सावरकरजी का प्रायोपवेशन और देहत्याग

 सावरकरजी का प्रायोपवेशन  :- 

एक क्लेशदायक घटना !

✍️ २२५४


विनोदकुमार महाजन


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जिस देश में महापुरुषों के साथ , महात्मा - संत - सत्पुरुषों के साथ , धोखा - छल , कपट किया जाता है , विचारवंतों को प्रोत्साहित करने के बजाय , जानबूझकर हतोत्साहित और अपमानित किया जाता है , उस देश का भविष्य निश्चित ही अंधकारमय हो जाता है !


और हमारे देश में भी ठीक ऐसा ही सिलसिला , अनेक सालों से , लगातार जारी है !

परिणाम ?

देश का आज का उपद्रवी शक्तियों का भयंकर अराजक और कानूनी हतबलता !


सावरकर , सुभाषचंद्र बोस , श्यामा प्रसाद मुखर्जी , करपात्री महाराज जैसे अनेक थोर महापुरुषों के साथ भी ठीक ऐसा ही हुवा था !

विश्वासघात ,धोखाधड़ी के कारण ,उन महापुरुषों के नशीब में भयंकर दुखदर्द ,यातना , आत्मक्लेश देखने को मिलते है !


हमारे देश में अनेक सालों तक ऐसा भयंकर अघटित क्यों होता आया है ? क्यों हुवा ? और ऐसा अघटित जानबुझकर क्यों किया गया ?

कौन असली सुत्रधार है ऐसी भयंकर घटनाओं के पिछे ?

ऐसी भयंकर घटनाओं के लिए, परदे का पिछे का असली चेहरा कौन था ? और ऐसी भयंकर विपरीत घटनाओं के पिछे उसका उद्देश क्या था ? 

यह जानना जरूरी भी है ! और यथावकाश इसकी कानूनी जाँच भी होनी अत्यावश्यक भी है !और असली मुजरीम पकडे भी जाने चाहिए !

भविष्य इन्हे कभी भी क्षमा नही करेगा !


देश में आबादी आबाद लाने के बजाए , बरबादी का सिलसिला ?


अब थोडी चर्चा करते है सावरकरजी के प्रायोपवेशन के बारे में !


प्रायोपवेशन का मतलब होता है , अन्नपाणी का सर्वस्व त्याग करके , संपूर्णतः अंशन करके , देहत्याग कर देना !

और सावरकरजी ने लगातार २१ दिनों का अंशन करके ,अपना देहत्याग किया था !


ऐसा क्या हो गया था की ,उनको इसप्रकार से मृत्यु को गले लगाना पडा था ?


वास्तविक सभी सजीवों की मृत्यु तो ईश्वर के हाथ में होती है ! जिसे नैसर्गिक मृत्यु कहते है ! और हर सजीवों को एक दिन यह देह तो छोडना ही पडता है !


कुछ महासिध्दयोगी अपना अवतार कार्य पूरा होने के बाद , योगशक्ति द्वारा अपना देहत्याग कर देते है ! जैसे खुद की इच्छा से ही , अवतार कार्य के लिए , माँ के गर्भ में प्रवेश करके , धरती पर जनम लिया था , उसी प्रकार से खुद की मृत्यु भी कार्य समाप्ति के बाद खुद ही तय करते है !

संत ज्ञानेश्वर जैसे अनेक महासिध्दयोगी इसके प्रमाण है !

विशेष बात यह है की ,देह त्यागने के बाद भी अगर जरूरत पडी तो ऐशी पवित्र आत्माएं , फिरसे थोडी देर के लिए , वहीं पुराना देह धारण करके , फिरसे अवतरित होती है !


आत्महत्या यह भी मृत्यु का कारण बन सकता है ! मगर देह त्यागने का यह धर्मसंगत पर्याय नहीं है ! क्योंकि यह नैसर्गिक मृत्यु नहीं है ! और ऐसी मृत्यु होनेपर, आत्मा अतृप्त रहता है, और अतृप्त आत्माएं नीरंतर भटकती भी रहती है ! 

