सख्त कानून व्यवस्था कब बनेगी ?

 आंतरराष्ट्रीय मानवतावादी संगठन कहाँ है ???

✍️ २२५९


विनोदकुमार महाजन

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यह लेख विशेषतः संपूर्ण विश्व के राष्ट्रप्रमुखों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है !

इस लेखपर गहराई से वैश्विक स्तर पर चिंतन, मंथन करके , संपूर्ण विश्व में भयंकर तेजी से फैलती जा रही अमानवीय घटनाओं पर तुरंत निर्णय लेने की अत्यावश्यकता है !


दो दिन पहले पाकिस्तान से आया हुवा एक विडिओ देखने को मिला ! और ह्रदय पर कुठाराघात हुवा !

वहाँ के एक हिंदु भाई का यह विडिओ है !

वह अतीशय दु:खावेश से मोदीजी और अमीत शाहजी को निवेदन कर रहे है ! और वहाँ के भयंकर हालात का वर्णन कर रहा है !


यह विडिओ तो झूठ नही लगता है ! अथवा नाही एडीट किया हुवा लगता है !


तो मेरा वैश्विक राजनितीज्ञों को यह नम्र निवेदन है की , तेजीसे भयंकर बढती हुई घटनाओं का हल क्या है ? निष्पाप लोगों पर बर्बतापूर्वक ,जघन्य अन्याय ,अत्याचार क्यों ? और ऐसा सिलसिला कबतक चलता रहेगा ? क्या ऐसे लोगों को ,उनके सिध्दांतानुसार,जीने का हक नही है ? मानवता के नाते उनको भी जीने का अधिकार नही है ?

वैश्विक राजनिती ऐसी भयंकर घटनाओं पर मौन और शांत क्यों है ? संपूर्ण मानवतावादी देश एक जगह पर आकर इसपर तुरंत हल क्यों नहीं निकालते है ? आंतरराष्ट्रीय कानून व्यवस्था क्या करती है ? अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार वालों को ऐसी भयावह समस्या दिखाई नहीं देती है क्या ? आंतरराष्ट्रीय मिडिया ऐसी घटनाओं पर मौन क्यों है ?


क्या ऐसी भयानक समस्याओं का कोई भी हल नहीं है ?


प्रश्न अनेक है !

मगर उत्तर कुछ भी नहीं है !


आखिर आंतरराष्ट्रीय राजनिती ऐसी भयावह घटनाओं पर मौन , स्तब्ध और शांत क्यों है ?

कितने दिनों तक मानवता का , मानवी मूल्यों का गला घोटा जायेगा ? कितने दिनों तक हम ऐसे भयंकर अन्याय, अत्याचार हमारे आँखों से देखते रहेंगे ? अन्याय पिडितों को न्याय कब मिलेगा ? उन्हे तुरंत न्याय कौन देगा ?


अगर कानून व्यवस्था ही मानवता की रक्षा करने में अगर असमर्थ रहती है तो क्या ऐसी कानून व्यवस्था कालबाह्य है ? या फिर कानून व्यवस्था ही सदोष है ?

चाहे वह देशांतर्गत कानून व्यवस्था हो , अथवा अंतरराष्ट्रीय कानून व्यवस्था हो !

हल तो निकालना ही पडेगा !

निष्पापों को बचाना पडेगा !


अगर ऐशी कानून व्यवस्था निष्पापों को बचाने के लिए ,असमर्थ है तो ...उस कानून व्यवस्था का और न्यायप्रणाली का क्या फायदा ?


महत्वपूर्ण प्रश्न यह है की,

भयावह स्थिती में लटके हुए पिडीतों को तुरंत न्याय कैसे मिलेगा ?

कौन देगा ?

कब देगा ?

प्रश्न चाहे अंतरराष्ट्रीय हो अथवा राष्ट्रीय !

न्याय तो चाहिए ही !

तुरंत !


अंतरराष्ट्रीय स्तरपर मोदिजी की प्रतिमा जबरदस्त शक्तिशाली व्यक्तीत्व के रूप में उभरकर आयी है ! इसिलिए आंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी ,उनसे हमारी अपेक्षाएं भी बढ गई है !


विश्व के कोने कोने में , कहींपर भी मेरा हिंदु भाई बसा हुआ है ,मानवताप्रेमी बसा हुइ है,और ऐसे व्यक्ती अगर भयंकर मुसिबतों में फँसे हुए है ,भयंकर अन्याय - अत्याचार सह रहे है तो ? उनको तुरंत न्याय मिलना ही चाहिए !


आखिर संपूर्ण भारतवासियों को और विश्व में फैले हुए संपूर्ण मानवताप्रेमीयों को एक चुभता महत्वपूर्ण हुआ प्रश्न...

हरदिन संपूर्ण देश में और विश्वपटल पर भी ,

" कश्मीर फाईल , केरला फाईल , बंगाल फाईल "

जैसी भयावह घटनाएं , घटीत होती जा रही है !

आखिर इसका अंत क्या है ?

कानूनी हल क्या है ?

आज कानून मौन और शांत क्यों है ? ऐसी भयंकर अमानवीय घटनाओं के लिए ,सख्त और कठोर कानून क्यों नहीं है ?

आज आखिर कानून भी मजबूर क्यों है ??


समाज में फैलता जा रहा अन्याय , अत्याचार तुरंत समाप्त करने के लिए ऐसे ही कानून व्यवस्था की सख्त जरूरत होती है ! ऐसा सख्त कानून कब मिलेगा ?


इसीलिए सशक्त और तुरंत न्यायप्रणाली की और सख्त कानून की व्यवस्था जरूरी है !

विनाविलंब !!

तभी बढता हाहाकार और सामाजिक असंतुलन तथा अराजकता समाप्त होकर , समाज में शांति और सौहार्द स्थापित होगा !


हरी ओम्


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