कर नाटक का नाटक !
कर नाटक ! कर नाटक !!
✍️ २२६२
विनोदकुमार महाजन
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कर नाटक !
बेटा तु कितना भी कर नाटक !
यह कोई बाप बेटे का संवाद नही है ! कर्नाटक में हुए ताजे चुनाव नतिजों पर यह एक तिखी प्रतिक्रिया है !
मेरी वैयक्तिक नहीं तो देश के और विदेश के सभी प्रखर राष्ट्रप्रेमियों की !
कैसे ??
विस्तार से पढेंगे तो जानेंगे !
सदियों से हम विश्वासघात करनेवालों का ,गला घोटने वालों का ही साथ देते आ रहे है !
हर जगहों से हमें भगाया जा रहा है ! फिर भी हम नहीं सुधर रहे है !
हुश्श्....
दुर्दैव !
देश का और सत्यप्रेमीयों का !!
चाहे बजरंग दल पर बंदी लगाने की कोई घोषणा करें ! अथवा चाहे भविष्य में कोई हिंदुत्व पर ही बैन लगाने की घोषणा करें !
इससे हमें क्या लेनादेना ?
इससे हमपर क्या फर्क पडता है ?
( यह पाकिस्तान , सिरिया की घटना नहीं बल्की हिंदुस्थान की ताजी घटना है ! )
कर नाटक की !
संपूर्ण देश में भी यही होगा ?
रोंगटे खडे कर देनेवाली घटना !
सचमुच में !
चाहे हिंदुत्व को जगाने का कोई कितना भी प्रयास करें ?
चाहे मोदी देश का कितना भी विकास करें ?
या फिर सदीयों से मरा हुवा स्वाभिमान जगाने का कोई कितना भी प्रयास करें ?
सदीयों से भयंकर अन्याय , अत्याचार , क्रौर्य कोई भी करता रहें ? हमपर क्या फर्क पडता है ?
हम तो लालची , कृतघ्न , भागनेवाले ही है ! चारों ओर से भागे ! फिर भी नहीं सुधरे !
भागमभाग का ही नशीब !
हमारे ! अपने !
कृतघ्न ! लाचार ! जयचंद !!
इनको सोने का महल भी बनवा देंगे ना ? तो भी साँपों जैसा कब दंश करेंगे इसका एक प्रतिशत भी भरौसा नहीं रहा है !
यह चुनावी विश्लेषण इसिलिए है की आगे २४ में ऐसी भयावह स्थिति ना बनें !
कोई तो भी रास्ता निकले !
राष्ट्रप्रेमियों की बेचैनी थोडीशी कम हो !
मैंने मेरे अनेक लेखों में भारतीय समाज की मानसिकता के बारे में, अनेक बार विस्तृत और विस्तार से विवेचन किया है ! और बारबार ,हरबार सभी को सुचित ,सावधान करने का छोटासा प्रयास भी किया है !
चुनावी विश्लेषण में
" हमारी रणनितीयों में " किस प्रकार की कमियां रही इसपर चिंतन , मंथन , विचार - विमर्श करने का और व्यर्थ समय बरबाद करने का यह समय नहीं है ! अब सोचना यह है की , आगे कैसे जीतना है ?
कौनसी यशस्वी रणनीति बनानी है ?
जीत पक्की है , ऐसा समझकर ,अनजाने में नहीं रहना है ! कर नाटक ने सभी के आँखों की पट्टी खोल दी है !
फालतू का आत्मविश्वास कितना भयंकर घातक होता है , यह भी दिखाई दिया है !
" उनकी " रणनिती चौतरफा है और जमीन के निचे से है ! और हम ? गहरी नींद में ?
लगभग यही इस भयंकर नतीजों ने सिध्द कर दिया है !
हमारे पास अनेक सिध्दियां है , मगर समाज परिवर्तन के लिए वही सिध्दियां कुछ काम की साबित नहीं होती है तो ? उस सिध्दीयों का क्या फायदा ?
हर राष्ट्राभिमानी मेरा यह लेख जरूर पढेगा ! इसपर गहराई से चींतन , मंथन करेगा !
