ऐसा क्यों हो गया ??

 संवेदनशील समाज धीरेधीरे संवेदनशून्य कैसे बनता गया ??

✍️ २२५८


विनोदकुमार महाजन


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अपने पैरों के निचे से गलती से भी एक चिंटी आकर भी मरती थी , तब कुछ लोग दुखी होते थे ! मतलब इतना संवेदनशील समाज और व्यक्ती था....


मगर ऐसा अनेक सालों पहले दिखाई देता था ! कुछ सालों पहले  !!


व्यक्ति ,समाज परपीड़ा जानते थे ! दुसरों के दुखदर्द में आधार , सहारा ,आसरा बनते थे !

मगर अब तो परपीड़ा देने में ही आसुरीक आनंद माननेवाला

समाज क्यों और कैसे बन गया ?


मगर अब तो...??

वही संवेदनशील समाज, व्यक्ती 

धीरेधीरे इतने क्रूर और संवेदनशून्य बनते जा रहे है की...


सामने अगर तडपतडपकर कोई मर रहा है ...तो भी इंन्सान उसको और जादा तडपाता है !


ऐसा भयावह दृष्य देखकर,

अंदर भयंकर दुखदर्द ,पीडा , यातना , आत्मक्लेश होते है !!


ऐसा क्यों हो गया ?

सुसंस्कारित समाज संस्कारशून्य क्यों और कैसे बन गया ??


कितना बदल गया इंन्सान ?

सचमुच में , कितना बदल गया इंन्सान ?


अगर धरती पर ईश्वर भी आयेगा तो शायद , ऐसी भयानकता , भयावहता देखकर ,ईश्वर भी स्वर्ग को वापीस लौट जायेगा !


जी हाँ !

दुखी होकर !!


आखिर संस्कारवान ,संवेदनशील समाज संस्कारशून्य  किसने बनाया ?


मूगल , अंग्रेज या फिर आजादी के बाद के क्रूर ,भ्रष्टाचारी ,स्वार्थी, ढोंगी राज्यकर्ता ??


और इसका उत्तर ,हल क्या है ?

सुसंस्कारित , सुसंस्कृत समाज कब बनेगा ??


या फिर ? तेज गती से विनाश की ओर बढते मानवसमुह का ही सर्वनाश हो जायेगा ??


सुसंस्कृत देश में ऐसी भयावहता क्यों हो गई ? संस्कारों का धन किसने समाप्त किया ?


सबकुछ भयावह !!

सत्य का मुखौटा असत्य ने धारण किया !

भयंकर तबाही का सिलसिला आरंभ हुआ !

और सत्य ? परेशान ही नहीं तो ?

तडपतडपकर मर रहा है !


आखिर स्थितप्रज्ञ , मौन , शांत ,बौध्द बनकर बैठा हुआ विष्णु का नौवां अवतार...

प्रत्यक्ष परब्रह्म परमात्मा ,

पंढरपुर निवासी पांडूरंग...

आँखें कब खोलेगा ?


उन्मत्त ,उन्मादी ,हाहाकारी पापीयों का सर्वनाश करने के लिए ?


पांडूरंग हरी !

जय हरी !

हरी ओम्


🙏🙏🙏

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