जिसे पिशाच कहते है ! 

पिशाचों के मेरे खुद के अनेक चित्र विचित्र अनुभव भी है ! जो मैंने मेरे पहले कुछ लेखों में नमूद भी किए हुए है !


पिशाच कैसे होते है ? तारक भी और मारक भी , इसमें मेरा खुद का अनुभव भी मैंने मेरे पिछले कुछ लेखों में दिया था !


खैर , यह स्वतंत्र लेख का विषय है ! इसपर विस्तृत चर्चा अगले किसी लेखों में करेंगे !


तो सावरकरजी को आखिर प्रायोपवेशन करके देहत्याग क्यों करना पडा ?

यह आज के लेख का मुख्य विषय है ! आईये इसपर आज विस्तृत से चर्चा करते है !


सावरकरजी का सटीक विश्लेषण संन्माननीय स्व.अटलबिहारी वाजपेयी जी ने इससे पहले किया ही है !


सावरकर मतलब त्याग !

सावरकर मतलब धधगता यज्ञकुंड !

सावरकर मतलब वीरता !

प्रखर राष्ट्राभिमानी , तेजस्वी क्रांतिकारी ,ओजस्वी लेखक ,कवी , नाटककार , इतिहासकार , प्रकांड पंडित , कट्टर हिंदुत्ववादी और मानवतावादी !

एक जबरदस्त व्यक्तित्व !


सावरकरजी के बारे में लिखने के लिए ,वास्तव में शब्द भी कम पडेंगे ! इतना महान ,अभ्यासू व्यक्तित्व हमारे देश को मिला था ! यह हमारा परम सौभाग्य भी था !


और ऐसे महान व्यक्तित्व के नशीब में , हमेशा ,इस देश में उपेक्षा ही लिखी होती है !

दुर्दैव !

उस महात्मा का , देश का और संपूर्ण देशवासियों का !


सावरकरजी जैसे अनेक महापुरुषों के साथ , कुछ राक्षसी और स्वार्थांध षड्यंत्रकारियों ने  जानबूझकर बारबार प्रताड़ित किया ,अपमानित किया , हतोत्साहित करने का प्रयास भी किया गया !


और भयंकर षड्यंत्रों द्वारा समाप्त भी किया गया !


राजनीति भयंकर गंदी होती है , यह बात स्वीकार्य भी है ! और मंजूर भी है !

मगर उसमें भी सिध्दांत होते है !

उसमें भी नियम होते है !

उसमें भी संस्कार भी होते है !


भगवान श्रीकृष्ण एक ऐसा अजेय धर्म योध्दा और अजेय राजनितीज्ञ है की , उसके सामने सभी गंदी राजनीति वाले , मृत्यु शैय्या पर विराजमान हो गये !


" नरो वा कूंजरो " के समय में भगवान श्रीकृष्ण को कभी अर्धसत्य का भी सहारा लेना पडा था !


गाय की रक्षा के लिए ,कसाई को झूठ बोलना पाप कैसे होगा ?


मगर विशेषता आजादी के बाद , हमारे इस महान परंपरा वाले देश में भयंकर गंदी और गिरी हुई , संस्कार विहीन राजनीति खेली गई !


ऐसा किसने और क्यों किया ? 

यह बात तो संपूर्ण देश जानता भी है ! और धीरेधीरे संपूर्ण विश्व भी जानने लगा है !

असली नकली चेहरे तो सभी जान ही रहे है !


आजादी के पहले भी और आजादी के बाद भी सावरकरजी के नशीब में उपेक्षा ही भरी थी !

हमारे समाज द्वारा भी ! और क्रूर अंग्रोजों द्वारा भी !


क्यों ?


