विष्णु का नौवां अवतार !

 विष्णु का नौवां अवतार :-- पांडूरंग !!

✍️ २२७२


विनोदकुमार महाजन


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विष्णु का नौवां अवतार कौनसा ? इस विषय में आजतक अनेक बार संशोधन करने का प्रयास हुवा है !


इसी विषय पर आज के लेख में विस्तृत विवेचन करने का एक छोटासा मगर वास्तव प्रयास है !


विष्णु के नौवें अवतार के बारे में अनेक मान्यताएं है ! मगर मैं इस विवाद में पडना नहीं चाहता हूं !


मगर मैं दावे के साथ यही कहूंगा कि, अवतार कार्य में पूर्णत्व होता है ! अवतार कार्य समस्त मानवसमुहों के आदर्शों को पुनर्स्थापित करने के लिए ही होता है ! और संपूर्णतः ईश्वरी सिध्दांतों पर आधारित ही होता है ! और हर अवतार कार्य में आदर्श सनातन धर्म और महान संस्कृति को ही पुनर्जीवित किया गया है !धर्म पुनर्स्थापना !!


विशेष बात यह है की ,अवतार कार्य कोई स्वतंत्र मत - पथ - पंथ का निर्माण नहीं करता है, अपितु सनातन धर्म से ही संबंधित कार्यों को निरंतर बढावा देता रहता है !


इसी विषय के अनुसार दूसरा महत्वपूर्ण मुद्दा यह भी है की ,महापुरुष भी वहीं होते है , जो समस्त मानवसमुहों के कल्याण के लिए ही आजीवन प्रयासरत रहते है ! कोई विशिष्ट जाती के लिए ही महापुरुष कभी भी कार्य नहीं करते है !

समस्त मानवजाति का कल्याण, यही महापुरुष की एकमेव व्याख्या की जाती है !


अब देखते है की,पांडूरंग ही विष्णु का नौवां अवतार कैसे ?

सभी संतजनों ने अपने अनेक काव्यों में पांडूरंग को ही 

" बौध्द " शब्द से प्रमाणित किया हुआ है !

सभी संतों के मतों के अनुसार पांडूरंग ही विष्णु का नौवां अवतार मान लिया है !

( गुगल पर इसके प्रमाण देख सकते है ! )


जो स्थितप्रज्ञ है , निश्चल है ,मौन है , शांत है , बौध्द अवस्था में ही निरंतर है , वहीं पांडूरंग ही है !

उन्मत्त कली के,पापों का हिसाब अभी ना देखकर, आँखें बंद करके ही रहना !


फिर भी अनेक संतों के साथ पांडूरंग ने अनेक प्रकार की दिव्यानुभूतियां भी अनेक बार दिखाई है ! सभी संतों को पांडूरंग के दिव्य दर्शन भी हो गये है ! जनाबाई के साथ प्रत्यक्ष परब्रह्म पांडूरंग अनेक कामों में सहायता भी करता था !

संत ज्ञानेश्वर, संत तुकाराम, एकनाथ महाराज,नामदेव महाराज,सज्जन कसाई, चोखामेळा,गोरा कुंभार, संत जनाबाई,सावता माळी , दामाजी पंत,कान्होपात्रा, रोहिदास जैसे अनेक संतों को पांडूरंग की अनेक बार दिव्यानुभुतीयां भी मिली है !

और यह सप्रमाण सिध्द भी हुवा है !


ऐसा कहते है की,कृष्ण परमात्मा ही प्रत्यक्ष पांडूरंग है ! इसिलिए उसके साथ माता रूक्मिणी भी है !


भागवत धर्म अर्थात वारकरी सांप्रदाय भी पांडूरंग से ही संबंधित है ! और वारकरी सांप्रदाय का ,समस्त मानवसमुह के लिए तथा मानवता के लिए , किया जा रहा कार्य ,अतुलनीय है ! बेजोड़ है !जिसका शब्दों में वर्णन करना असंभव है !

" रामकृष्णहरी " यह दिव्य तथा स्वयंसिद्ध महामंत्र वारकरी सांप्रदाय का प्राण है !

और रामकृष्णहरी यह मंत्रोच्चार से भी अनेक प्रकार की 

दिव्यानुभूतियां प्राप्त होती है ,अनेक प्रकार की सिध्दीयां भी प्राप्त होती है ,अनेक दिव्यशक्तियां भी प्राप्त होती है !

यह मेरा खुद का अनुभव भी है !


इसिलिए " रामकृष्णहरी " यह केवल एक मंत्र नहीं है, बल्कि कलियुग में अमृत जैसा वरदान है !


वारकरी सांप्रदाय में भेदभाव रहित मानवसमुह की पूजा की जाती है ! छोटे बडे का भेद समाप्त करके ,सभी में एकसमान आत्मतत्व देखकर, सभी के चरण छुने की महान परंपरा वारकरी सांप्रदाय में दिखाई देती है ! और सभी को 

" माऊली " संबोधन से ही संबोधित किया जाता है !जो सही मायने में मानवता ही सिखाती है !

