भारतीय मतदाताओं

 भारतीय मतदाताओं,

एक बात पक्की याद रखना !!

✍️ २२७७


विनोदकुमार महाजन

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भारतीय मतदाताओं,

तुम्हे नम्र आवाहन तथा निवेदन है ! इसका गंभीरता से विचार करना ! और स्विकार करना !


२८ मई को नई संसद भवन का बडे हर्षोल्लास के साथ , अनेक साधुसंतों के सानिध्य में , बेहतरीन तरीकों से उद्घाटन हुवा है !

इतिहास इस घटना का सदैव साक्षीदार रहेगा !


सबसे महत्वपूर्ण बात यह है की,

आजतक गैरतरीकों से और जानबुझकर छूपाया गया,

राजदंड फिरसे स्थापित किया गया है, और महादेव के नंदी को उसी राजदंड पर विराजमान करके ,उसे गौरवान्वीत किया गया है !


जानबुझकर चुरे छुपे राजदंड को स्थापित ना करने का जिन्होने महापाप किया है , उनके कुकर्म सारे देशवासियों ने इस महत्वपूर्ण घडी में देख लिए है !


राजदंड फिरसे स्थापित करके,इसे छूपाने का महापाप का महाकलंक अब बुझ गया है !


इसिलिए भारतीय मतदाताओं,

इसके बाद एक बात पक्की याद रखनी है की....


" जिन्होने ने भी , अथवा जिन राजकीय पार्टीयों ने ऐसे ऐतिहासिक क्षणों का बहिष्कार करके , उस पवित्र वास्तू में जाने के लिए ,मना किया है ..."


उन सभी ने भारतीय लोकतंत्र का ,भारतीय कानून व्यवस्था का और संपूर्ण भारतीय समाज का तथा संपूर्ण भारतीय मतदाताओं का घोर अपमान किया है !


मतदाता साथीयों,

क्या इसिलिए आपने उनको लोकसभा में जीत दे दी थी !

लोकतंत्र का भारतीय मतदाताओं का अपमान करने के लिए ?


इसिलिए अगले सभी चुनावों में ,

नये संसद भवन का बहिष्कार करनेवालों को गलती से भी चुनकर नही देना है ! वैयक्तिक स्वार्थ के लिए ,अगर ऐसे लोग लोकतंत्र का भी अपमान करते है , मतदाताओं के साथ भी धोकाधडी करते है....

क्या उनको फिरसे चुनावों में जीताना उचित रहेगा ?


हरगीज नही !


अच्छा हो गया , नये वास्तू में इनके अपवित्र पाँव नही लग गये ! अन्यथा वह पवित्र वास्तू भी अपवित्र हो जाती !


साथीयों,

इसिलिए अब आपको, अगले सभी चुनावों में,

ऐसे लोगों को दुबारा चुनकर नही देना है !

ऐसे लोगों की वजह से लोकतंत्र खतरे में आ गया है !


अतएव सावधान !

मेरे लेख के बारें में एक बार नही तो सौ बार सोचना,और यथोचित निर्णय लेना !


जिन्होने नये संसद भवन का बहिष्कार करके अपमान किया है, उनको कभी भी चुनकर लाना नही है ! और अब इसके आगे कभी भी इनके कदम पवित्र वास्तू को लगने नही देने है !


इनकी जगह दूसरे योग्यतापूर्ण व्यक्तियों को ही जिताना है !


समझ गये ना ?


हरी ओम्

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