वास्तव में , हिंदुद्वेष ही जिनके जीवन का हिस्सा था और हिंदु धर्म को ही समाप्त करना जिनके जीवन का एकमेक उद्दीष्ट था , और उनके जीवन का यही एकमात्र " गुप्त एजेंडा " भी था ! उन्हीं षड्यंत्रकारियों ने सावरकरजी के साथ ही लगभग सभी हिंदुत्ववादियों के साथ ठीक ऐसा ही व्यवहार किया था !


अवैध तरीकों से सत्ता हतीयायी ! और सत्ता का भयंकर दुरूपयोग करके ,सत्य को और सत्यावलंबीयों को समाप्त करने का भयंकर,

" खेला भी खेला गया ! "


कौन सूत्रधार ???


इतिहास के पन्ने इसकी साक्ष है !


और ऐसे भयावह षड्यंत्रकारियों को समय हरगिज क्षमा भी नहीं करेगा !


अगर ईश्वरी इच्छा और ईश्वर की परम कृपा से २०१४ में मोदीजी चुनाव ना जीतते और सत्ता में ना आते तो ? और सत्ता ? ऐसे भयंकर षड्यंत्रकारियों के हाथ में चली जाती ? तो सोचो ,आज कितनी भयावह स्थिति संपूर्ण देश की बन जाती ?


संपूर्ण तबाही की जाती ?


आज मोदीजी सत्ता में रहते हुए भी देश में अनेक जगहों पर ,उपद्रवियों का हाहाकार देखने को मिल रहा है ! और सर्वश्रूत भी तो है ही !


इसीलिए ईश्वर ने ही ऐसे षड्यंत्रकारियों को समाप्त करने के लिए ही शायद मोदीजी और योगीजी जैसे महानायकों को , योग्य समय पर धरती पर भेजा है ! 


इसीलिए ईश्वर हमेशा सबकुछ ठीक ही करता है ! और आगे भी ठीक ही करेगा !


निश्चिंत रहीए !

हमारा भी राष्ट्रीय तथा वैश्विक स्तर पर ,संस्कृति संवर्धन के लिए ,बहुत बडा योगदान, ईश्वरी इच्छा से ही , होनेवाला ही है !


सावरकर जैसे महापुरुषों को सर्वोच्च सत्तास्थानपर , बिठाकर उनके योग्यताओं की पूजा करना, ऐसे भयंकर विघटनकारी, षड्यंत्रकाररीयों के विकृत बुध्दी में कैसे आयेगा !


जिन्होंने इस देश की पवित्र भूमि भी , शत्रूराष्ट्रों को तोहफे के तौर पर भेंट दी ? क्या यह भी राजनीति का तरीका था ?

या देश की बरबादी का ही केवल उनका सपना था ?


प्रायोपवेशन के समय में ,मृत्यु के समय में सावरकरजी की मन:स्थिति कितनी भयंकर विचित्र , दोलायमान हुई होगी ? कितने आत्मक्लेश उनकी आत्मा को हुए होंगे ?


सोचो !

जिन्होंने अपने राष्ट्र के लिए सबकुछ समर्पित किया , भयंकर यातनाएं झेली , अंदमान के कारागृह में कालापानी की सजा भुगती , परिवार की पूरी वाताहात हो गई ,आन्नान्न दशा हो गई , ऐसे महापुरुषों के साथ ,इतना भयावह षड्यंत्र ?

आजीवन मलाई चाटने वालों द्वारा ? और फिरसे मलाई चाटने वाले ही ,भयंकर धोखाधड़ी से ,सर्वोच्च सत्तास्थान पर विराजमान हो गये ?

और उपर से ईश्वर भी बन बैठे ?

इतना भयंकर धोखा ,इतना भयंकर षड्यंत्र देशवासियों के साथ ? 

और आज भी ऐसी ही लगातार कोशिशें जारी है ?


धिक्कार है ऐसे गिरी हुई मनोवृत्ति का भी ! और धिक्कार है ऐसी राजनीति का भी !


