से आवाजे लगाना यह भी गलत है।
यह कामकाज संपूर्ण देश और देश की जनता,लाईव्ह प्रसारण द्वारा देखती है।और जब वहाँ पर विकास कार्यों के व्यतिरिक्त भयंकर हंगामा खडा होता है...तो यह सब देखकर देश की जागृत जनता भयंकर दुखी होती है।और मन में यही सोचती है की,
क्या जनप्रतिनिधियों को हंगामा करने के लिए ही हमनें सदन में बहुमतों से चुनकर भेजा है ?
अध्यक्ष महोदय,
मेरे इस विषय पर जरूर विचार किया जायेगा, और अगर जरूरत पडेगी तो...
इसके लिए एक कानून भी बनाना पडेगा और पारीत भी करना पडेगा।
क्योंकि देश सदन में हंगामा नहीं, बल्कि विकास कार्यों पर चर्चा चाहता है।और इसके लिए ठोस निर्णय की अपेक्षा करता है।
अध्यक्ष महोदय,
आज प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक्स मिडिया के साथ साथ,सोशल मीडिया का भी जबरदस्त प्रभाव सामाजिक विकास कार्यों के लिए , तथा देश के उत्थान के लिए,हो रहा है।और एक जागरूक पत्रकार के नाते से यह विषय आपतक पहुंचाने की कोशिश कर रहा हुं।
अध्यक्ष महोदय,
इसपर विचार होकर अमल भी होगा ऐसी अपेक्षा करता हुं।और सभागृह में विकास कार्यों के चर्चा के दरम्यान सन्माननीय सदस्य को अपने विचार शांतीपूर्ण तथा विनाव्यत्यय रखने का मौका जरूर मिलेगा ऐसी अपेक्षा करता हुं।
यह लोकतंत्र है।और लोकतंत्र को प्रभावी रखने के लिए, हर एक नागरिक के सैध्दांतिक मतों का भी स्वीकार एवं आदर किया जायेगा, ऐसी अपेक्षा करता हुं।
वंदे मातरम्
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*विनोदकुमार महाजन,*
*पत्रकार*
दि.२९/१२/२०२१
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