सिध्दांतों की रक्षा
सिध्दांतों की रक्षा के लिए !!
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सिध्दांतों की रक्षा के लिए
जैसे राम को बनवास जाना पडा, कृष्ण परमात्मा को भी
अपना " उन्मादी सगा मामा " कँस का भी वध करना पडा , परशुराम को भी अपनी माँ
" रेणुका " का भी सर काटना पडा था !
वृत्रासुर के वध के लिए,
महान ऋषि , " दधीची "
को भी अपना देहत्याग योगशक्ति द्वारा करके,
इंद्र को " वज्र " बनाने के लिए
सर्वस्व समर्पण करना पड़ा !
तो हम सिध्दांतों की रक्षा के लिए क्यों पिछे हट रहे है ?
क्यों
" अपने ही बेईमानों को ( ??? )
बचा रहे है !? "
जो देश में तबाही का माहौल बना रहे है ?
सर्वोच्च सत्तास्थान को अब,कर्तव्य कठोर तो बनना ही पडेगा !
अगर सबका साथ ,सबका विकास, सबका विश्वास
यह सिध्दांत कुछ काम नहीं आता है तो ???
" योगीबाबा का " जमीन में गाड दूंगा...
यह सिध्दांत ही काम आता होगा तो...???
अब हमें सिध्दांतों के नियमों को बदलना पडेगा !
अगर भगवत् गीता और सभी देवीदेवता भी यही सिखाती है तो ?
हम उसका अमल
" संपूर्ण देश के लिए !"
क्यों नहीं कर सकते है ?
हर हर मोदी !
घर घर योगी !
विनोदकुमार महाजन
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