मकडजाल

 हनीट्रैप अर्थात मकडजाल

✍️ २२६०


विनोदकुमार महाजन


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एक संन्माननीय भारतीय वैज्ञानिक को हनीट्रैप में फँसाकर , कैसे लटकाया गया,इसका ताजा उदाहरण देश में देखने को मिल रहा है !


सुसंस्कारित व्यक्ति भी , मोहजाल में कैसे फँस सकता है ... इसका यह एक ताजा उदाहरण है !


वास्तविक ऐसे मकडजाल में बडे बडे विद्वान समझने वाले भी लिलया कैसे फँस जाते है ? यह एक आश्चर्य ही है !


व्यक्ति का सामाजिक कार्य जितना बडा और व्यापक , उतना ही उसका दाईत्व भी बडा होना चाहिए ! तथा हर क्षण में सावधानियां बरतनी चाहिए !


वास्तव में मोह , यह एक ऐशी भयंकर बिमारी है की , पहुंचा हुवा व्यक्ति भी जाल में फँस जाता है ! और जीवन बरबाद हो जाता है !

ऐसे विनाशकारी भँवर , ऐसे जाल हमें सामाजिक कार्य करते समय , बरबाद ना करें ,इसके लिए हर क्षण सतर्क और चौकन्ने रहना जरूरी है !


शारीरक आकर्षण के साथ साथ आर्थिक मोह भी ऐसे जाल में फँसाने के लिए कारणीभूत होते है ! चाहे स्त्री हो अथवा पुरूष , सभी को, ऐसे षड्यंत्रों से , ऐसे मकडजाल से , ऐसे विनाशकारी भँवर से सावधानियां बरतनी ही चाहिए !


अन्यथा गंभीर परिणाम हो सकते है ! और हमारे कार्यों में अनेक प्रकार की बाधाएं उत्पन्न हो सकती है ! अथवा कार्य ही अधूरा छूट जाता है !


गायत्री उपासक तथा महान ऋषि , विश्वामित्र की कहानी हमें बहुत कुछ सिखाती है !


कमलेश तिवारी का आर्थिक मोह भी संपूर्ण बरबादी की ओर ले गया , यह सर्वज्ञात तो है ही !


आत्मा से किया गया संपूर्ण सहयोग , पवित्र प्रेम यह संपूर्णता अलग बात है ! तथा प्रेमजाल तथा सहयोग की नौटंकी करके , जाल बिछाकर ,विशिष्ट उद्दीष्ट साध्य करना , यह अलग बात है !


मेरे लेख अनेक देशों में जाते है !

और आध्यात्मिक तथा हिंदुत्ववादी होते है ! इसीलिए मैं हमेशा सतर्क एवं सावधान रहने की कोशिश करता हूं !


मुझे अनेक बार , देशविदेशों से , ऐसे संपर्क किए जाते है , जिसमें अनेक प्रकार की भयंकर बातें भी की जाती है ! आर्थिक प्रलोभन भी दिये जाते है !

मगर सद्सद् विवेक और तारतम्य से ही हर क्षण में निर्णय लेने पडते है !


इसीलिए अखंड सावधानता

यही एकमेव मंत्र ,

हमें हमारी मंजिल तक ले जा सकता है ! और मकडजाल से बचा सकता है !


मकडजाल यह एक भयंकर जाल होता है ! एक बार शिकार जाल में फँस गया...तो ? जीवन बरबाद ! या फिर समाप्त ?


अगर हमें घेरने के लिए कोई षड्यंत्र कर रहा है , मकडजाल बिछा रहा है , भँवर में फँसाकर जीवन ही बरबाद करने की कोशिश कर रहा है तो ऐसे भयंकर समय में परिस्थितियों का अचूक अंदाज लेकर , ऐसे मकडजाल से तुरंत दूर भागने की कोशिश तो होनी ही चाहिए !


इसीलिए सभी से हमेशा के लिए सामाजिक दूरीयाँ बनाकर रखना और आत्मा की आवाज सुनकर आगे बढते रहना ही , कार्य सफलता की ओर आगे बढने का पर्याप्त मार्ग होता है !


कोई नजदीक आने की कोशिश कर रहा है तो सबसे पहले उसका उद्देश्य देखिए ! अगर उद्देश्य पवित्र है तो संबंध बढाईये ! अन्यथा ? अनेक प्रकार के बहाने बनाकर दूर भाग जाईये ! इसिमें ही हमारी भलाई है ! और ऐसे मार्गों से जाने से ही हमें हमारे कार्यों में सफलता भी मिलेगी !


हरी ओम्


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