और चिंतामुक्त , भयमुक्त समाज निर्माण के लिए ( योगीबाबा और योगीराज की तरह ) चौबीसों घंटे प्रयासरत रहेगा , ऐसी आशा करता हूं !
क्योंकि " हमारे ही लोगों का "
यहां भरौसा नहीं है ! विकास का मोडल भी यहां पर फेल हो जाता है ! ?
( आश्चर्य ! महद्आश्चर्य !!?)
लोगों को रोजी - रोटी दी गई यह भी मुद्दा संपूर्णता फेल हो जाता है ! संपूर्णता धाराशाही हो जाता है !!
इसीलिए ,
" वरीष्ठ स्तर पर "पक्की जीत का ,
" फार्मूला नं २ "
ढूंढने की और उसे तत्काल अमल में लाने की सख्त जरूरत है !
मोहन भागवतजी ,मोदीजी ,
अमीत शाहजी ,योगीजी और देशविदेशों के अनेक संन्माननीय मान्यवर मेरे लेख पढते है ! यह भी लेख उन महात्माओं के पास जायेगा !
और
" अगले जीत की पक्की रणनीति बनेगी "
ऐसी आशा करता हूं !
अब विस्तार से विवेचन करते है
कर नाटक के नाटक का !
इतना क्या भयंकर गजब हो गया कि हमें इतनी भयंकर और करारी हार देखनी पडी ? सभी अपेक्षाओं पर पाणी फेर गया ?हमारी सारी आशा आकांक्षाएं पूरी तरह से ध्वस्त हो गई ! जीत के सारे अनुमान फेल हो गये !
सत्ता हस्तगत करना यह अंतिम उद्दीष्ट ना होकर भी,
संपूर्ण रूप से समाज परिवर्तन के लिए , सर्वोच्च सत्तास्थान की चाबी हाथ में रखना भी अत्यावश्यक तथा जरूरी होता है !
भगवान श्रीकृष्ण की तरह !!
आखिर ऐसा क्या हो गया ? और आखिर क्यों हो गया ?
की कर नाटक में भी ,
" खेला होबे " हो गया ?
स्थानीय लोकप्रतिनिधि के बारे में जनआक्रोश यह मुद्दा ठीक नहीं लगता है !
अगर जनआक्रोश होगा तो भी मोदीजी का कार्य बेजोड़ होने के कारण यह मुद्दा सटीक नहीं लगता है !
पैसों का खेला ?
इसपर विवेचन करना कुछ कारणों से टालता हूं !
यह गुप्तचर विभाग का दाईत्व है ! और इसीलिए इसमें हस्तक्षेप नहीं करना चाहता हूं !
दूसरा मुद्दा है लालच का !
तो विरोधियों ने ऐसा कौनसा लालच जनमानस को दिखाया, जिसके द्वारा सारे आदर्श मुद्दे और आदर्शवाद भी ढह गया ?
यह भी देखना होगा !
और भविष्यकालीन, दूरगामी परिणामों को देखते हुए ,ऐसे विनाशकारी विषयों पर ,तत्काल हल ढूंडना ही पडेगा !
सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा है हमारे अंदर के अनेक जनजातीयों का आपसी तालमेल का अभाव और बैर ! इसपर व्यापक रणनीति बनाकर हल ढूंढना ही पडेगा !
घर घर में जाकर !
कार्यकर्ताओं की फौज हमारे पास होकर भी आखिर ऐसा विपरीत क्यों हो रहा है ?
जनमानस को आत्मपरीक्षण के लिए उद्युक्त करने के लिए ,हमारी रणनीति यशस्वी क्यों नहीं हो रही है ?
इसपर भी गहराई से चिंतन, मंथन की अत्यावश्यकता है !
समाज परिवर्तन तथा सुसंस्कृत समाज निर्माण के लिए , यह अत्यावश्यक भी है !
अब देखते है बोगस आयडी कार्ड और बोगस मतदान का प्रतिशत !
साधारणतया यह मुद्दा हम हर चुनाव में नजरअंदाज कर रहे है !जो संपूर्ण देश के लिए भयंकर घातक साबित होता जा रहा है ! और हर चुनावों में इसके परिणाम गंभीर स्वरूप धारण करते जा रहे है !
इसकी काट तो तुरंत ढूंडनी पडेगी !
