चलो संस्कृती की ओर

 जनमदिन पर दिपक 

बुझाने की नही बल्की

दिपक जलाने की

हमारी संस्कृती है !


दिपक जल गया मतलब

जीवन में प्रकाश हो गया

और दिपक बुझ गया

मतलब जीवन में अंधेरा

हो गया...

ऐसा प्रतीत होता है !


इसिलिए साथीयों,

दिपक बुझावो मत,

दिपक जलावो !


चलो प्रकाश की ओर !

चलो नवजीवन की ओर !

चलो संस्कृती की ओर !

हरी ओम्


विनोदकुमार महाजन

Comments

Popular posts from this blog

ऊँ कालभैरवाय नम :

मोदिजी को पत्र ( ४० )

हिंदुराष्ट्र