जिस परिवार ने देश के लिए सबकुछ समर्पित कर दिया , खुद के जीवन की राख - रांगोळी कर दी...,उनके जीवन की , सावरकर जैसे अनेक महापुरुषों की,इतनी भयंकर दुर्दशा ?


और आज भी दुर्देव यह है की , आज भी हमारे ही कुछ हिंदुओं द्वारा भी...सावरकरजी की उपेक्षा की जाती है ?


दुर्देव ! घोर दुर्देव !!


प्रधानमंत्री बनने की वास्तविक क्षमता और योग्यता सावरकर ,सुभाषबाबू , वल्लभभाई पटेल जैसे असली हिरे की थी ! असली जननायक और लोकनायक की थी !

और ऐसे महान व्यक्तित्व के हाथों में अगर स्वतंत्र भारत की सत्ता होती तो ? आजतक यह देश संस्कृती संपन्न ,सोने की चिडियावाला ,सुजलाम सुफलाम बन जाता !


मगर हुवा क्या ?

पर्दे के पिछे के शातिर दिमाग के, षड्यंत्रकारियों को देश जानना चाहता है ! उनका असली, घिनौना चेहरा देखना चाहता है !


इसके लिए विस्तृत विवेचन, विश्लेषण और गहराई से अध्ययन होना भी अत्यावश्यक भी है ! वह भी तुरंत ! और एक जागरूक नागरिक तथा पत्रकार के नाते से , मोदीजी को यही माँग भी है !


मगर आजादी के बाद,सर्वोच्च सत्तास्थान को ही ग्रहण लग गया ! जिसके हाथ में सत्ता जानी थी ,जिनकी योग्यता भी थी ! उनका इतना त्याग भी था !


मगर वास्तव में क्या हुवा ?


खैर , यह स्वतंत्र लेख का विषय है ! इसपर विस्तृत चर्चा अगले किसी लेखों में ! 


सत्य को और देश को ,अकस्मात निगलने वाले यह चिडियामार कौन थे ? उन्होने ऐसा भयंकर षडयंत्र करके सत्ता क्यों हतीयाई ? और संपूर्ण देश में भयंकर अराजकता फैलाने का प्रयास बारबार, जानबुझकर किसने और क्यों किया ?


क्या भविष्य इसकी खोज करेगा ? जड तक , षड्यंत्रकारीयों के असली मनसुबे तक पहुंचेगा ? और ऐसे नकली चेहरों का पर्दाफाश करके , उन्हे राष्ट्रद्रोही घोषित करके , सावरकर ,सुभाषबाबू जैसे महानायकों को न्याय देगा ?


कब ??


समय बलवान होता है !

और समय ही जरूर न्याय देगा, ऐशी आशा करते है !

क्योंकी सत्य कभी मरता नही है ! और नाही ईश्वर सत्य को मरने देता है !

सत्य परेशान जरूर हो सकता है ! आज की तरह सत्य तडप भी सकता है !


मगर सत्य मरता नही है !

कभी भी नही !

और ईश्वर सत्य को मरने भी नही देता है !


अगर सत्य जमीन में गाड भी दिया तो भी एक दिन ,जमीन फाडकर भी,उपर उठकर आता ही है !


आज के अनेक मंदिरों की तरह !


क्योंकी सत्य का रखवाला खुद ईश्वर होता है !

इसिलिए एक दिन सावरकरजी जैसे महानायकों को इस देश में स - संन्मान न्याय भी मिलेगा !

और सावरकर द्वेषी गद्दारों को सबक भी मिलेगी !


ईश्वर की इच्छा के आगे आखिर कौन जा सकता है ?


मगर हमारे ,हम जैसे अनेक प्रखर राष्ट्रप्रेमियों के,अंदर की अन्याय ,अत्याचार के विरुद्ध की ,धधकती आग, ज्वाला तबतक धधकती ही रहेगी !


न्याय मिलनेतक !

अखंड भारत बनने तक !

और हमारे मकसद में हम कामयाब होकर ही रहेंगे !!


हरी ओम्


🕉🕉🕉🚩🪷

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