चलो सत्य सनातन की ओर

 *चलो सत्य सनातन की ओर !* 

 *चलो हिंदु धर्म की ओर !* 

🕉🚩🕉🚩🕉🚩🕉🚩


जिनकी ओंकार साधना है

वह सभी हिंदु ही है

मतलब सभी अनादी - अनंत

सनातन धर्म से ही जुडे हुए है !


इसके साथ ही इस देश में

रहनेवाले और खुद को

अहिंदु कहने वाले भी

सभी के सभी भी पुर्वाश्रमीके

हिंदुही है

क्योंकी इन सभी के पुर्वज भी

हिंदुही है !


मतलब साफ है,

देश के मेरे सभी भाई

हिंदुही है,अर्थात सनातनी

ही है !


इसिलिए मेरे सभी भाईयों को,

मैं नम्र निवेदन तथा आवाहन

करता हुं की,

अपने " मूल सनातन सिध्दांतों " से , " जुड जावो "

यही हर एक के जीवन का और मनुष्य जन्म का अंतीम 

साध्य है !


अपने मूल घर में तेजीसे वापिस लौटने की प्रक्रिया यहाँ से 

आरंभ होगी तो....

विदेशों में भी यह अभियान तेजीसे फैलेगा !


हम जल्दी ही हर घर में जाकर

सभी को अपने मूल सिध्दांतों से

जोडने के लिए आमंत्रित करनेवाले है !


देश में भी और विदेशों में भी !


क्योंकी यह सभी का घर है !

और यही,

" वसुधैव कुटुंबकम् " भी है !

और ईश्वर को भी यही मंजूर है !


सभी की आत्मा एक,

सभी के पंचमहाभूतों के देह एक,

सभी का जन्म मृत्यु भी एक,

सभी की श्वास भी एक,

सभी को आहार, निद्रा, भय,मैथून ईश्वरी सिध्दांतों पर आधारित !


इतना ही नही तो,

सभी पशुपक्षीयों को भी ईश्वर ने

उपर के सभी सूत्रों को एक ही धागे में बांधकर रखा है !


तो भेद है कहाँ ?

तो व्यर्थ का झगडा भी क्यों ?

आखिर सब एक ही ईश्वर की

अलग अलग आकार की,

अलग अलग देह की एक ही संतान !


गौर से देखो,

सृष्टी पुर्नउत्पादन का और सभी सजीवों का बीज बोने का,

तरीका भी लगभग एकसमान !

एक ही समानता चारों ओर दिखाई देगी !


जब ईश्वर ही सभी को अपने पूत्र मानता है.....

तो....???

हम व्यर्थ का झगडा क्यों करें ?


इसीलिए भाईयों,

चलो ईश्वर से नाता जोडते है !

उसकी रचना और उसके सृष्टी चक्र के अनुसार,

हम सभी हमारा जीवन आरंभ करते है !

सभी सनातन की ओर वापिस आते है !

हिंदुमय विश्व बनाते है !

ईश्वर को आनंदी करते है !

कुदरत का कानून स्विकारते है !

धरती का स्वर्ग बनाते है !


आखिर चौ-याशी लक्ष योनी भी ,

सभी पशुपक्षी भी,

हमारे ही भाई है !

तो उन सभी को अभय देते है !

सभी से प्रेम से नाता जोडते है !

भूतदया द्वारा संपूर्ण पृथ्वी 

का भी कायाकल्प करते है !


अंतरात्मा की पूकार सुनो !

अंदर की दिव्य ज्योति जलावो !

अंधियारा दूर भगावो !


चर्म चक्षु नही तो ज्ञान चक्षु

खोलेंगे तो ईश्वर की अगाध लिला की आत्मानुभूति लेकर रहेंगे !


इसीलिए साथियों,

चलो सनातन की ओर !

चलो हिंदु धर्म की ओर !

चलो अपने मूल सिध्दांतों की ओर !

चलो सृष्टि परिवर्तन की ओर !


हम सब मिलकर,

पृथ्वी पर फैला हुवा अंधीयारा

समाप्त करते है !

नये उजाले की ओर बढते है !


ज्योत से ज्योत जगाते चलो !

दिव्य - भव्य - अनादि - अनंत

सनातन की ओर बढते चलो !


हिंदु धर्म की ओर बढते चलो !


हरी ओम्

🕉🚩🕉🚩🕉🚩🕉🚩


 *विश्वाचार्य*( विनोदकुमार महाजन )  २७/१२/२०२१

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