पंढरपुर और आळंदी ,देहू में,वारकरी सांप्रदाय द्वारा, साक्षात चैतन्य का महासागर हर बार दिखाई देता है !

और साक्षात स्वर्ग ही धरती पर अवतरीत हुवा है,ऐसी दिव्यानुभुतीयां बारबार देखने को मिलती है !

सभी जाती ,धर्म ,मत ,पंथ के व्यक्ती, अबाल , वृध्द अपना संपूर्ण जीवन पांडूरंग के चरणों में समर्पित करते है !


कितनी महानता ? कितनी दिव्यता ? कितनी भव्यता ?

कितनी व्यापकता ?


और यह भक्तिभाव का संपूर्ण मेला पांडूरंग के चरणकमलों से ही संबंधित है !

मतलब साफ है ,पांडूरंग निश्चल है ,स्थितप्रज्ञ है ! फिर भी उसकि अनेक दिव्य शक्तियां युगों युगों से कार्य कर रही है !


समस्त मानवसमुह का अखंड कल्याण ,यही पांडूरंग अवतरण की महानतम व्याख्या है !


वैश्विक कार्यों के लिए, प्रत्यक्ष परमात्मा पांडूरंग मुझे भी ,हर बार प्रेरणा देता रहता है ! इसकी अनेक दिव्यानुभूतियां भी मुझे बारबार मिलती रहती है !

प्रत्यक्ष पांडूरंग ने ही ,मुझे पंढरपुर में बुलाकर, उसके सानिध्य में रहकर,मुझसे बारा सालों की खडतर तपश्चर्या पूरी करके ली है !

और उसीके आदेश के अनुसार ही, संत ज्ञानेश्वर की पावन भूमि, आलंदी में , बारा सालों की तपश्चर्या, प्रत्यक्ष ज्ञानराजा के संपर्क में पूरी करके ली है !


पसायदान में लिखा है,

" विश्व - स्वधर्म - सुर्ये - पाहो ! "

उसीके अनुसार ही मेरा वैश्विक कार्य आरंभ हो रहा है !


पांडूरंग की अनेक दिव्यानुभूतीयों से यह साबित होता है कि, पांडूरंग ही,विष्णु का नौवां अवतार है !

क्योंकि इसीमें ही समस्त मानवसमुह का कल्याण ,सही अर्थ से धर्म निरपेक्षता और ईश्वर निर्मित सत्य सनातन का कार्य निगडीत है !

इसिलिए पांडूरंग ही पूर्णावतार है ! जिसमें आज भी अनेक शक्तियां स्थापित है ! और इसी अवतार में ही पूर्णत्व भी है !


भक्त पुंडलिक के लिए ही पांडूरंग का अवतरण हुवा है ,यह तो सप्रमाण सिध्द है !

युगों युगों से पांडूरंग, पंढरपूर में ,एक ईट पर खडा है ! आँखें बंद करके ! कमर पर हाथ रखकर !


इतिहास के पन्नों में झांककर इसकी समय गणना नापने की कोशीश की तो शायद इसके कालावधी के पक्के प्रमाण नही मिलते है !


शायद भगवान श्रीकृष्ण ने अवतार कार्य समाप्त करने के बाद और देहत्याग करने के बाद ही पांडूरंग धरती पर अवतरीत हुए होंगे ! ऐसी मेरी वैयक्तिक धारणा है !

कालगणना के अनुसार राम और कृष्ण का अवतार कार्य का समय बता सकते है ! मगर पांडूरंग के अवतरण का कालगणना के अनुसार , अवतीर्ण होना , शायद बता नहीं सकते है !


मेरे सद्गुरु आण्णा की कृपा से, मैं दावे के साथ यह कहता हूं कि, प्रत्यक्ष परमात्मा भगवान श्रीकृष्ण और पांडूरंग के और मेरे रिश्ते भी,युगों युगों से है ! और आगे भी युगों युगों तक रहेंगे !


विष्णु का नौवां अवतार प्रत्यक्ष परमात्मा पांडूरंग ही है ,यह मैंने सप्रमाण सिध्द करने का प्रयास किया है !

"दूसरे विषयों ( ? ) के बारे में ", मैंने एक शब्द भी उल्लेखित नहीं किया है ! ताकि व्यर्थ का वादविवाद खडा न हो !


क्या अब पांडूरंग के इच्छा से ही,

विष्णु का दसवां अवतार,

" कल्कि " भी प्रकट होगा ?

या फिर प्रकट हो गया है ?

और आज की अतीभयावह स्थिति में, धर्म की पुनर्स्थापना करेगा ?


( इसी विषयानुसार भविष्य में अनेक अद्भुत, अनाकलनीय, अतार्किक घटनाओं का सिलसिला आरंभ होगा ! )

और आखिर में संपूर्ण विश्व में,

ईश्वर निर्मित ,सत्य सनातन धर्म का ही केवल अस्तित्व रहेगा !

इसकी शुरुआत हो चुकी है !


इसी विषयानुसार मुझसे कोई चर्चा करना चाहता है तो मुझे जरूर संपर्क करना !


सभी को प्रणाम !


हरी ओम्


🙏🙏🙏🙏🙏


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