विश्व कार्य
संपूर्ण विश्व में तेजिसे फैलने के लिए ??
✍️ २२७१
विनोदकुमार महाजन
🚩🚩🚩🚩🚩
जी हाँ !
संपूर्ण विश्व में तेजी से पहुंचने के लिए , विश्वव्यापक कार्य के लिए,एक उँची उडान के लिए ,
पंखो में बल , शक्ती चाहिए ही चाहिए !
मतलब अपेक्षित साधनों की आपुर्ती !
समझो,यहाँ से अगर अमरीका जाना है तो हवाई जहाज चाहिए !
मतलब एक प्रभावी साधन चाहिए !
सबसे पहले हमारे मन में तीव्र इच्छाशक्ती चाहिए की , हमें अमरीका पहुंचना है !
मतलब साफ है की ,
सबसे पहले हमारे मन में ,वैश्विक कार्य के लिए,तीव्र इच्छाशक्ती चाहिए की , हमें विश्व के कोने कोने में सनातन संस्कृती की ध्वजा पहुंचानी है !
तो जल्द गति से अपेक्षित परिणाम प्राप्त करने के लिए,उसके लिए यथोचित योजना चाहिए ! और उसके यशस्विता के लिए , समयानुसार अपेक्षित साधन भी चाहिए !
और साधन माँगने से नही मिलेंगे ,बल्की विस्तृत प्रयासों द्वारा,अपेक्षित साधन निर्माण करने पडेंगे !
इस कार्य के लिए ,
संपूर्ण सहयोग करनेवाले संगी , साथी,सहयोगी की भी जरूरत होगी ! ऐसे सहयोगी जल्दी मिले ना मिलें !
प्रयास तो निरंतर चाहिए ही चाहिए !
स्वामी विवेकानंद ,भक्तिवेदांत प्रभुपाद जी जैसा अकेला निकलने की मन की तैयारी भी चाहिए !
भविष्य में धिरे धिरे कारवाँ बढता जायेगा !
मगर इसके लिए भी तीव्र इच्छाशक्ती होकर भी क्या फायदा ? साधनों की भी जरूरत तो होगी ही होगी !
विवेकानंद, प्रभुपाद जी को आखिर ऐसे साधन किसने उपलब्ध कराए ?
इसके लिए ,अपेक्षित परिणामों के लिए , ऐसे विचार समाज में विविध माध्यमों द्वारा ,उधृत करने पडेंगे ! समाज मन को इसका महत्व समझाना पडेगा !
" हमें संपूर्ण विश्व में तेज गती से सनातन संस्कृति को पहुंचाना है ! और यशस्वी भी होना है ! "
"चौतरफा जीत हासिल करनी ही है ! " ऐसा विश्वास मन में लेकर आगे बढना होगा !
संपूर्ण विश्व में कार्य बढाने के लिए ,सरकारी तौर पर भी संपूर्ण सहयोग प्राप्त करने के लिए ,वहाँ तक पहुंचकर ,हमारा मनोगत ,उद्दीष्ट...
" हमें यथोचित संन्मान देनेवालों
को "
बताना होगा ! सरकार को भी,संपूर्ण सहयोग के लिए, ऐसे विस्तृत कार्यों के बारे में समझाना होगा !
मगर इसके लिए भी ,साथ में कुछ बुद्धिमान ,कर्तत्ववान लोगों की टीम चाहिए ! और शक्तिशाली टीमवर्क भी चाहिए !
मगर हमारे अंदर की,इच्छाशक्ति का अभाव अथवा प्रयासों की कमतरता ऐसे भी महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार होना जरूरी है !
केवल स्वप्नरंजन अथवा कल्पनाविलास से कार्य को गती कैसे मिलेगी ?
असंभव !
इसीलिए अंदर से ही,कुछ कर दिखाने की निरंतर नई चेतना, उर्जा ,बेचैनी चाहिए !
गिनेचुने ही सही स्फुर्तीमान सहयोगियों की जरुरत चाहिए !
मरे हुए मन से सभी इकठ्ठा हो गये है और कार्य बढाने की अपेक्षा कर रहे है तो ?
कार्य आगे बढना असंभव है !
गाय का बछडा जिस प्रकार से अपनी माँ को उसके स्तनों से लगकर, दूध निकालने के लिए , निरंतर ढूसनी देता रहता है !
माँ के स्तनों से दूध निकलने तक शांत नहीं बैठता है !
ठीक इसी प्रकार से कार्य बढाने के लिए ,निरंतर बेचैन रहने वाले सहयोगी भी चाहिए !
भले ही पाँच - दस भी मिलें !
गाय तो दूध देने के लिए तैयार है ,मगर बछडा ही ऐसा प्रयास नहीं कर रहा है तो ? दूध भी कैसे निकलेगा ?
मतलब,अपेक्षित साधन तो धिरेधिरे मिलते ही जायेंगे !
मगर इसके लिए निरंतर प्रयास करनेवाले , बेचैन सहयोगी कैसे और कहाँ से मिलेंगे ?
यही महत्वपूर्ण प्रश्न है !
कार्य विस्तार तो करना है !
मगर उसके लिए भी अपेक्षित टीमवर्क भी चाहिए ! इसके लिए हर एक सहयोगी की, संपूर्णत: झोंक देने की मन की तैयारी भी चाहिए !
इसके लिए तन - मन - धन से समर्पण भी चाहिए !
अहंकार और स्वार्थ ,मैं ,मेरा ,तेरा ऐसी धारणाएं कार्य सफलता के लिए,बाधक साबित होगी !
अहंकारशून्यता ,संपूर्ण समर्पण ,शुध्द और सात्विक भाव,और अथक प्रयासों द्वारा ,उच्च ध्येयवाद तक पहुंचने की मन की तैयारी ,बहुत कुछ कर दिखा सकती है !
इससे मुझे क्या मिलेगा ?
कितना धन, मानसंन्मान , वह भी तुरंत ,मुझे मिलेगा ? इसकी अपेक्षा से कार्य आरंभ करेंगे तो ? शायद कुछ भी नहीं होगा !
जबतक हर सदस्यों की कार्य के प्रति उत्सुकता, बैचैनी ,अंदर की आग हरपल,अस्वस्थ नहीं करती रहती है ,तबतक ? कार्य को आगे बढाने की ,सफल बनाने की ,संभावना भी बहुत कम होती है !
उच्च कोटि का आपसी तालमेल, विश्वास, प्रेम,सहयोग, संपूर्ण समर्पण ही कार्य में सफलता की ओर तेजीसे,ले जा सकता है !
और एक यशस्वी रणनीति के तहत कार्य विश्वव्यापक भी बन सकता है !
मैं काफी दिनों से इसका प्रयास कर रहा हूं !
देखते है कौन और कितने,
जी - जान से साथ देनेवाले मिलते है ?
मगर मिलेंगे ! जरूर मिलेंगे !
क्योंकि हम ईश्वरी कार्यों को संपूर्ण समर्पित भाव से आगे बढा रहे है तो...ईश्वर भी हमें जरूर सहायभूत भी होगा !
देखते है ?
ईश्वर भविष्यकालीन कौनसी यशस्वी योजनाएं बनाता है ?
हरी ओम्
🙏🙏🙏🙏🙏🕉
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