मंजिल

 *दिव्य मंजिल तक...* 

✍️ २४०८


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अनेक जहरीले साँपों के

जालिम जहर हजम करके

भयंकर दुखदायक और क्लेशदायक  कर्मगती

और प्रारब्धगती पर विजय

प्राप्त करके , मेरे सद्गुरू आण्णा की कृपा से , मैं आखिर  मेरी ...


" *दिव्य मंजिल तक "* 

पहुंच ही गया !!


जब हमारे विश्वकल्याण के और

धर्म कार्य के इरादे पक्के होते है

तब स्वयं भगवान ही हमें निरंतर

आगे बढने का रास्ता दिखाता ही है !


हरी ओम्

जय श्रीकृष्ण


 *विनोदकुमार महाजन* 

७ / १२ / २०२३ ( गुरूवार )


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