रोहिंग्या ,बांग्लादेशी ,पाकिस्तानी घुसपैठिए अब संपूर्ण देश में गुप्त रूप से इस प्रकार से घुसकर बैठे हुए है की हमारे समझ में नहीं आ रहा है ! और ऐसे घुसपैठिए समाज में इतने घुलमिल गये है की , उन्हें पहचानना भी मुश्किल हो गया है ! और हमारा निश्क्रिय समाज भी ऐसे लोगों की शक्ति बढा रहा है !
इसीलिए हो सके तो सबसे पहले सभी घुसपैठियों को ढूंढकर बाहर निकालना और उसके बाद ही सभी चुनाव लडना ,ऐसी निती बनानी पडेगी ! यह कार्य आसान नहीं है फिर भी तीव्र इच्छाशक्ति के आगे मुश्किल भी नहीं है !
क्योंकि घुसपैठियों की समांतर शक्ति ही अनेक जगहों पर हार के लिए कारणीभूत हो रही है !
और विरोधी अपने ऐसे भयावह षड्यंत्रों में यशस्वी भी हो रहे है !
इसकी तुरंत और सख्त कानूनी काट तो ढूंडनी ही पडेगी !
फिरसे दोहराता हूं !
इसकी काट जरूरी है !
सख्त और कठोर निर्णय लेकर !
अन्यथा ?
सत्यानाश और सर्वनाश हो जायेगा !
शायद,आगे कोई नहीं बचा पायेगा !
इसीलिए इस मामले में समय से पहले जागना पडेगा !
क्षणिक मोह ,मायाजाल, मृगजल में फँसनेवाले ( मगर विनाशकारी ) समाजमन की,अनेक मार्गों से, सामुहिक चेतना जागृति करनी पडेगी !
ता की समाज अपने सिध्दांतों पर सदैव अडीग रहे ! समाजमन प्रलोभनों से विचलित ना हो !
उसका अधर्म और अधर्मीयों के प्रति तुरंत मतांतरण अथवा मतपरिवर्तन ना हो सके ,इसके लिए विस्तृत प्रयासों से नींव रखकर दोलायमान समाजमन को स्थिर करना होगा !
सामाजिक सौहार्द पुनर्स्थापित करने के लिए यह अत्यंत महत्वपूर्ण मुद्दा है !
वरीष्ठ स्तर पर मुझे भविष्यकालीन योजनाएं तथा यशस्वी रणनितीयाँ बनाने का एक मौका मिलेगा ऐसी आशा करता हूं !
जिसका उपयोग मुझे राष्ट्रीय स्तर पर तथा वैश्विक जीत के लिए कारणीभूत होगा !
अगर कोई सहयोगी मिलेगा तो
सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर करना चाहता हूं !
जिसमें प्रमुख माँग यह रहेगी कि,
" जबतक सभी घुसपैठियों को बाहर नहीं निकाला जाता है ,तबतक सरकार सभी चुनावों पर तुरंत रोक लगा दें ! "
इसी कारण देश की और देशवासियों की भयंकर क्षति होती जा रही है ! और मेरे वैयक्तिक विचारों के अनुसार,
सरकार इसको गंभीरता से नहीं ले रही है !
हो सकता है, कायदेशीर अनेक मजबुरीयाँ भी होगी !
कर नाटक का नाटक अब संपूर्ण देश में बहुत जोर शोर से ,ढोल नगाड़ों के साथ ,विरोधियों द्वारा खेला जायेगा !
बहुत बोलबाला किया जायेगा !
देशविदेशों से !
अतएव सावधान !
त्रिवार सावधान !!
इसीलिए मैं मेरै अनेक लेखों में लिखता आया हूं,
" हर शाख पर उल्लू बैठा हुआ है, हमें उल्लू बनाने के लिए ! "
" डाल डाल पर बेईमान बैठे है,
हमें नेस्तनाबूद करने के लिए ! "
कर नाटक के नाटक ने आप सभी को मेरे शब्दों की कीमत समझ ही गई होगी !
अगली रणनितीयाँ बनाने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर मौका मिलेगा , ऐसी अपेक्षा करता हूं !
हरी ओम्
🙏🙏🙏
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